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भारत को उकसाने के लिए तिब्बत में चीन बढ़ा रहा सैन्य गतिविधि, अमेरिका को भी धमकाया कहा, कोल्ड वार छोड़ें, हमें कम न आंके

नयी दिल्ली : डोकलाम में सैन्य निर्माण कार्य का मसला पूरी तरह ठंडा भी नहीं हुआ था कि चीन ने अब कथित तौर पर तिब्बत में अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी है. उसने यहां फाइटर जेट और नौसेना के युद्धक जहाजों की तैनाती की है. पड़ोसी देश ने ऐसे वक्त में एयरक्राफ्ट्स की तैनाती […]

नयी दिल्ली : डोकलाम में सैन्य निर्माण कार्य का मसला पूरी तरह ठंडा भी नहीं हुआ था कि चीन ने अब कथित तौर पर तिब्बत में अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी है. उसने यहां फाइटर जेट और नौसेना के युद्धक जहाजों की तैनाती की है.

पड़ोसी देश ने ऐसे वक्त में एयरक्राफ्ट्स की तैनाती की है, जब इस इलाके में उड़ानों पर रोक रहती है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले चीन ने तिब्बत में लड़ाकू विमानों की तैनाती में 20 फीसदी की बढ़ोतरी की है. इतना ही नहीं तिब्बत में पीएलए एयरफोर्स व नेवी ने भी अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है. चीन की इस हरकत से उसकी भारत को उकसाने वाली कार्रवाई के संकेत मिलते हैं.

इस क्षेत्र में चीन ने फाइटर जेट्स की संख्या में अचानक वृद्धि की है. यह 51 के आसपास हो गयी है. पिछले कुछ सालों की तुलना में यह संख्या 10 एयरक्राफ्ट अधिक है. ल्हासा-गोंगका में चीन ने आठ फाइटर जेट्स भी तैनात किये हैं. इसके अलावा एयर मिसाइल सिस्टम्स समेत 22 एमआइ-17 हेलीकॉप्टर्स व अन्य कई हथियार भी तैनात हैं.

तैनात किये एयरक्राफ्ट्स

भारत-तिब्बत सीमा के पास जमीन से हवा पर मार करने वाली मिसाइलों की तैनाती

होपिंग-रिकाजे में 18 एयरक्राफ्ट्स, 11 एमआइ-17 अनमैन्ड एरियल वीकल्स तैनात

काशी इलाके में 12 फाइटर एयरक्राफ्ट्स लगाये सिक्किम सेक्टर के सामने वाले चीन के इलाके में भी एयरक्राफ्ट्स की तैनाती

इधर, अमेरिका को भी धमकाया कोल्ड वार छोड़ें, हमें कम न आंके

बीजिंग : चीन ने अमेरिका से साफ-साफ कहा है कि उसे शीत युद्ध की मानसिकता से बाहर आना चाहिए. इसके साथ ही अमेरिका को उसकी सैन्य ताकत को कम नहीं आंकना चाहिए. वाशिंगटन की ओर से अपनी न्यूक्लियर क्षमताओं को बढ़ाने को लेकर जारी किये गये दस्तावेज के बाद चीन की यह टिप्पणी सामने आयी है. चीन के रक्षा मंत्रालय की ओर से रविवार को जारी किये गये बयान में कहा कि शांति व विकास के मुद्दा दुनिया में स्थायी है.

अमेरिका जैसे देश को, जिसके पास दुनिया में सबसे ज्यादा न्यूक्लियर हथियार हैं, इस सिद्धांत पर काम करना चाहिए. हमें उम्मीद है कि अमेरिका अपनी शीत युद्ध की मानसिकता को खत्म करेगा. दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध से क्षेत्र में स्थिरता पैदा हो सकेगी. अमेरिका की ओर से छोटे परमाणु हथियारों को विकसित करने की कवायद की रूस भी निंदा कर चुका है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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