नयी दिल्ली : गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक राजनीतिक वैज्ञानिक का विवादित बयान आया है. प्रसिद्ध राजनीतिक विज्ञानी क्रिस्टोफ जैफरलॉ ने गुजरात विधानसभा से पहले शनिवार को यहां कहा कि विकास का गुजरात मॉडल एक तरह से रोजगारहीन विकास का उदाहरण है.
उन्होंने यहां टाइम लिटफेस्ट साहित्य सम्मेलन के पॉलिटिकल कंजरवेटिव्स एंड द राइट इन इंडिया शीर्षक वाले सत्र में कहा कि गुजरात मॉडल से निकलने वाले अधिकतर अवसरों से लघु एवं मध्यम उपक्रमों (एसएमई) से क्षमता से कम नौकरियों का सृजन हुआ.
लेखक-शोधकर्ता ने कहा कि गुजरात मॉडल रोजगारहीन विकास का एक दिलचस्प उदाहरण है या आप यह कह सकते हैं कि यह न्यूनतम विकास के साथ होने वाले वृद्धि का मामला है. इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों से काफी निवेश मिला, जिन्हें जमीनें, सस्ता श्रमिक और साफ तौर पर कर से छूट दी गयी.
उन्होंने कारखाने, रिफाइनरियों का निर्माण किया, लेकिन इनसे उतनी नौकरियों का सृजन नहीं हुआ, जितनी छोटे एवं मध्यम उपक्रम करते. उन्होंने कहा कि राज्य में विकास के बावजूद गरीबों की दशा में बदलाव नहीं हुआ, जिससे भाजपा पर एक जवाबदेही बनती है.
जैफरलॉ ने कहा कि पहले एक तरफ गुजरात में गरीब थे और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी, अब दिल्ली में भाजपा है और वहां अब भी गरीब हैं. इसलिए यह विश्लेषण का समय है, यह जवाबदेही तय करने का समय है.