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पैराडाइज पेपर क्या है? आइसीआइजे क्यों और कैसे कर रहा है इसे लीक?

नयी दिल्ली : पैराडाइज पेपर खुलासे से देश में हंगामा मचा हुआ है. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस मामले की मल्टी एजेंसी ग्रुप से कल जांच कराने की अनुमति दे दी, जिसकी अगुवाई सीबीडीटी के प्रमुख करेंगे. इस जांच में प्रवर्तन निदेशालय, रिजर्व बैंक और वित्तीय खुफिया इकाई भी शामिल होगी. पैराडाइज पेपर मामले में […]

नयी दिल्ली : पैराडाइज पेपर खुलासे से देश में हंगामा मचा हुआ है. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस मामले की मल्टी एजेंसी ग्रुप से कल जांच कराने की अनुमति दे दी, जिसकी अगुवाई सीबीडीटी के प्रमुख करेंगे. इस जांच में प्रवर्तन निदेशालय, रिजर्व बैंक और वित्तीय खुफिया इकाई भी शामिल होगी. पैराडाइज पेपर मामले में कांग्रेस, भाजपा के सांसदों सहित बॉलीवुड स्टार, सेलिब्रिटी व बड़े कारोबारियों के नाम आये हैं. पैराडाइज पेपर्स अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट आइसीआइजे ने ये दस्तावेज जारी किये हैं, जिसमें दुनिया भर के प्रभावी लोगों के नाम शामिल हैं.इसपेपरकेअनुसार,कथित रूप से टैक्स बचानेके लिए प्रभावी लोगोंनेटैक्स हेवन देशों में निवेश किया. इस सूची में भारत के 714 लोगों व संस्थाओं के नाम हैं. लिस्टेड कंपनियों के मामले की बाजार नियामक सेबी भी जांच करने वाली है. पनामा पेपर खुलासे के बाद इसे वैश्विक स्तर का दूसरा बड़ा खुलासा माना जा रहा है. ध्यान रहे कि पनामा पेपर खुलासे के कारण पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद से नवाज शरीफ को इस्तीफा देना पड़ा था.

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खुलासा करने वाली संस्थाइंटनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट क्या है?

इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेशन 70 देशों के 200 पत्रकारों का नेटवर्क है, जो गहराई में जाकर खोजी रिपोर्ट जुटाते हैं. पत्रकारों के इस वैश्विक नेटवर्क की स्थापना 1997 में हुई थी. इसकी स्थापना अमेरिकी पत्रकार चुक लेविस ने की थी. इस संगठन ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटीग्रिटी पर काम आरंभ किया और इसका स्पष्ट लक्ष्यरहाहै ऐसे मुद्दों पर काम करना जो राष्ट्र की सीमा तक सीमित न हो. क्रास बार्डर क्राइम, भ्रष्टाचार, सत्ता का उत्तरदायित्व को फोकस कर इसने काम किया. फरवरी 2017 में यह संस्था अपनी वैश्विक पहुंच बढ़ाने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र न्यूज ऑरगाइनेजेशन बन गया. जुलाई 2017 में अमेरिकी टैक्स विभाग से संगठन ने एक गैर लाभकारी संस्था का दर्जा हासिल कर लिया.


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पैराडाइज पेपर का खुलासा कैसे किया गया?

पैराडाइज पेपर खुलासे के लिए दुनिया भर से 1.34 करोड़ दस्तावेज जुटाये गये. ये दस्तावेज 180 देशों के हैं. पैराडाइज पेपर खुलासा करने में दुनिया भर की 95 मीडिया संस्थाएं भागीदार रही हैं. इसमें भारत से द इंडियन एक्सप्रेस अखबार भी भागीदार है. इसके अलावा बीबीसी भी इसका हिस्सेदार है, जिसकी भारतीय मीडिया में अच्छी उपस्थिति है. इस सूची में भारत नाम की संख्या के हिसाब से 19वें नंबर पर है. इसमें कहा गया है कि टैक्स बचाने के लिए संबंधित लोगों वफर्मों ने पैसा टैक्स बचाव वाले देशों में भेजा. इस सूची में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा, बिहार के भाजपा सांसद आरके सिन्हा, पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन, डिफॉल्टर कारोबारी विजय माल्या सहित कई बड़ी हस्तियों के नाम शामिल हैं. इसमें ब्रिटेन की महारानी का नाम शामिल है.

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आइसीआइजे ऐसा काम क्यों करता है?

इस संस्था का कहना है कि औद्योगिकीकरण और भूमंडलीकरण ने मानव समाज पर असाधारण दबाव बनाया है. इसकी दलील है कि संसाधनों की कमी और कम ध्यान दिये जाने के कारण मनुष्य के हितों को क्षति पहुंचती है. इसके लिए यह संस्था कई कारणें गिनाती है. ऐसे में सीमाओं से पार एक टीम के रूप में यह मानव हित के मुद्दों को उठाना और उससे जुड़ी चीजों का खुलासा करने का प्रयास करती है. बीबीसी, न्यूयार्क टाइम्स व गार्डियन जैसी प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान इसके हिस्सेदार हैं. यह संस्था अपने कार्यों में सोशल मीडिया का भी प्रमुखता से भी उपयोग करती है. यह संस्था लोगों व पत्रकारों से बेझिझक स्टोरी आइडिया देेने का आग्रह करती है और उन्हें खुद से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करती है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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