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मुश्किल में बिग-बी : पनामा के बाद पैराडाइज पेपर्स में भी नाम, केबीसी-1 के बाद पैसा विदेशी कंपनी में लगाने का मामला

नयी दिल्लीः पनामा पेपर मामले में नाम आने के बाद सदी के महानायक आैर बाॅलीवुड के लिजेंडर अभिनेता अमिताभ बच्चन की परेशानी थमने का नाम नहीं ले रही है. मीडिया में खबर यह आ रही है कि मेगा स्टार अमिताभ बच्चन का नाम अब पनामा पेपर मामले के बाद पैराडाइल पेपर मामले में भी आ […]

नयी दिल्लीः पनामा पेपर मामले में नाम आने के बाद सदी के महानायक आैर बाॅलीवुड के लिजेंडर अभिनेता अमिताभ बच्चन की परेशानी थमने का नाम नहीं ले रही है. मीडिया में खबर यह आ रही है कि मेगा स्टार अमिताभ बच्चन का नाम अब पनामा पेपर मामले के बाद पैराडाइल पेपर मामले में भी आ रहा है. हिंदी के अखबार जनसत्ता की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के अनुसार, फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) के 2000-02 में प्रसारित पहले संस्करण के बाद बरमूडा की एक डिजिटल मीडिया कंपनी के शेयरधारक बने थे. साल 2004 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिबरलाइज्ड रिमिटेंस स्कीम शुरू करने से पहले तक सभी भारतीयों को विदेश में किये गये निवेश की जानकारी आरबीआई को देनी होती थी.

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जनसत्ता की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये साफ नहीं है कि अमिताभ बच्चन ने ये जानकारी आरबीआई को दी थी या नहीं. बरमूडा की कंपनी एप्पलबी के दस्तावेजों के अनुसार, अमिताभ बच्चन और सिलिकॉन वैली के वेंचर इन्वेस्टर नवीन चड्ढा जलवा मीडिया लिमिटेड के 19 जून 2002 को शेयरधारक बने थे. ये कंपनी बरमूडा में 20 जुलाई, 2002 को बनायी गयी थी और साल 2005 में इसे भंग कर दिया गया. जलवा मीडिया शुरुआती डिजिटल मीडिया वेंचर में एक है. इसकी स्थापना चार भारतीय एंटरप्रेन्योर ने जनवरी, 2000 में कैलिफोर्निया में की थी. इसकी भारतीय इकाई जलवा डॉट कॉम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (बाद में जलवा मीडिया इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) फरवरी में बनी और बाद में जुलाई में बरमूडा में एक तीसरी कंपनी बनी.

जनसत्ता की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के अनुसार, जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung को बरमूडा की कंपनी एप्पलबी, सिंगापुर की कंपनी एसियासिटी ट्रस्ट और कर चोरों के स्वर्ग समझे जाने वाले 19 देशों में करायी गयी काॅरपोरेट रजिस्ट्रियों से जुड़े करीब एक करोड़ 34 लाख दस्तावेज मिले. जर्मन अखबार ने ये दस्तावेज इंटरनेशनल कॉन्सार्शियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आईसीआईजे) के साथ साझा किया. इंडिया एक्सप्रेस आईसीआईजे का सदस्य हैं और उसने भारत से जुड़े हुए सभी दस्तावेजों की पड़ताल की है.

खबर के अनुसार, जुलाई, 2000 में जलवा-इंडिया ने कंपनी में करीब 32 लाख डॉलर (आज की दर से करीब 20 करोड़ रुपये) का एंजल इन्वेस्टमेंट (निजी निवेश) हासिल करने की घोषणा की थी. कंपनी में निवेश करने वालों में कैलिफोर्निया में रहने वाले उस समय बिजट्रो के चेयरमैन नवीन चड्ढा भी शामिल थे. इसके अलावा, जलवा मीडिया ने 1.5 करोड़ डॉलर (आज की दर से करीब 94 करोड़ रुपये) वेंचर इन्वेस्टमेंट हासिल करने को अपना अल्पकालीन लक्ष्य बताया.

जलवा मीडिया को इस निवेश से पहले ही लंदन के मिलेनियम डोम से इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकैडमी के लाइव वेबकास्ट का अधिकार मिल चुका था. कंपनी ने अक्टूबर, 2000 में देखो फिल्म डॉक कॉम (dekhofilm.com) नामक वेबसाइट लॉन्च की और अमेरिकी कंपनी आईबीएम से जून, 2001 में मीडिया एंड एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की वेबसाइट के लिए एक कम्पलीट कंटेट मैनेजमेंट सल्युशन देने समझौता किया. जलवा ने मुंबई में अपना डिजिटल मीडिया इनोवेशंस लैब्रोटरी भी खोली.

आईबीएम से समझौता होने के करीब एक साल बाद अमिताभ बच्चन और चडढा को एपलबी के जलवा-बरमूडा दस्तावेज में निवेशक बताया गया. इस कंपनी से जुड़े तीन लोगों उर्शित पारिख, गौतम आनंद और शैलेंद्र पी सिंह ने साल 2004 तक धीरे-धीरे कंपनी छोड़ दी. 28 अक्टूबर, 2005 को द बरमूडा सन अखबार में नोटिस प्रकाशित हुई कि जलवा बरमूडा बुरी कर्जदार है और उसे भंग किया जाता है. एप्पलबी ने भी जलवा बरमूडा को 14 जनवरी 2004 से सेवाएं देना बंद कर दिया था.

जलवा इंडिया काॅरपाेरेट अफेयर्स मंत्रालय की ईजी एग्जिट स्कीम 2011 के आने तक कागज पर मौजूद रही. कंपनी ने इस योजना का लाभ उठाते हुए बताया कि कंपनी का कारोबार सफल नहीं होने के कारण पिछले छह सालों से कंपनी निष्क्रिय है. कंपनी की तरफ से सारी कागजी खानापूर्ति उसके निदेशक तरुण अरोड़ा ने पूरी की. जुलाई, 2005 में कैलिफोर्निया स्थित आईटी और बिजनेस प्रोसेसिंग कंपनी कैनेयम इंक ने जलवा मीडिया से एसेट पर्चेज एग्रीमेंट किया और कुछ कस्टमर अनुबंद भी हासिल किये.

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