अहमदाबाद : गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार मुसलिम दावेदारों की लंबी कतार है. चुनाव राजनीति में कूदने के इच्छुक मुसलिम समुदाय के कई लोगों ने भाजपा के टिकट के लिए दावेदारी जतायी है. भाजपा की नीति भी उनके प्रति शॉफ्ट है. पिछले डेढ़-दो सालों में राज्य में हुए अलग-अलग जातीय आंदोलनों से उत्पन्न चुनौतियों से निबटने के लिए भाजपा भी हर समुदाय में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने की रणनीति पर बीते कुछ महीनों से काम कर रही है. भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने भी पार्टी के सामने यह मांग रखी है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को चुनाव में टिकट दिया जाये.
गुजरात भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रभारी मेहबूब अलीचिश्ती के अनुसार, हाल में पार्टी पार्लियामेंट्री बोर्ड की मीटिंग में मुसलिम समुदाय के अनेकों लोगों ने पार्टी की ओर से टिकट देने का आग्रह किया है. जमालपुर-खाडिया, वेजालपुर, वेगरा, वाणकेनर, भुज और अबदासा सीटों की मुसलिम समुदाय के लोगों ने मांग की है. मुसलिम समुदाय का यह उत्साह यूं ही नहीं है. 2015 के स्थानीय निकाय चुनाव में 350 मुसलिमों ने भाजपा के लिए सीट पक्की की थी.
जमालपुर-खाडिया सीट पर 61 प्रतिशत आबादी मुसलिम समुदाय की है. उस्मान घांची यहां से टिकट के दावेदार हैं और वे एक दशक से भाजपा से जुड़े हैं. उनकी दावेदारी का पांच मौलवियों ने भी समर्थन किया था. खांची को भरोसा है कि भाजपा ने उन्हें सम्मान दिया है और अगर पार्टी टिकट देगी तो अपनी जीत वे साबित कर सकते हैं.
इसी तरह पूर्व आइपीएस अधिकारी एआइ सैयद भी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. वे पिछले नौ सालों से भाजपा से जुड़े हैं. वे कहते हैं कि अगर भाजपा उन्हें टिकट देगी तो वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. सैयद 2010 में स्थानीय निकाय चुनाव लड़े थे, लेकिन सरखेज से हार गये. बाद में उन्हें गुजरात वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया.