पुणे: महाराष्ट्र में बीते दो दिन में चार किसानों ने आत्महत्या कर ली, लेकिन उनमें से एक किसान ने अपने सुसाइड नोट में जो बातें कही है, उसे पढ़कर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जायेंगे. सोलापुर जिले में आत्महत्या करने वाले एक किसान ने अपने सुसाइड नोट में कथित तौर पर लिखा है कि जब तक मुख्यमंत्री उनके घर नहीं आते और उनकी मांगें पूरी नहीं कर देते, तब तक उनका अंतिम संस्कार नहीं किया जाना चाहिए. सोलापुर के कलेक्टर राजेंद्र भोंसले ने कहा कि धनाजी जाधव (45) ने बुधवार की रात करमाला तहसील के वीत गांव स्थित अपने घर के पास एक पेड़ से लटककर फांसी लगा ली.
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करमाला पुलिस के अनुसार, जाधव ने अपने सुसाइड नोट में अपने मित्रों एवं संबंधियों से कहा कि मैं एक किसान हूं, धनाजी चंद्रकांत जाधव. मैं आज आत्महत्या कर रहा हूं. मेरे शव को कृपया मेरे गांव ले जायें और जब तक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यहां नहीं आते, तब तक मेरा अंतिम संस्कार नहीं करें. भोंसले के अनुसार, किसान ने सुसाइड नोट में लिखा कि उसके शव का तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाये, जब तक मुख्यमंत्री उसके घर नहीं आते और किसानों के ऋण माफी की घोषणा नहीं करते. सोलापुर के प्रभारी मंत्री विजय देशमुख ने आज गांव का दौरा किया.
आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार में उसकी पत्नी एवं दो बच्चे हैं. उसके पास खेती योग्य 2.5 एकड़ भूमि थी. पुलिस ने बताया कि किसान पर 60,000 रुपये का कर्ज था और उसने साहूकारों से भी उधार लिया था. पुलिस ने कहा कि बीते 48 घंटों में जान देने वाले सभी चारों किसानों ने बैंकों या साहूकारों से कर्ज ले रखा था, जिसे वे वापस नहीं कर पा रहे थे. 48 वर्षीय किसान हनुमंत पांडुरंग शिंदे भी कर्ज तले दबे थे, उन्होंने पुणे जिले के गोंदावेवाडी में जहर खाकर आत्महत्या कर ली. एक अन्य किसान 55 वर्षीय ईश्वर बलीराम इंगालने ने अपने खेत में एक पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली. सतारा जिले में 35 वर्षीय किसान सुरेश शंकर साबले ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली.
महाराष्ट्र में किसानों के पिछले एक सप्ताह से लगातार जारी विरोध प्रदर्शनों के कारण मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को विपक्षी दलों एवं भाजपा की सहयोगी शिवसेना की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है. किसानों के प्रदर्शन के कारण कृषि उत्पादों की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है. फडणवीस ने हाल में एक बयान देकर 31 अक्तूबर तक ऋण माफ करने का वादा किया था, लेकिन यह वादा आंदोलनरत किसानों को शांत नहीं कर पाया. किसानों का आंदोलन जारी है.