रांची.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कोयला के अवैध कारोबार को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है. प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री मरांडी ने अवैध कोयला व्यापार में मुख्यमंत्री आवास की भूमिका के भी संकेत दिये. उन्होंने कहा कि पहले कोयला की चोरी कर लोग पुलिस-प्रशासन तक कमीशन पहुंचाते थे, लेकिन अब इसमें बदलाव आया है. अब पुलिस-प्रशासन और कोल माफिया साझेदारी में काम करते हैं.उन्होंने कहा कि धनबाद में तैनात शीर्ष पुलिस अधिकारी कोयला के कारोबार में लिप्त हैं और सीधे इस धंधे को संचालित कर रहे हैं. धनबाद में निरसा, बाघमारा व झरिया अवैध कोल व्यापार के क्षेत्र हैं, जिसमें 20-25 थाना व ओपी पड़ते हैं. इस क्षेत्र में 30-40 साइट से अवैध कोयला निकाला जाता है. उन्होंने कहा कि चर्चा है कि साइट प्राप्त करने के लिए हाउस का परमिशन आवश्यक है. हाउस से फोन आने पर ही एसएसपी साइट का अप्रूवल देते हैं. फिर एडवांस के तौर पर एक करोड़ रुपये लिये जाते हैं. इन क्षेत्रों से प्रतिदिन 150-200 ट्रक कोयला निकाला जाता है. प्रति टन आठ से 10 हजार का व्यवसाय हाउस के नियंत्रण में होता है. इस धंधे में थाना प्रभारी, इंस्पेक्टर, डीएसपी, एसडीओ, ग्रामीण एसपी, खनन अधिकारी व अंचलाधिकारी का हिस्सा भी निर्धारित है. श्री मरांडी ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन आरोपों से सहमत नहीं हैं, तो इसकी उच्चस्तरीय जांच करायें. मौके पर मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक व प्रवक्ता रमाकांत महतो भी मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

