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Ranchi news :जेल में कैदी के एचआइवी संक्रमित होने के मामले में हुई सुनवाई

कैदियों की एचआइवी जांच सुनिश्चित करे सरकार

कैदियों की एचआइवी जांच सुनिश्चित करे सरकार:

: एचआइवी रोकथाम को लेकर छह सप्ताह में ठोस प्रस्ताव देने का भी निर्देश

-मामले की अगली सुनवाई सात नवंबर को होगी.

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने सजायाफ्ता की क्रिमिनल अपील याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान जेल में एक कैदी के एचआइवी से संक्रमित पाये जाने के मामले में सुनवाई करते हुए सख्त निर्देश जारी किया. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस संजय प्रसाद की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह राज्य की विभिन्न जेलों में बंद कैदियों की एचआइवी जांच सुनिश्चित करे, ताकि उसके (बीमारी) प्रसार को रोका जा सके. राज्य की जेलों में कैदियों के बीच एचआइवी/एड्स के प्रसार को रोकने तथा पीड़ितों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश बनाने का निर्देश राज्य सरकार को दिया. स्वास्थ्य सचिव, गृह, कारा व आपदा सचिव, जेल के वरिष्ठ अधिकारियों को जेलों में एचआइवी रोकथाम को लेकर छह सप्ताह के भीतर एक ठोस प्रस्ताव पेश करने का भी निर्देश दिया. खंडपीठ ने एचआइवी और एड्स (रोकथाम व नियंत्रण) अधिनियम 2017 का हवाला देते हुए कहा कि इस कानून के तहत एचआइवी परीक्षण के लिए सख्त प्रावधान है तथा राज्य सरकार का यह दायित्व है कि वह एचआइवी/एड्स के प्रसार को रोकने और पीड़ितों को उपचार उपलब्ध कराने के लिए व्यापक उपाय सुनिश्चित करे. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए सात नवंबर की तिथि निर्धारित की. मामले की सुनवाई के दाैरान स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह, गृह विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल, स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रमुख सिद्धार्थ सान्याल, हजारीबाग केंद्रीय कारागार के चिकित्सा अधिकारी डॉ राहुल कुमार, धनबाद मंडल कारा के चिकित्सा अधिकारी डॉ राजीव कुमार और अन्य अधिकारी अदालत में उपस्थित थे. खंडपीठ को बताया गया कि दोषी दो जून 2023 से धनबाद जेल में हिरासत में है. उसे 10 अगस्त 2024 को हजारीबाग स्थित लोक नायक जय प्रकाश नारायण केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां उसे एचआइवी पॉजिटिव पाया गया था. मेडिकल रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि धनबाद में हिरासत में लिये जाने पर दोषी ने एचआइवी परीक्षण कराने से इनकार कर दिया था. खंडपीठ ने अदालत में सशरीर उपस्थित अधिकारियों को अगली तारीख तक व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति से छूट दे दी है. उल्लेखनीय है कि एक क्रिमिनल अपील की सुनवाई के दौरान कैदी के एचआइवी वायरस से संक्रमित होने की बात सामने आयी थी, जिसमें दोषी की सजा निलंबित करने (जमानत) की मांग की गयी है.

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