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Buxar News: जिले में 100 हेक्टेयर में किया जाएगा केला का खेती 40 प्रतिशत मिलेगा अनुदान

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. जिले में किसानों को बागवानी की तरफ प्रोत्साहित करने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है.इसी क्रम में मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत केले की खेती

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. जिले में किसानों को बागवानी की तरफ प्रोत्साहित करने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है.इसी क्रम में मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत केले की खेती को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य किया जा रहा है.विभाग के अनुसार, कम समय में अधिक मुनाफा देने वाले फलों में से एक केला है. केला की खेती करने पर 40 प्रतिशत का अनुदान भी दिया जा रहा है. इस वर्ष जिले में केला की खेती 100 हेक्टेयर में करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.धान व गेंहू की पारंपरिक खेती से हटकर फलों की खेती को बढ़ावा देने व केला की खेती कर किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए जिला उद्यान विभाग इस दिशा में कार्य कर रहा है.100 हेक्टेयर में केला की खेती के दौरान चिनिया केला व टिशु कल्चर यानि की जी-9 केला की खेती कर आमदनी भी बढ़ा सकते और बंपर मुनाफा भी कमा सकते हैं.केला की खेती पर दो किस्तों में अनुदान की राशि दी जायेगी.अनुदान की पहली किस्त 75 प्रतिशत पहले साल में जबकि दूसरी किस्त दो वर्ष की केला की खेती के दौरान दूसरे वर्ष में फल व पौधे को बचाए रखने पर 90 प्रतिशत केला का पौधा जीवित रहता है तो किसानों के खाते में 25 फीसदी अनुदान की राशि भेज दी जायेगी.जिला उद्यान कार्यालय के अनुसार, एक हेक्टेयर में केला की खेती के लिए किसान को 3 हजार 86 पौधे दिए जायेंगे.एक पौधे की कीमत साढ़े 16 या 17 रुपये होती है.अनुदान की राशि को केले के पौधे की कीमत में एटजस्ट करने का प्रावधान है. जिले में केले की खेती कर अधिक मुनाफा कमाने वाले किसान ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन कर रहे हैं.सहायक निदेशक उद्यान किरण भारती ने बताया कि अब-तक आवेदन शुरू है. इच्छुक किसान बिहार हॉटिकल्चर पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया जारी है कर सकते हैं. जो केले की खेती करना चाहते हैं, ऑनलाइन आवेदन के साथ जमीन की अद्यत्न रसीद भी देंगे.जिनके नाम से जमीन नहीं है, वह एलपीसी समेत आवेदन पोर्टल पर अपलोड करेंगे. सहायक निदेशक उद्यान ने बताया कि प्रखंड उद्यान पदाधिकारी आवेदन को सत्यापित करा सहायक निदेशक उद्यान को अग्रसारित करेंगे.सहायक निदेशक उद्यान के स्तर से आवेदन को स्वीकृत करते हुए कार्यादेश निकाला जायेगा.फिर सरकार के स्तर से चिन्हित कंपनी विभागीय दिशा-निर्देश के अनुरुप चयनित किसान को केला का पौधा उपलब्ध करायेगी.कार्यादेश देने के बाद आत्मा या उद्यान के स्तर से केले की खेती के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र , प्रखंड उद्यान पदाधिकारी या तकनीकी पदाधिकारी द्वारा तकनीकी प्रशिक्षण दिया जायेगा.अधिक जानकारी के लिए किसान उद्यान विभाग से संपर्क स्थापित कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.आर्थिक रूप से भी केले की खेती फायदेमंदप्रखंड उद्यान पदाधिकारी शिवकुमार ने बताया कि केला का पौधा आमतौर पर दो वर्षों तक जीवित रहता है.एक हेक्टेयर में केला की खेती करने पर आमतौर पर लगभग सवा लाख रुपये खर्च आता है.अगर तीन हजार के करीब भी केले का पौधा लगाते हैं तो 12 से 14 माह में उसमें घवद निकल जाता है.एक घवद अगर दो सौ रुपये में भी बिकता है तो साल भर में करीब तीन से चार लाख की आमदनी किसान हो जाती है, जो धान या गेंहू समेत किसी भी पारंपरिक खेती में संभव नहीं है.

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