बखरी. क्षेत्र के प्राचीन मंदिरों में शामिल पुरानी दुर्गा स्थान परिहारा में दुर्गापूजा की तैयारी जोरों पर है. यह मंदिर सैकड़ों वर्षों से शक्ति की उपासना का केंद्र रहा है, जहां हर वर्ष मां दुर्गा की आराधना श्रद्धा और विधि-विधान से की जाती है. इस बार भी मंदिर में माता दुर्गा की भव्य प्रतिमा को अंतिम रूप देने का कार्य शुरू हो गया है. परिहारा दुर्गा मंदिर पूजा समिति के सचिव अमित कुमार देव ने बताया कि मंदिर के ऊपरी हिस्से पर 20 फुट लंबा और चौड़ा मंडप बनाया जा रहा है. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 50×50 फुट का पूजा पंडाल भी तैयार किया जा रहा है. मेले में पांच तोरण द्वार बनेंगे, जिनमें से एक एलइडी गेट होगा जिसकी लंबाई 30 फुट और चौड़ाई लगभग 20 फुट रखी गयी है. तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे, जिसकी तैयारियां जारी हैं. भीड़ नियंत्रण के लिए स्थानीय वाॅलंटियर्स की तैनाती की जायेगी. बताया जाता है कि इस मंदिर की महिमा विशेष है. करीब चार-पांच दशक पूर्व गंडक नदी में भीषण कटाव हुआ था जिसमें कई घर जलमग्न हो गये थे, पर यह मंदिर अडिग रहा. मंदिर की स्थापना की सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसकी आस्था अटल है.
पुरानी थाना के समीप रहेगी पार्किंग की व्यवस्था
परिहारा बाजार के समीप दुर्गापूजा के दौरान वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था पुरानी थाना परिसर में की गयी है, जहां छोटे-बड़े वाहनों को लगाया जायेगा. पूजा समिति के सचिव ने बताया कि किसी भी प्रकार के वाहन का मेला परिसर में प्रवेश नहीं रहेगा. मंदिर के सचिव अमित कुमार देव ने बताया कि इस बार पुरानी दुर्गा मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए महाआरती का आयोजन किया जा रहा है, जो कलश स्थापना से लेकर नवमी तक गंगा आरती के तर्ज पर दुर्गा महाआरती की जायेगी. महाआरती बनारस के विद्वान ब्राह्मणों की टीम करेगी. दशमी के दिन मंदिर परिसर में 60 फुट का रावण दहन कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा.
पूजा कमेटी में ये लोग हैं शामिल
अध्यक्ष सुनील कुमार देव, उपाध्यक्ष रामबली महतो, सचिव अमित कुमार देव, सहसचिव नरेश तांती, कोषाध्यक्ष सज्जन कुमार बनाये गये हैं.
दशमी के दिन होगा महाप्रसाद का वितरण
दुर्गापूजा के अंतिम दिन विजयदशमी को यहां महाप्रसाद का वितरण किया जाता है. जो भी श्रद्धालु यहां आते हैं उन्हें माता का प्रसाद दिया जाता है. पूजा समिति द्वारा ढाई कि्वंटल दूध में खीर बनाने की व्यवस्था की गयी है, जिसे प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया जायेगा.
रखी गयी थी मां अष्टभुजी की प्रतिमा
कहा जाता है कि जब परमार वंश के राजा धार नगर से बखरी की तरफ मां दुर्गा के अष्टधातु की प्रतिमा लेकर आ रहे थे, तो इन्होंने परिहारा में गंडक नदी के किनारे रात्रि विश्राम लिया था. इन्होंने प्रतिमा को कुछ समय के लिए परिहारा गांव में गंडक नदी के किनारे रखा और माता की आराधना की. उस दिन से वहां भी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना शुरू की गयी.
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