अनुपम कुमारी
बिहार कलर्स ऑफ आर्ट एंड कल्चर:
पटना : थियेटर आर्ट और रंगमंच एक ऐसी दुनिया है, जो अभिनय करने वाले करेक्टर पर पूरी तरह से निर्धारित होता है. नाटक का स्क्रिप्ट और करेक्ट का अभिनय और उससे भी महत्वपूर्ण बात स्क्रिप्ट के मुताबिक करेक्टर का मेक ओवर, जो उनके अभिनय को जीवंत रूप देता है. जि सका असर लोगों के जेहन में लंबे समय तक बना रहता है. पर रंग-मंच पर दिखाये जाने वाले करेक्टर और उनका मेकओवर इतना भी आसान नहीं होता है, जो कहानी की सीन को बयां कर सके. पटना में एक ऐसे ही मेकअप मैन हैं, जो अपने मेकअप की कला से रंगमंच की प्रस्तुति यों को जीवंत बना डालते हैं.
बिहार में मेकअप आर्टिस्ट के रूप में बच्चन लाल एक जाना पहचाना नाम है. वह 62 वर्ष से मेकअप के क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रहे हैं. गांधी मैदान में हीरा लाल संन्स नामक उनकी दुकान है, जहां वह हरेक तरह के कलाकार की वेशभूषा का समान बेचते हैं. साथ ही कलाकरों की मांग के अनुरूप उनका मेकओवर भी करते हैं. उनकी दुकान 120 साल पुरानी है. यह बिहार का एकमात्र पहला शॉप रहा है, जहां कलाकारों के मेकअप का कच्चा मटेरियल उपलब्ध कराये जाते थे. बाद में रेडीमेड मेकअप सामान मि लने लगे.आर्टिस्टों के मेकअप के लि ए अलग से रंग -रोगन के रेडीमेड सामान और अलग -अलग कॉस्ट्यूम इनके दुकान की खास बात है.
मेकअप ऐसा की जीवंत हो जाता है किरदार
1956 में पृथ्वी राजकपुर के थियेटर शो देखने के बाद थियेटर और मेकअप मैन की दुनिया में कैरियर बनाने वाले बच्चन बताते हैं कि पृथ्वी राज कपूर जब पटना आये और उनके थियेटर शो को देखने का मौका मिला. वहीं, से मेरी जि दंगी रंगमंच से जुड़ गयी और अभिनय और मेकअप आर्टिस्ट के क्षेत्र में आने के लि ए प्रेरित कि या. वे बातते हैं कि मंच पर राम जी के चेहरे का तेज देखकर सबकी आंखें चमक उठती हैं, रावण का भयानक अवतार देखकर हर कोई कांप जाता है, वहीं हनुमान की शांत भाव-भंगिमा सबको भा जाती है. किरदार और दर्श कों के बीच के बनने वाले अहसास के इस रिश्ते को सिर्फ कलाकार ही नहीं मजबूत करता, बल्कि पर्दे के पीछे भी कोई अहम किरदार निभाता है. अगर कलाकार अपनी अदाकारी से इस रिश्ते की नींव रखता है तो उन्हें सजाने वाले मेकअप आर्टस्टि अपनी कोशिशों से उस नींव को मजबूत बनाता है. मंच पर भले ही कलाकार की छवि के आगे उनका जिक्र न के बराबर होता हो लेकि न उनकी कोशि शों को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता. कलाकार मंच पर पसीना बहाते हैं तो मेकअप आर्टस्टि पर्दे के पीछे कलाकारों को तैयार करने में घंटों पसीना बहाते हैं.
रावण व हनुमान के भाव लाने में होती है मुश्किल
बच्चन बताते हैं कि रंगमंच की शुरुआत रामलीला के रूप में हुई है. यहीं से कलाकरों के मेकअप का दौर भी शुरू हुआ है.पहले रंगमंच के कलाकरों के मेकअप में तीन रंगों का प्रयोग कि या जाता था. सफेद रंग राजा के लिए प्रयोग होता था, तो गुलाबी रंग से महिलाओं के लिये . वहीं , विलेन के लि ए काला रंग का इस्तेमाल कि या जाता था. बाद पेंट का इस्तेमाल होने लगा. ग्रीस पेंट से मेकअप मटेरियल तैयार किया जाने लगा. वे बताते हैं कि सभी किरदारों के मेकअप में अहति यात बरतनी पड़ती है लेकिन हनुमान और रावण के मेकअप में वक्त और अहतियात दोनों बढ़ जाती हैं. चूंकि रावण और हनुमान के किरदार दर्शकों को खास पसंद आते हैं इसलिए इनके मेकअप में सबसे ज्यादा ध्यान देना पड़ता है. रावण को क्रोधी, महादेव भक्त और उसके चेहरे पर राक्षसी हाव-भाव दिखाने के लिए उसका मेकअप ब्राइट करना पड़ता है. उसी तरह हनुमान को शांत, निडर और ताकतवर दिखाना भी कि सी चुनौती से कम नहीं है. कलाकार की अदायगी के साथ ही उसका मेकअप भी काफी अहम होता है.