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इन उपायों से दूर होगा मेमोरी लॉस प्रॉब्‍लम

डॉ सुमित सिंह डायरेक्टर न्यूरोलॉजी अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम हममें से अधिकांश लोगों में भूलने की समस्या उम्र के साथ बढ़ती जाती है. 65 वर्ष से अधिक उम्र के ज्यादातर लोगों का कहना होता है कि युवावस्था की तुलना में अब चीजें याद नहीं रहतीं. वृद्धावस्था में इसे लोग सामान्य रूप से […]

डॉ सुमित सिंह
डायरेक्टर न्यूरोलॉजी
अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम
हममें से अधिकांश लोगों में भूलने की समस्या उम्र के साथ बढ़ती जाती है. 65 वर्ष से अधिक उम्र के ज्यादातर लोगों का कहना होता है कि युवावस्था की तुलना में अब चीजें याद नहीं रहतीं. वृद्धावस्था में इसे लोग सामान्य रूप से लेते हैं, मगर यह समस्या उम्र बढ़ने के कारण ही हो रही हो, यह जरूरी नहीं.
कई बार इससे भी कम उम्र के लोगों में भूलने की समस्या अलग-अलग कारणों से हो सकती है, जिनके लक्षण अल्जाइमर्स या ऐसी ही अन्य रोगों के भी हो सकते हैं. डिमेंशिया इनमें से एक है. याददाश्त संबंधी इन समस्याओं को उपचार से ठीक किया जा सकता है.
इस पर विस्तृत जानकारी दे रहे हैं हमारे विशेषज्ञ.
भूलने की शिकायत हर व्यक्ति को होती है. कार या बाइक की चाबी रख भूल जाना, किराने की दुकान पर जाकर ये भूल जाना कि लेने क्या आये थे, मोबाइल उठाकर यह भूल जाना कि कॉल किसको करना था आदि. यदि इन सवालों का जवाब हां है, तो आप अकेले ऐसे नहीं हैं. भावशून्यता का यह सिलसिला जीवनभर चलता रहता है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, याददाश्त कमजोर होती जाती है, लेकिन ऐसा किसी भी उम्र में हो सकता है.
हममें से अधिकांश लोगों में भूलने की समस्या उम्र के साथ-साथ बढ़ती जाती है. 65 वर्ष से अधिक उम्र के ज्यादातर लोगों का कहना होता है कि युवावस्था की तुलना में अब चीजें याद नहीं रहतीं. वृद्धावस्था में इस समस्या को लोग सामान्य रूप से लेते हैं, मगर यह समस्या उम्र बढ़ने के कारण ही हो रही हो, यह जरूरी नहीं. चूंकिआप वृद्धावस्था के दौरान पर्याप्त दिमागी कसरत नहीं करते, इसलिए यह परेशानी अधिक होती है.
स्मृति को इस प्रकार समझें
स्मृति कई रूपों में होती है. हम जानते हैं कि हम अपनी स्मृति को संग्रहित कर रहे हैं, लेकिन वह जानकारी क्या है और हम उसे कितनी देर तक याद रख पाते हैं, यह स्मरण शक्ति पर निर्भर करता है. स्मृति की सबसे बड़ी श्रेणी शॉर्ट टर्म मेमोरी या वर्किंग मेमोरी और लॉन्ग टर्म मेमोरी है, जो स्मृति के संग्रहित होने के समय की मात्रा पर निर्भर करता है. स्मृति या मेमोरी तीन प्रकार की होती हैं :
इमीडिएट मेमोरी : यह शॉर्ट टर्म मेमोरी से बिल्कुल अलग नहीं है. यह मेमोरी आंशिक परिणामों को पाने के काम में आती है, जब हम कागज पर अंकगणित से संबंधित सवाल हल कर रहे हों, लंबे भाषण को तर्कपूर्ण तरीके से एक साथ जोड़ना हो या केक बनाने की सभी सामग्री.
इंटरमीडिएट या शॉर्ट टर्म मेमोरी : शॉर्ट टर्म मेमोरी का संबंध आरंभिक मेमोरी से है और यह शब्द इंसानी दिमाग की क्षमता को परिलक्षित करता है कि वह सीमित मात्रा में अस्थायी रूप से कितनी देर तक जानकारियों को संरक्षित रख सकता है. शॉर्ट टर्म मेमोरी को तंत्रिका की गतिशीलता से भी जोड़कर देखा जाता है.
रिमोट या लॉन्ग टर्म मेमोरी : लॉन्ग टर्म मेमोरी जानकारियों का विस्तृत भंडार होती है और पहले घट चुकी घटनाओं का रिकॉर्ड भी. इसके अस्तित्व को लेकर कई सैद्धांतिक विचार हैं. वैसे इसे नकारना मुश्किल है कि हरेक सामान्य व्यक्ति की अपनी क्षमता होती है, लॉन्ग टर्म मेमोरी का कोई पूर्ण सिद्धांत या तरीका नहीं है.
डिमेंशिया का सबसे सामान्य रूप है
अल्जाइमर
माइल्ड कॉग्नेटिव इम्पेयरमेंट (एमआइसी)
एमआइसी के लक्षणों में जरूरी अवसरों और चीजों का भूल जाना शामिल है और इन्हें शब्दों को बोलने में परेशानी महसूस होती है. परिवार व दोस्तों को एमआइसी के मरीजों में स्मृति के खोने के लक्षण नजर आ सकते हैं और इसके मरीजों को अपनी खोती स्मृति को लेकर चिंतित होते हुए देखा जा सकता है. इन चिंताओं के कारण ही मरीज डॉक्टर से इलाज के लिए प्रेरित हो सकता है.
हो सकते हैं कई अन्य कारण : कई लोग विस्मृति को अल्जाइमर्स का शुरुआती लक्षण मानते हैं, मगर ये लक्षण अल्जाइमर्स जैसी कोई गंभीर परेशानी से जुड़े हों, यह जरूरी नहीं है. ये अन्य गंभीर समस्याओं जैसे स्यूडोडिमेंशिया, बुद्धि संबंधी विकार या डिमेंशिया के भी लक्षण हो सकते हैं.
याददाश्त संबंधी समस्याएं स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याओं के कारण हो सकती हैं, जिनका उपचार किया जा सकता है. उदाहरण के लिए दवाओं के साइड इफेक्ट्स, विटामिन बी12 की कमी,शराब पीने की पुरानी लत, ब्रेन में ट्यूमर या इन्फेक्शन या ब्रेन में ब्लड क्लॉटिंग याददाश्त जाने के कारण हो सकते हैं.
स्यूडोडिमेंशिया : भावनात्मक परेशानियां जैसे तनाव, एंजाइटी या अवसाद के कारण लोगों में भूलने की परेशानी और बढ़ सकती है और इसे डिमेंशिया के रूप में पहचाने की गलती हो सकती है.
उदाहरण के लिए, यदि कोई हाल ही में सेवानिवृत्त हुआ हो, पति या पत्नी, रिश्तेदार या दोस्त की मौत के सदमे से उबरने की कोशिश कर रहा हो, उसे उदासी, अकेलापन, चिंता जैसी महसूस हो सकती है. जीवन में आये इन बदलावों से निबटने में कुछ लोग भ्रमित हो जाते हैं या उन्हें विस्मृति की समस्या हो जाती है.
डिमेंशिया : इसके कारण सोचने की क्षमता, स्मृति और तार्किक क्षमता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जिससे व्यक्ति अपने रोजमर्रा के कामों को करने में भी अक्षम हो जाता है. डिमेंशिया खुद में कोई बीमारी नहीं, बल्कि अल्जाइमर्स या ऐसी ही बीमारियों के कारण होनेवाले लक्षणों का समूह है. डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति की मानसिक क्षमता प्रभावित हो जाती है.
प्रस्तुति : सौरभ चौबे
अल्जाइमर्स को दूर रखेगा दिमागी कसरत
डॉ उन्नति कुमार
वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ,
कानपुर
अल्जाइमर्स के कारण दिमाग की कोशिकाओं की कसरत नहीं हो पाती या सुस्त पड़ जाती है. इसकी वजह से व्यक्ति को पुरानी बातें तो याद रहती हैं, मगर रोजमर्रा की बातें भूलने लगते हैं. सामान्यत: यह बीमारी 45 के बाद शुरू होती है, पर 60-65 साल की उम्र के बाद इसका असर बढ़ने लगता है. यह दिमागी कसरत कम या न करने का नतीजा है. इसमें कई कारक काम करते हैं, जैसे-बातचीत, मानसिक सेहत आदि.
अल्जाइमर्स के असर को इस प्रकार किया जा सकता है कम :
कंपंसेशन : रोजाना काम का नोट बनाएं. डायरी या फोन में काम को नोट करें. निर्धारित समय का रिमाइंडर लगाएं. याददाश्त पर जोर डालने की कोशिश करें जैसे-सामान के लिस्ट को याद रखना, कुछ फोन नंबर याद रखना, कुछ मुश्किल बातें याद रखना. बच्चों चेस या अन्य फिजिकल गेम खेलना. पजल और स्ट्रेटजी गेम से दिमाग का व्यायाम होता है. जिग्सा पजल, शतरंज या स्क्रैबल खेलें, पत्ते और नंबर का खेलें. ये खेल लैपटॉप और फोन पर भी खेल सकते हैं.
ढ़ूंढ़े सवालों के जवाब :
किसी मुद्दे पर कौन, क्या, कहां, कब, क्यों और कैसे के बारे में सोचें. ये आदत आपके नजरिये को बदलेगी और याददाश्त को मजबूत बनायेगी. साथ ही आप व्यर्थ के कार्यों में अपना समय नहीं गवायेंगे.
कारगर है भाग-दौड़ भरी जीवनशैली
आम तौर पर हम ये ही सुनते आ रहे हैं कि हमारी व्यस्त जीवनशैली में कई रोगों का कारण है, पर इसका एक सकारात्मक असर ये है कि इस जीवनशैली आइटी, मेडिकल या मीडिया यानी कॉरर्पोरेट सेक्टर के लोगों डिमेंशिया होने का खतरा कम होता है क्योंकि अपेक्षाकृत ये दिमागी कार्य अधिक करते हैं.
एल्जाइमर्स, डिमेंशिया अधेड़ावस्था और बुजुर्गावस्था में होनेवाला ऐसा रोग है, जिसमें रोगी की स्मरण शक्ति गंभीर रूप से कमजोर हो जाती है. उम्र बढ़ने के साथ इस रोग का असर भी बढ़ता है और याददाश्त क्षीण होने लगती है. रोगी की सूझबूझ, भाषा, व्यवहार और उसके व्यक्तित्व पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इसलिए उनको देखभाल की अधिक जरूरत होती है.
कुछ आम लक्षण
– जरूरत का सामान जैसे चाबी, बटुआ या कपड़े कही रखकर भूल जाना.
– लोगों का नाम, पता या नंबर भूल जाना.
– रोग की चरम अवस्था में रोगी खाना खाने के बाद भी भूल जाता है कि उसने खाना खाया है या नहीं. कई बार इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अपने ही घर के सामने भटकते रहते हैं, लेकिन घर नहीं ढूंढ़ पाते.
– दैनिक कार्य जैसे- खाना बनाना, रिमोट या मोबाइल आदि चलाने में असमर्थता.
– बैंक के कार्य जैसे पैसे निकालने या जमा करने में असमर्थता.
– गंभीर रोगी नित्य क्रिया के कार्य जैसे- कमीज का बटन या पैजामा का नाड़ा बांधना भी भूल जाते हैं.
व्यवहार परिवर्तन : अत्यधिक चिड़चिड़ापन, बेवजह शक करना, अचानक रोने लगना या बेचैनी महसूस करना. एक ही काम को अनेक बार करना या एक ही बात को बार-बार पूछते रहना. बात करते समय रोगी को सही शब्द, विषय व नाम ध्यान में नहीं रहना. रोगी की भाषा अटपटी व अधूरी महसूस होती है.
इलाज : कुछ दवाएं उपलब्ध हैं, जिनके सेवन से ऐसे रोगियों की याददाश्त और उनकी सूझ-बूझ में सुधार होता है. दवाइयां डॉक्टर की सलाह पर नियमित लें. कई बार परिजन रोग के लक्षणों को वृद्धावस्था की स्वाभाविक खामियां मान कर इलाज नहीं कराते, जो कई बार जानलेवा साबित हो सकता है. क्योंकि सीधे तौर पर तो रोग जानलेवा नहीं है, पर भूल जाने के कारण किये गये कार्य जानलेवा हो सकते हैं. दवाओं के साथ परिजनों द्वारा खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. साथ ही विशेष केयर की जरूरत भी होती है.
रोगी से संवाद : रोगी की देखभाल के दौरान उसके साथ पूर्ण संवाद बनाये रखना जरूरी है. रोगी को घर के लोग बताते रहें कि समय क्या हुआ है, घर में कौन आया है और आप उसके लिए क्या करने जा रहे हैं. आपके सहयोग से काफी सुधार देखने को मिलेगा.
बातचीत : दीपा श्रीवास्तव, बेंग्लुरु
इस तरह रखें खास ख्याल
अल्जाइमर्स से रोगी की स्मरण शक्ति के साथ सूझ-बूझ भी प्रभावित होती है. ऐसे में उन्हें और उनके परिजनों को अनेक प्रकार की व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. हर समस्या का इलाज दवा के रूप में नहीं मिलता. कुछ व्यावहारिक तरकीब उनके और परिवार के लिए उपयोगी होते हैं.
रोगी का कमरा
– कमरा खुला व हवादार हो. दिन में खिड़की से पर्दे हटा दें, ताकि उन्हें दिन-रात का अंदाजा होता रहे.
– दीवार पर बड़े अंकोंवाला कैलेंडर व घड़ी टांगें.
– कमरे में परिजनों के फोटो फ्रेम करके लगाएं.
– रोगी के जीवन से जुड़ी स्मरणीय घटनाओं से संबंधित चित्रों व चिह्नों को कमरे में सजाएं.
– किताब, चश्मा, कलम आदि जरूरत की सामग्री सुनिश्चित जगह पर रखें. बार-बार उपयोग की जानेवाली चीजें निश्चित स्थान पर ही रखें. ऐसा करने से वे भ्रमित कम होते हैं.
दिनचर्या
– रोगी की दिनचर्या को सहज व नियमित रखने का प्रयास करें.
– दैनिक कार्य जैसे- नहाना, ब्रश करना व भोजन की व्यवस्था निश्चित समय पर करें. इससे उनको समय का अंदाजा होता रहता है.
भोजन
– रोगी जो भोजन करते हैं, उन्हें हर बार वही भोजन देने का प्रयास करें.
– भोजन का समय सुनिश्चित रखें.
– खाना परोसते समय रोगी को बताएं कि भोजन में क्या-क्या है? कौन-सी सब्जी और दाल बनायी है. मीठा क्या है और क्या गर्म है?
ऐसे रखें ख्याल
– रोगी अक्सर गिर पड़ते हैं और चोटिल हो जाते हैं. इसलिए रोगी को मजबूत व स्थिर छड़ी या वॉकर दें.
– अक्सर रोगी घर से बाहर निकल जाते हैं और भटक जाते हैं. ऐसे में उनकी जेब में पहचान पत्र रख दें और उन्हें फोन नंबर लिखा हुआ लॉकेट पहनाएं.
– रोगी बटन लगाने या नाड़ा बांधने में उलझ जाते हैं. ठीक से कपड़े नहीं पहन पाते. इसलिए बटन रहित कुर्ता या टी-शर्ट व नाड़ा रहित इलास्टिक युक्त पाजामा पहनाएं.
डिमेंशिया को रोकने के लिए जरूरी चीजें
यदि आपको या किसी और को याददाश्त से जुड़ी गंभीर समस्या महसूस हो, तो अपने डॉक्टर से बात करें. जरूरत लगे, तो वे न्यूरोलॉजिस्ट के पास जाने की सलाह दे सकते हैं. जो लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, उन्हें समस्या को आगे बढ़ने से रोकने के लिए पहले से ही कदम उठाने चाहिए. इसके तहत रक्तचाप को नियंत्रित करना, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज के उच्च स्तर को नियंत्रित करना और उसका इलाज कराना, धूम्रपान से परहेज करने जैसे उपाय शामिल हैं. परिवार के सदस्य और दोस्त डिमेंशिया के शुरुआती लक्षणों में उनके रोजमर्रा के कार्यों को व्यवस्थित करके, शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त रखकर और लोगों से मेलजोल बढ़ा कर उनकी मदद कर सकते हैं.

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