Vidur Niti: महाभारत में विदुर ने धर्म, नीति, राजनीति और जीवन के आचरण से जुड़े कई ऐसे सूत्र बताए हैं जो व्यक्ति को सफलता, सम्मान और स्थिरता की राह दिखाते हैं. इस श्लोक में विदुर ने तीन ऐसे दोष बताए हैं जो व्यक्ति के पतन का कारण बनते हैं.
विदुर नीति के श्लोक में कहा गया है –
हरणं च परद्रव्यम् परदाराभिमर्शनम्।
सुहृदक्ष परित्यागश्च ये दोषाः क्षयवाहाः॥”
इसका अर्थ है कि – दूसरे के धन का हरण (चोरी करना), दूसरे की स्त्री के साथ संबंध बनाना, और अपने सच्चे मित्र या शुभचिंतक का त्याग करना – ये तीनों ही दोष ऐसे हैं जो व्यक्ति का नाश कर देते हैं.
Vidur Niti: इन तीन बुराइयों में लिप्त आदमी का होता है विनाश
विदुर कहते हैं कि जो व्यक्ति इन तीन बुराइयों में लिप्त होता है, उसका जीवन धीरे-धीरे विनाश की ओर बढ़ने लगता है. दूसरे के धन पर लोभ रखने से व्यक्ति की ईमानदारी खत्म हो जाती है, परस्त्री के प्रति आकर्षण उसके चरित्र को नष्ट करता है, और सच्चे मित्र का त्याग उसे अकेला और असहाय बना देता है.
विदुर नीति का यह श्लोक सिखाता है कि दूसरों के अधिकारों का सम्मान करना, अपने संबंधों में निष्ठावान रहना और सच्चे मित्रों का साथ निभाना जीवन में स्थिरता और सफलता के लिए आवश्यक है. जो व्यक्ति इन सिद्धांतों का पालन करता है, वह सदैव सम्मान और सुख का अधिकारी बनता है.
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