Vidur Niti: महाभारत के समय महात्मा विदुर ने जीवन को सफल बनाने और धर्म मार्ग पर चलने के लिए कई नीतियां बताई थीं. उनकी नीतियान आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं. विदुर नीति में ऐसे लोगों का वर्णन किया गया है, जो चाहकर भी खुशहाल जीवन नहीं जी पाते. आइए जानते हैं कि कौन से हैं ये 6 प्रकार के लोग और क्यों ये हमेशा दुखी रहते हैं.
जो व्यक्ति ईर्ष्या, घृणा, असंतोष, क्रोध, शंका और दूसरों के भाग्य पर आश्रित जीवन जीता है, वह कभी सुखी नहीं रह सकता.
– विदुर नीति
Vidur Niti: 6 प्रकार के लोग रहते है हमेशा दुखी, कहीं आप भी तो नहींं इनमें शामिल
1. ईर्ष्या करने वाला
जो व्यक्ति हर समय दूसरों की सफलता, संपत्ति और सुख देखकर जलता है, वह कभी संतुष्टि नहीं पा सकता. ईर्ष्या मनुष्य के मन की शांति छीन लेती है और उसे भीतर से कमजोर बनाती है.
2. घृणा करने वाला
विदुर के अनुसार, दूसरों के प्रति घृणा की भावना रखने वाला व्यक्ति खुद के मन में नकारात्मकता भरता है. ऐसा इंसान किसी से प्रेम नहीं कर पाता और न ही दूसरों का स्नेह प्राप्त करता है. नतीजा यह होता है कि उसका जीवन हर समय अशांति से भरा रहता है.
3. असंतुष्ट व्यक्ति
जो व्यक्ति हमेशा असंतुष्ट रहता है, चाहे उसे कितना भी अच्छा क्यों न मिल जाए, वह कभी सुखी नहीं हो सकता. असंतोष मनुष्य को अंदर ही अंदर खोखला कर देता है और उसका जीवन शिकायतों से घिरा रहता है.
4. क्रोधी व्यक्ति
क्रोध इंसान की बुद्धि को नष्ट कर देता है. बार-बार गुस्सा करने वाला व्यक्ति अपने रिश्ते, काम और प्रतिष्ठा सब कुछ खो सकता है. विदुर कहते हैं कि क्रोधी व्यक्ति जीवनभर दुख और पछतावे से घिरा रहता है.
5. शंका करने वाला
हर समय दूसरों पर शंका करने की आदत रिश्तों में दरार डालती है. शंकालु व्यक्ति कभी भी भरोसे से किसी से जुड़ नहीं पाता और उसके मन की शांति हमेशा भंग रहती है.
6. दूसरों के भाग्य पर जीने वाला
जो व्यक्ति मेहनत करने की बजाय दूसरों के भाग्य और कमाई पर निर्भर रहता है, वह कभी आत्मनिर्भर नहीं हो सकता. ऐसे लोग जीवनभर हीनभावना और दुख से घिरे रहते हैं.
विदुर नीति हमें सिखाती है कि सच्चा सुख पाने के लिए मनुष्य को ईर्ष्या, घृणा, असंतोष, क्रोध और शंका से बचना चाहिए. साथ ही मेहनत करके अपने जीवन को संवारना ही वास्तविक खुशी का मार्ग है.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

