Sadhguru Tips: आजकल फैशन के दौर में बच्चों के लिए बाजार में तरह-तरह के डिजाइनर कपड़े मौजूद हैं. इनमें से अधिकतर कपड़े सिंथेटिक (Synthetic Clothes) यानी कृत्रिम धागों से बने होते हैं. हालांकि, प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु Sadhguru का मानना है कि बच्चों को सिंथेटिक कपड़े पहनाने से उनके शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है. सिंथेटिक कपड़े भले ही आकर्षक और सस्ते हों, लेकिन ये बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं.
Disadvantages of Synthetic Clothes for Kids: सिंथेटिक कपड़ों से बच्चों को होने वाले नुकसान
1. त्वचा से संबंधित समस्याएं

सिंथेटिक कपड़े अक्सर पॉलिएस्टर, नायलॉन और अन्य कृत्रिम रसायनों से बनाए जाते हैं. ये कपड़े त्वचा को सांस लेने का मौका नहीं देते, जिससे बच्चों को पसीने की समस्या, खुजली और रैशेज हो सकते हैं. सद्गुरु के अनुसार, बच्चों की त्वचा कोमल और संवेदनशील होती है, ऐसे में सिंथेटिक कपड़ों से उनकी त्वचा पर जलन और एलर्जी हो सकती है.
2. शारीरिक तापमान का असंतुलन

सिंथेटिक कपड़े गर्मियों में शरीर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देते और सर्दियों में गर्माहट नहीं बनाए रखते. इससे बच्चों के शरीर का तापमान संतुलित नहीं रहता, जिससे बीमारियां हो सकती हैं. सद्गुरु बताते हैं कि प्राकृतिक कपड़े जैसे कपास (cotton) और ऊनी कपड़े (wool) बच्चों के शरीर को प्राकृतिक रूप से तापमान संतुलित रखने में मदद करते हैं.
3. मनोवैज्ञानिक प्रभाव

सद्गुरु के अनुसार, बच्चों का मानसिक और मनोवैज्ञानिक विकास भी उनके पहनावे पर निर्भर करता है. जब बच्चे आरामदायक और प्राकृतिक कपड़े पहनते हैं, तो वे खुश और सक्रिय रहते हैं. वहीं, सिंथेटिक कपड़े पहनने से बच्चों में चिड़चिड़ापन, तनाव और असहजता महसूस हो सकती है, जिससे उनके व्यवहार में बदलाव देखने को मिलता है.
4. ऊर्जा प्रवाह में बाधा

सद्गुरु मानते हैं कि शरीर में ऊर्जा का एक प्राकृतिक प्रवाह होता है, जिसे प्राण ऊर्जा कहते हैं. जब बच्चे सिंथेटिक कपड़े पहनते हैं, तो यह ऊर्जा बाधित हो जाती है. इससे बच्चों की एकाग्रता और मानसिक शांति पर असर पड़ता है. प्राकृतिक कपड़े शरीर की ऊर्जा को संतुलित रखते हैं, जिससे बच्चे सकारात्मक और ऊर्जावान बने रहते हैं.
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बच्चों को पहनाएं प्राकृतिक कपड़े
- कॉटन (Cotton): गर्मियों में बच्चों के लिए सबसे बेहतर विकल्प. यह त्वचा को सांस लेने देता है और पसीना सोखता है.
- खादी (Khadi): खादी का कपड़ा न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि बच्चों के शरीर को ठंडा और आरामदायक रखता है.
- ऊनी कपड़े (Wool): सर्दियों में बच्चों को ठंड से बचाने के लिए ऊनी कपड़े सबसे उपयुक्त होते हैं. ये शरीर की गर्माहट को बनाए रखते हैं.
सद्गुरु के अनुसार, बच्चों का स्वास्थ्य और मानसिक विकास उनके पहनावे से भी प्रभावित होता है. इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को सिंथेटिक कपड़े पहनाने की बजाय कपास, खादी और ऊनी कपड़ों को प्राथमिकता दें.
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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.