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Parenting Tips: क्यों बच्चों को नहीं सोना चाहिए मां-बाप के साथ? जानें इससे होने वाले नुकसान

Parenting Tips: अगर आप अपने बच्चों को एक उम्र के बाद भी अपने साथ सुलाते हैं तो आगे चलकर आपके बच्चे के लिए यह काफी बुरा साबित हो सकता है. आज हम आपको इससे होने वाले नुकसानों के बारे में बताने जा रहे हैं.

Parenting Tips: छोटे बच्चों का मां-बाप के साथ सोने काफी आम बात है. हर माता-पिता अपने बच्चे का ख्याल रखने के लिए और उसके साथ रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए उसे एक उम्र तक अपने साथ ही सुलाते हैं. बता दें जब बच्चे अपने माता-पिता के साथ सोते हैं तो इससे वे और बेहतर तरीके से इमोशनल तौर पर उनसे जुड़ पाते हैं. बता दें अगर आपके बच्चे की उम्र 10 साल से कम है तो ही आपको उसे अपने साथ सुलाना चाहिए लेकिन अगर उसकी उम्र 10 साल से ज्यादा है तो आपको उसे कभी भी अपने साथ नहीं सुलाना चाहिए. जब आप इस उम्र के बाद भी उसे अपने साथ सुलाते हैं तो उसके मेंटल ग्रोथ पर काफी बुरा असर पड़ता है. आज की यह आर्टिकल उन पैरेंट्स के लिए काफी काम की होने वाली है जो अपने बच्चे को बड़े होए जाने के बावजूद भी साथ सुलाते हैं. आज हम आपको बताने वाले है कि आखिर क्यों आपको अपने बच्चे को एक उम्र के बाद अपने साथ नहीं सुलाना चाहिए. आखिर आपके ऐसा करने से उसे कौन से नुकसान हो सकते हैं. तो चलिए जानते हैं विस्तार से.

कॉन्फिडेंस हो जाता है कम

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा जीवन में तरक्की करे तो ऐसे में उसके अंदर कॉन्फिडेंस होना बेहद ही जरूरी है. जब आप अपने बच्चे को बड़े हो जाने के बाद भी अपने साथ ही सुलाते हैं तो उसमें कॉन्फिडेंस बिल्ड नहीं हो पाता है. अगर आप चाहते हैं की आपके बच्चे में कॉन्फिडेंस बिल्ड हो तो उसे एक अलग कमरा दें और बिस्तर भी. अगर आपका बच्चा बड़ा हो गया है तो उसे अकेले सोने के लिए मोटिवेट करें. आपके ऐसा करने से वह अकेले सोने में डरेगा भी नहीं और उसमें कॉन्फिडेंस भी भरी होगी.

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मन में रह जाता है डर

अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे के मन से सभी डर दूर हो जाए तो ऐसे में आपको उसे अकेले सोने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. जब बच्चे आपके साथ सोते हैं तो उसे एक सुरक्षा का अनुभव होता है जिससे उनके मन से डर को निकलने में काफी ज्यादा समय लग जाता है. वहीं, जब बच्चा अकेले सोता है तो उसके मन से अकेलेपन का डर निकल जाता है. जब ऐसा होता है तो आपका बच्चा ज्यादा स्ट्रांग बनता है.

प्राइवेसी की समझ नहीं रहती

बच्चों को दस साल की उम्र के बाद प्राइवेसी की समझ होने लगती है. वे सभी चीजों पर ध्यान देने लगते हैं और उनके दिमाग में बातें बैठने भी लगती है. यहीं कारण है कि जब आप उसे दस साल की उम्र के बाद भी अपने साथ ही सुलाते हैं तो उसमें प्राइवेसी की समझ नहीं रह जाती है. प्राइवेसी के महत्व को समझने के लिए आपको उसे अकेले सुलाना शुरू कर देना चाहिए.

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