Parenting Tips: छोटे बच्चों में डर या फिर फोबिया होना एक आम बात है जिस वजह से अक्सर पैरेंट्स इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं. सिर्फ छोटे बच्चे ही नहीं जब बच्चे किशोरावस्था में होते हैं वे तब भी कुछ चीजों से डरते हैं या फिर उनमें फोबिया के लक्षण दिखाई देते हैं. चाहे वह अंधेरा हो, ऊंचाई हो, जानवर, भीड़ या नया माहौल. हालांकि, जब ये डर बहुत ज़्यादा बढ़ जाए तो यह उनके सेल्फ कॉन्फिडेंस और डेली एक्टिविटीज को अफेक्ट कर सकता है. कई बार बच्चे अपने डर को पैरेंट्स के सामने जाहिर नहीं कर पाते और उसे छिपाते हैं, जिससे पैरेंट्स के लिए समस्या को समझना और भी मुश्किल हो जाता है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि बच्चों के डर की असली वजह क्या है, और उसे कैसे प्यार, पेशेंस और सही तरीके से दूर किया जा सकता है. इस आर्टिकल में हम आसान और इफेक्टिव उपाय शेयर करेंगे, जो बच्चों को धीरे-धीरे उनके डर पर काबू पाने में मदद करेंगे. तो चलिए जानते हैं विस्तार से.
डर को पहचानें और समझें
एक्सपर्ट्स के अनुसार सबसे पहले बच्चों के डर को पहचानना बहुत जरूरी है. अगर आप बच्चे के डर की वजह जानना चाहते हैं तो उनसे धीरे-धीरे और अपनेपन से बातें करें. अपने बच्चों को यह महसूस कराएं कि उनके अंदर का डर एक आम बात है और इसमें उन्हें शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है. उदाहरण के लिए, अगर आपके बच्चे कोअंधेरे से डरता लगता है, तो उससे पूछें कि अंधेरे में वह कौन सी चीज है जो उसे सबसे ज्यादा डराती है. इस तरह आप डर की असली वजह समझ पाएंगे और सही उपाय अपना पाएंगे.
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धीरे-धीरे डर का सामना कराएं
एक्सपर्ट्स के अनुसार बच्चे में दिल और दिमाग में दबे डर को दूर करने का सबसे असरदार तरीका है धीरे-धीरे बच्चे का उस डर से सामना कराना. इसे छोटे-छोटे स्टेप्स में बांट लें और आगे बढ़ें. अगर आपका बच्चा अंधेरे से डरता है तो शुरुआत में उसे हल्की रोशनी वाले कमरे में अकेला छोड़ दें. इस बात का ख्याल रखें कि रोशनी धीरे-धीरे कम करें ताकि बच्चा महसूस करे कि यह अंधेरा खतरनाक नहीं है. इसी तरह, ऊंचाई, कुत्ते या भीड़ का डर हो तो छोटे-छोटे प्रैक्टिस और भरोसा दिलाकर बच्चे को हौसला दें.
पॉजिटिव रिएनफोर्समेंट और तारीफ
जब बच्चा अपने डर का सामना करता है, तो उसकी तारीफ करना बहुत जरूरी है. इससे उसका कॉन्फिडेंस बढ़ता है और उसके अंदर का डर धीरे-धीरे कम होने लगता है. आपको अपने बच्चे के छोटे-छोटे हौसले के लिए भी उसकी तारीफ करनी चाहिए. उदाहरण के लिए, अगर आपका बच्चा अंधेरे कमरे में अकेले रह लेता है या बिना डरे कुछ समय बिता लेता है तो आपको उनसे कहना चाहिए कि, ‘ तुमने अंधेरे में अकेले कमरे में जाना बहुत बहादुरी दिखाई.’
डर पर खुलकर बातचीत करें
एक्सपर्ट्स के अनुसार आपको बच्चों से उनके डर के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए. इस मुद्दे को मजाक या डांट का विषय नहीं बनाना चाहिए. आप कहानी, खेल या फोटोज का इस्तेमाल करके भी डर को समझने और दूर करने में बच्चे की मदद कर सकते हैं. बच्चों को यह एहसास दिलाएं कि डर को महसूस करना आम बात है, लेकिन इससे हम सीख सकते हैं और धीरे-धीरे स्ट्रॉन्ग बन सकते हैं.
प्रोफेशनल हेल्प लेने से हिचकिचाएं नहीं
अगर आपके बच्चे का डर काफी गहरा है और उसकी जिंदगी को अफेक्ट कर रहा है, तो प्रोफेशनल हेल्प लेने में देर न करें. बच्चों के मेंटल हेल्थ को एक्सपर्ट्स और काउंसलर ही सही दिशा दिखा सकते हैं और सुरक्षित तरीकों से डर को कम करने में मदद कर सकते हैं.

