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International Women’s Day 2021: 08 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, क्या है इस साल का थीम और इसका इतिहास

International Women’s Day 2021, Theme, History, Importance, Significance, 08 March, Mahila Diwas: संस्कृत में कहा गया है कि 'नारी शक्ति शक्तिशाली समाजस्य निर्माणं करोति', जिसका मतलब है - नारी सशक्तिकरण ही किसी समाज को शक्तिशाली बना सकती है. यह बहुत हद तक सही भी है. जिस समाज में नारी को सम्मान मिला है, उसके हक की बात की गई है, वही समाज विकसित हो पाया है. आज की नारी हर एक क्षेत्र में अपने हुनर का परचम लहरा रही है. और उनके इसी आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के सम्मान हेतु ही 8 मार्च को पूरे विश्वभर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य है समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और उनके अधिकारों को बढ़ावा देना है. हर वर्ष यह नए थीम के साथ मनाया जाता है. आइए जानते हैं साल 2021 का महिला दिवस किस थीम के साथ मनाया जा रहा है, साथ ही साथ जानें क्या है इसका इतिहास....

International Women’s Day 2021, Theme, History, Importance, Significance, 08 March, Mahila Diwas: संस्कृत में कहा गया है कि ‘नारी शक्ति शक्तिशाली समाजस्य निर्माणं करोति’, जिसका मतलब है – नारी सशक्तिकरण ही किसी समाज को शक्तिशाली बना सकती है. यह बहुत हद तक सही भी है. जिस समाज में नारी को सम्मान मिला है, उसके हक की बात की गई है, वही समाज विकसित हो पाया है. आज की नारी हर एक क्षेत्र में अपने हुनर का परचम लहरा रही है. और उनके इसी आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के सम्मान हेतु ही 8 मार्च को पूरे विश्वभर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य है समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और उनके अधिकारों को बढ़ावा देना है. हर वर्ष यह नए थीम के साथ मनाया जाता है. आइए जानते हैं साल 2021 का महिला दिवस किस थीम के साथ मनाया जा रहा है, साथ ही साथ जानें क्या है इसका इतिहास….

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों में समानता बनाने के लिए समाज में जागरूकता लाना है. महिलाओं को समर्पित यह दिन पूरे विश्व में महिलाओं की उपलब्धियों का सम्मान करने का होता है साथ ही साथ उनके अधिकारों पर ध्यान देने का होता है. बेशक, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का वैश्विक उत्सव इस बात का सूचक है कि महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपने मेहनत के दम पर लोहा मनवाया है. पर आज भी कई ऐसे देश है जहां महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त नहीं है, बल्कि भारत में भी कई ऐसी कुरीतियों है जो महिलाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से पिछड़ी छोड़ रही है. महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले भी आए दिन सामने आते रहते हैं. इन्हीं सब को दूर करने के लिए हर साल पूरी दुनिया में यह दिन विशेष रूप से मनाया जाता है.

इस साल क्या है महिला दिवस की थीम ?

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष थीम के साथ मनाया जा रहा है. इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का थीम है वुमेन इन लीडरशिप: अचिविंग एन इक्वल फ्यूचर इन ए कोविड-19 वर्ल्ड” (‘Women in leadership: an equal future in a COVID-19 world’) की थीम पर मनाया जा रहा है. जाहिर है कि इस साल यह थीम COVID-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों, इनोवेटर आदि के रूप में दुनियाभर में लड़कियों और महिलाओं के योगदान को याद करते हुए प्रोत्साहन के तौर पर रखी गई है.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास

आपको बता दें कि सर्वप्रथम अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर वूमेन्स डे मनाने का प्रस्ताव रखा गया. पहली बार 28 फरवरी 1909 में इस दिवस को मनाया गया. जिसके बाद सन् 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के एक सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा देने की बात कही गयी. हालांकि, उस समय इस दिवस का मकसद कुछ और था. दरअसल, उस समय महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था. इसी परंपरा को समाप्त करने के लिए इस तिथि की शुरूआत हुई. सन् 1917 में सोवियत संघ ने इस दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया. फिर अन्य देशों ने भी धीरे-धीरे इस परंपरा को अपनाया.

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8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है महिला दिवस

आपको बता दें कि 8 मार्च को महिला दिवस मनाने के पीछे भी विशेष कारण है. दरअसल, रूसी महिलाओं ने अपने वोट के अधिकार को लेकर जिस समय हड़ताल किया, उनका हड़ताल इतना प्रभावी था रूस के जार को सत्ता छोड़ने पर मजबूर कर दिया. जिसके बाद वहां की अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट का अधिकार दिया. इस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चल रहा था जिसके अनुसार वह समय 1917 की फरवरी का आखिरी रविवार यानी 23 फरवरी था. जबकि, अन्य देशों में ग्रेगेरियन कैलेंडर का चलन था जिसके अनुसार उस दिन 8 मार्च की तिथि पड़ रही थी. तब से ही इसे 8 मार्च को मनाने की परंपरा शुरू हुई.

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