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Parenting Tips: क्या आपके बच्चे की बनाई ड्रॉइंग्स में छुपा है कोई गहरा सीक्रेट? जानें समझने का तरीका

Parenting Tips: ड्रॉइंग्स बच्चों का सीक्रेट लैंग्वेज हैं जिनमें उनका दिमाग और दिल दोनों की झलक मिलती है. अगर आप ध्यान से इन्हें समझेंगे तो न सिर्फ आप अपने बच्चे के मन की बात जान पाएंगे बल्कि उसे सही दिशा देने में भी मदद कर सकेंगे.

Parenting Tips: जब बच्चा पहली बार कागज पर रंग भरता है तो वह सिर्फ एक ड्रॉइंग नहीं होती, बल्कि उसके दिल और दिमाग की एक झलक होती है. बच्चों की बनाई हर लाइन, हर शेप और हर रंग उनके मन की अनकही बातों को बयां करता है. कई बार वे अपनी खुशी को चमकीले रंगों में उतारते हैं, तो कभी अपने डर या उदासी को गहरे रंगों के पीछे में छुपा देते हैं. ऐसे में पैरेंट्स के लिए यह समझना काफी जरूरी हो जाता है कि बच्चों की ड्रॉइंग्स केवल खेल या टाइमपास नहीं, बल्कि उनके इमोशन्स और थॉट्स का एक आईना होता है. अगर हम ध्यान से देखें, तो इन्हीं तस्वीरों में उनके दिमाग का असली सीक्रेट्स और उनके इमोशंस की सच्ची तस्वीर छुपी होती है. आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं कि आप किस तरह से अपने बच्चे के बनाये हुए ड्रॉइंग से उसके दिमाग में चल रही चीजों का पता लगा सकते हैं. चलिए जानते हैं विस्तार से.

रंग बताते हैं मूड और थिंकिंग

आपने गौर किया होगा कि कुछ बच्चे बार-बार गहरे रंग जैसे ब्लैक या ब्राउन का इस्तेमाल करते हैं जबकि कुछ बच्चे चमकीले रंगों का जैसे कि येल्लो, ब्लू या ग्रीन को ज्यादा पसंद करते हैं. रिसर्च के मुताबिक बच्चे अगर डार्क कलर्स ज्यादा इस्तेमाल करें तो यह उनके डर, उदासी या गुस्से की निशानी हो सकती है. वहीं, ब्राइट कलर्स का मतलब है कि बच्चा खुशमिजाज और पॉजिटिव थिंकिंग रखने वाला है.

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शेप और कैरेक्टर्स से क्या मिलता है मैसेज?

एक्सपर्ट्स के अनुसार अपने ड्रॉइंग्स में जिन शेप्स को बनाते हैं, वे भी उनके दिमाग के छिपे सीक्रेट्स को खोलने का काम करते हैं. जैसे अगर बच्चा बार-बार घर या परिवार की तस्वीर बनाता है तो इसका मतलब है कि उसे अपनी फैमिली से कनेक्शन और सिक्योरिटी की जरूरत है. वहीं, अगर वह ज्यादातर सुपरहीरो या फैंटेसी कैरेक्टर्स बनाता है तो यह उसकी इमेजिनेशन और क्रिएटिविटी की तरफ इशारा करता है.

साइज और डिटेल्स पर ध्यान दें

एक्सपर्ट्स की अगर मानें तो अगर बच्चे की ड्रॉइंग में किसी खास इंसान या चीज को बहुत बड़ा बनाकर दिखाया गया है तो समझ लीजिए कि वह इंसान या चीज उस बच्चे की जिंदगी में काफी ज्यादा मायने रखते है. वहीं, अगर बच्चा अपने ड्रॉइंग में बहुत सारी डिटेलिंग करता है तो यह उसकी ऑब्जर्वेशन पावर और फोकस्ड नेचर की तरफ इशारा करता है.

पैरेंट्स क्या कर सकते हैं?

सबसे जरूरी बात यह है कि माता-पिता या पैरेंट्स अपने बच्चों की ड्रॉइंग्स को जज न करें. अगर बच्चा गहरे रंग इस्तेमाल करता है तो उसे डांटे नहीं, बल्कि उससे प्यार से पूछें कि उसने ऐसा क्यों बनाया. इसी तरह, अगर वह कुछ अजीब या अलग शेप्स बनाता है तो इसे उसकी इमेजिनेशन ही समझें. बच्चों की ड्रॉइंग्स को समझना पैरेंट्स को उनके इमोशंस और बिहेवियर को बेहतर तरीके से जानने का मौका देता है.

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Saurabh Poddar
Saurabh Poddar
Digital Media Journalist having more than 2 years of experience in life & Style beat with a good eye for writing across various domains, such as tech and auto beat.

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