Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को कौन नहीं जानता, उनकी नीतियां और अर्थशास्त्र हमारे जीवन को दिशा देने का काम करती हैं. उनके विचार और नीतियां हमारे जीवन को हमेशा बेहतर बनाने में मददगार साबित होते हैं. चाणक्य ने कई ऐसी बातें कही हैं जिसे अपने जीवन में अपनाकर हम अपनी जिंदगी को सरल और आसान बना सकते हैं. उन्होंने जीवन को सफल बनाने के लिए कई मूलमंत्र दिए है. साथ ही उन्होंने पाप और पुण्य को लेकर भी कई नीतियां बताई हैं. ऐसे में चाणक्य नीति में कुछ लोगों को पैर लगाने से मना किया गया है. उन्होंने बताया कि भूलकर भी इन लोगों को पैर नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि यह महापाप के समान माना जाता है. ऐसा करने से जीवन के सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं और जीवन दुखों से भर जाता है. आइये जानते हैं, चाणक्य ने किन 5 चीजों को पैर लगाने को पाप बताया है.
वृद्ध व्यक्ति, गुरू और ब्राहम्ण
- चाणक्य नीति के अनुसार किसी वृद्ध व्यक्ति, गुरू या ब्राहम्ण को पैर नहीं लगाना चाहिए. ऐस करना उनके प्रति अनआदर माना जाता है. हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि वृद्ध व्यक्ति अपने जीवन की सीख और अनुभव से समृद्ध होते हैं. गुरू को भगवान का दर्जा दिया गया है जो अपने ज्ञान और सीख से दिशा देते हैं जबकि ब्राहम्ण धार्मिक और आध्यात्मिक चीजों का ज्ञान देते हैं. इनका अपमान करने से हमारी शिक्षा, बुद्धी और ज्ञान सभी पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
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छोटे बच्चें और कन्या
- चाणक्य कहते हैं कि कन्याओं और छोटे बच्चे को कभी भी पैर नहीं लगाना चाहिए. हिंदू धर्म के अनुसार छोटे बच्चों और कन्याओ को भगवान का स्वरूप माना जाता है. ऐसे में उन्हें पैर लगाना भगवान का अनादर करने के बराबर है. जो व्यक्ति ऐसा करता है, उसे जीवनभर कई सारी तकलीफों का सामना करना पड़ता है.
माता-पिता
- हिंदू शास्त्रों में हमारे माता पिता को भगवान का दर्जा दिया गया है. आदमी का स्थान माता- पिता की चरणों में होता है. इसलिए उनका अनादर करना भगवान का अपमान करने जैसा है. जिंदगी भर मां बाप अपने बच्चों के लिए कई सारे त्याग करते है, अपना पूरा जीवन उनकी परवरिश में लगा देते है. ऐसे में मा बाप कैा अपमान करने से कई सारे दुखों का सामना करना पड़ता है.
भगवान की खंडित मूर्ति
- चाणक्य कहते हैं कई लोग घर में रखे देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों को कहीं भी फेंक देते है जिसे अनजाने में लोग पैर लगा देते है. ऐसा करने पर मूर्ति फेंकने वाले और उस पर पैर लगाने वाले दोनों को ही पाप का भागीदार बनना पड़ता है. उन्हें अपने जीवन में कई सारी तकलीफें झेलनी पड़ती है.
अग्नि
- इसी के साथ चाणक्य कहते हैं कि अग्नि को पैर लगाने से जीवन में कई सारे दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ता है. हमारे हिंदू धर्म में अग्नि को देवता माना जाता है जिनका अपमान करने से भगवान भी नाराज होते है. हमारे यहां सभी पूजा, यज्ञ और हवन में अग्नि को ही साक्षी मानकर पूजा की जाती है.
गाय
- सनातन धर्म में गाय को माता समान माना जाता है, जिनकी पूजा भी की जाती है. गौ माता की पूजा के बिना सभी शुभ कार्यों को अधूरा समझा जाता है. इसलिए गाय को पैर लगाने से जीवन में कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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