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World Sickle Cell Day 2023: वर्ल्ड सिकल सेल अवेयरनेस डे आज, जानें इसके लक्षण और कारण

World Sickle Cell Day 2023: यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने साल 2008 में सिकल सेल डिसऑर्डर को पब्लिक हेल्थ से जुड़ी समस्या के तौर पर पहचानते हुए इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन की शुरुआत की थी. आज 19 जून को हर साल वर्ल्ड सिकल सेल अवेयरनेस डे मनाया जाता है. जानें इस दिन का महत्व

World Sickle Cell Day 2023: हर साल आज (19 जून) के दिन ‘वर्ल्ड सिकल सेल अवेयरनेस डे’ के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन को मनाने के पीछे एकमात्र उद्देश्य लोगों में इस बीमारी के प्रति सजगता लाना है. यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने साल 2008 में सिकल सेल डिसऑर्डर को पब्लिक हेल्थ से जुड़ी समस्या के तौर पर पहचानते हुए इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन की शुरुआत की थी. आइए जानें इस दिन का महत्व और इस बीमारी के लक्षण और कारण

सिकल सेल एनीमिया से जुड़ी ज़रूरी बातें

सिकल सेल एनीमिया असल में कई शारीरिक समस्याओं की वजह से होता है, जो रेड ब्लड सेल को प्रभावित करता है. इस बीमारी से जुड़ी सबसे अहम बात यह है कि किसी व्यक्ति को यह रोग सिर्फ जेनेटिक कारणों से ही हो सकता है. इसके किसी और तरह से होने की आशंका नहीं होती है. हमारे शरीर में ब्लड सेल्स गोलाकार में होते हैं, जबकि सिकल सेल समस्या से जूझने वाले लोगों के ब्लड सेल्स कठोर और नुकीले आकार में बदल जाते हैं. इनकी वजह से बॉडी के हर हिस्से में ऑक्सीज़न ठीक तरह से नहीं पहुंच पाता है. ऐसी स्थिति में शरीर में अत्यधिक दर्द हो सकता है.

सिकल सेल डिजीज के कारण

एससीडी यानी सिकल सेल डिजीज एक अनुवांशिक समस्या है, जो जन्म के समय से मौजूद होती है. आसान भाषा में समझें तो जब किसी बच्चे को अपने माता-पिता दोनों से सिकल सेल के जीन्स मिलते हैं, तो उस बच्चे को सिकल सेल बीमारी हो जाती है.

सिकल सेल डिजीज के लक्षण क्या है?

  • अंगों का क्षति

  • संक्रमण

  • शरीर के विभिन्न हिस्सों में तेज दर्द

  • खून का कमी या एनीमिया

  • हाथ और पैरों का सूजन

  • ग्रोथ और प्यूबर्टी में देरी होना

  • दृष्टि संबंधी समस्याएं

  • थकान महसूस होना

सिकल सेल डिजीज का इलाज

सिकल सेल बीमारी का अभी तक कोई इलाज उपलब्ध नहीं है. इसका इलाज मरीज के लक्षणों के आधार पर किया जाता है. इस बीमारी से पीड़ित मरीज को खून चढ़ाने की जरूरत होती है. इसके अलावा कई बार बोन मैरो या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के जरिए भी मरीज का इलाज किया जाता है. इस बीमारी से छुटकारा पाने का एक मात्र इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट ही है.

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