World No Tobacco Day 2023: वर्ल्ड नो टोबैको डे 31 मई 2023 को मनाया जा रहा है. इस दिन को मनाने की शुरुआत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू के उपयोग को नियंत्रण करने के उद्देश्य से किया था. जिसके तहत पहला विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई, 1988 को मनाया गया था और इसका विषय था “तंबाकू या स्वास्थ्य: स्वास्थ्य चुनें.” (“Tobacco or Health: Choose Health.”). इसका उद्देश्य तंबाकू सेवन से जुड़े हेल्थ रिस्क के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है. विश्व तुंबाकू दिवस पर जानें भारत में तंबाकू की खपत, हेल्थ रिस्क और इसके दुष्प्रभावों के बारे में.
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया, 2016-17 के अनुसार, भारत में लगभग 267 मिलियन वयस्क (15 वर्ष और उससे अधिक) (सभी वयस्कों का 29%) तंबाकू का उपयोग करते हैं. भारत में तंबाकू के उपयोग का सबसे आम रूप धुआं रहित तंबाकू है और आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पाद खैनी, गुटखा, तंबाकू के साथ सुपारी और जर्दा हैं. इस्तेमाल किए जाने वाले तंबाकू के धूम्रपान रूपों में बीड़ी, सिगरेट और हुक्का शामिल हैं.
तम्बाकू न केवल उन्हें उगाने वाले किसानों सहित व्यक्तियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि इससे वनों की कटाई भी होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में, लगभग 3.5 मिलियन हेक्टेयर भूमि हर साल तम्बाकू उगाने के लिए परिवर्तित की जाती है, जिससे प्रति वर्ष 200,000 हेक्टेयर वनों की कटाई होती है.
WHO के अनुसार, इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2023 की थीम है, “हमें भोजन की आवश्यकता है, तंबाकू की नहीं.” (“We need food, not tobacco”)इसका उद्देश्य तंबाकू किसानों के लिए वैकल्पिक फसल उत्पादन और मार्केटिंग के अवसरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उन्हें टिकाऊ, पौष्टिक फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित करना है.
विश्व तंबाकू निषेध दिवस दुनिया भर में तंबाकू की खपत को नियंत्रित करने का एक प्रयास है. इसका उद्देश्य जनता को तम्बाकू के उपयोग से जुड़े स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में सूचित करना है, जिसमें फेफड़े का कैंसर, हृदय रोग, सांस की बीमारी और कई अन्य शामिल हैं. यह अभियान किसानों को तम्बाकू उगाने से रोकने के लिए सरकारों से कड़े कदम उठाने और लागू करने का आग्रह करता है. यह तंबाकू उत्पादों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए उन पर उच्च कर लगाने की भी वकालत करता है.