बच्चे तो बच्चे हैं. वे कोरोना के बारे में बहुत नहीं जानते. पर उन्हें पता है कि कोरोना के उनका स्कूल बंद करा दिया है. मम्मी-पापा के डर से वे भी डर गये हैं. पर यह डर ऐसा भी नहीं है कि उन्हें धमाचौकड़ी करने से रोक दें. हां, बाहर जाने की मनाही के चलते घर में ही उनकी मस्ती और पढ़ाई हो रही है. जाहिर है स्कूलों के बंद हो जाने और बच्चों के घर में रहने से पैरेंट्स का टेंशन बढ़ गया है. ऐसे परिवारों के बच्चे क्या कर रहे हैं, यह जानने की हमने कोशिश की.
आम तौर पर स्कूलों से मिली लंबी छुट्टी बच्चों के लिए एक सुनहरा अवसर देता है, जिसमें बच्चे अपनी पंसदीदा स्पॉट पर खेल-कूद और मस्ती करते हैं. मगर इस वायरस से बचाव और सावधानी को लेकर पार्क, जू, संग्रहालय, सिनेमा घर जैसे बच्चों के पसंदीदा स्पॉट भी बंद कर दिये गये हैं. ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों को इंडोर गेम खेलने की सलाह दे रहे हैं और पढ़ाई के वक्त बच्चों को वह ज्यादा समय दे पा रहे हैं.
ज्यादातर स्कूलों में बच्चों का फाइनल एक्जाम खत्म हो गया है और नये सत्र की किताबें और सिलेबस भी बच्चों को दे दिया गयी हैं. नये सत्र में जाने की खुशी और नयी किताबों को उलट-पलट कर देखने की हर बच्चों में ललक होती है. इस छुट्टी में यह ललक और भी बढ़ गयी है. ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को खुद से पढ़ा रहे हैं. इसके लिए ऑनलाइन लर्निंग एप और सिलेबस की नयी किताबें पढ़ते हुए बच्चों की छुट्टियां गुजर रही हैं.
इन दिनों स्कूलों में सीबीएसइ और आइसीएसइ बोर्ड की 10वीं परीक्षा चल रही हैं. ऐसे में जिन स्कूलों में बच्चे पेपर देने जा रहे हैं सभी को वायरस से बचाव के प्रति जागरूक किया जा रहा है और उन्हें मास्क लगाने की सलाह दी जा रही है. स्कूलों की ओर से बताया गया कि बच्चों को पेपर के समय भी मास्क लगाने की छूट दी गयी है और एहतियात के तौर पर दो बच्चों के बीच गैप का ख्याल रखा गया है. साथ ही स्कूल में हैंड वॉश, साबुन और सैनेटाइजर भी प्रयाप्त मात्रा में उलब्ध कराया गया है. क्लास एक से नौ तक के बच्चों का फाइनल एक्जाम हो चुका है और उन्हें नये सत्र के सिलेबस और होमवर्क भी स्कूल बंद होने से पहले दे दिया गया.
पहले बच्चों के रिजल्ट के दिन अभिभावक के साथ बच्चों का स्कूल आना अनिवार्य होता था. वहीं अब रिजल्ट के लिए माता-पिता में से किसी एक को ही बुलाया जा रहा है. संत जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल की ओर से माता-पिता में किसी एक को ही आने की सलाह मैसेज के माध्यम से दी जा रही है. 19 तारीख को रिज्लट के दिन माता-पिता में से कोई एक अपनी बच्ची का आइ कार्ड साथ लाकर रिजल्ट प्राप्त कर सकता है. कुछ स्कूलों में 22 मार्च को रिजल्ट आयेगा.
बच्चे के संपूर्ण विकास में किताबों का अहम रोल होता है, कहा जाता है जितनी छोटी उम्र से बच्चे किताबें पढ़ने की आदत डाल लें उनका मानसिक विकास उतनी ही तेजी से होता है. बस इस बात का ध्यान रखें कि किताबों का चुनाव उनकी उम्र के हिसाब से ही करें. वैसे देखा जाये तो जब भी बच्चों के लिए किताबों की बात आती है तो पेरेंट्स जनरल नॉलेज और इनसाइक्लोपीडिया की किताबें ही बच्चों को पढ़ने के लिए देते हैं, जबकि आपको अपने बच्चों को हर तरह की किताबें देनी चाहिए. छोटे बच्चों के लिए लिखी गयी कुछ किताबें तो इतनी मीनिंगफुल हैं कि उसे हर पैरेंट्स को भी जरूर पढ़ना चाहिए.
पूस की रात की मूल समस्या गरीबी की है. जो किसान राष्ट्र के जीवन का आधार हैं, उसके पास इतनी ताकत भी नहीं हैं कि ‘पूस की रात’ की कड़कड़ाती सर्दी से बचने के लिए एक कंबल खरीद सकें.
प्रेमचंद की ये कहानी अधिकतर लोगों ने स्कूल में हिंदी की किताब में पढ़ी होगी. हामिद नाम का एक लड़का अपनी दादी के साथ रहता था. हामिद के पास 3 पैसे होते हैं जिससे वह अपनी दादी के लिए चिमटा खरीद लेता है.
गोदान उपन्यास प्रेमचंद का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण उपन्यास माना जाता है. प्रेमचंद का गोदान, किसान जीवन के संघर्ष एवं वेदना को अभिव्यक्त करने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण रचना है.
दो बैलों की कथा दो बैल हीरा और मोती की कहानी है. यह दोनों प्यार के भूखे हैं. अपने मालिक से बेइंतहा मोहब्बत करते हैं. ये दोनों अपने मालिक से बिछड़ जाते हैं और एक नये स्थान पर जाते हैं.
वैसे तो यह किताब 3 से 6 साल के बच्चों के लिए लिखी गयी है, लेकिन यह हर उम्र के लोगों के लिए भी जरूरी है. इस किताब की एक लाइन बहुत ही फेमस है कि ‘आपके सिर में एक दिमाग है और आपके जूतों में पैर है तो इससे आप जिंदगी में जो भी पाना चाहते हैं वह हासिल कर सकते हैं’.
यह एक छोटे बच्चे हेरोल्ड की कहानी है जिसे चांद चाहिए और इसे पाने के लिए वह सबसे पहले इसे कागज पर ड्राॅ करता है. उसके बाद वह चांद तक जाने का रास्ता बनाता है. फिर जंगल, ड्रैगन और ढेर सारी चीजें बनता है.
बच्चों के लिए लिखी गयी अधिकतर किताबों में जीवन जीने की कला और कई तरह की नैतिक शिक्षा वाली बाते बतायी गयी होती हैं. ‘हाउ तो कैच अ स्टार’ भी ऐसी ही एक किताब है जो उम्मीद और विश्वास बनाये रखने की कला बताती है.
यह बच्चों से जुड़ी एक बेहद क्रिएटिव बुक है और इसे हर पेरेंट्स को जरूर पढ़नी चाहिए. यह किताब ‘चार्ली एंड दि चॉकलेट फैक्ट्री’ की सीक्वल है और उससे काफी बेहतर है. आप इसे पढ़ते समय इसकी क्रिएटिविटी से कई बार आश्चर्य में पड़ सकते हैं.
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी निर्देश को देखते हुए स्कूल को बंद कर दिया गया है. बच्चों के भविष्य को देखते हुए केवल बोर्ड की परीक्षा का संचालन किया जा रहा है. परीक्षा के दौरान बच्चे को मास्क लगाने की पूरी छूट दी गयी है. जिन बच्चों का फाइनल एक्जाम हो गया है, उन्हें नये सत्र के सिलेबस और होमवर्क मैसेज के माध्यम से दे दिया गया है.
-सिस्टर एम सेरेना, प्रिंसिपल, माउंट कार्मेल
अभी तो बच्चों के एक्जाम चल रहे हैं. एक्जाम के दौरान भी जिन बच्चों को मास्क लगाना है, वह लगा रहे हैं. स्कूल के टॉयलेट में भी हैंड वॉश, सैनिटाइजर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. जिन बच्चों ने एक्जाम दे दिया है, उनका रिजल्ट संभवत: 22 मार्च तक दे दिया जायेगा. रिजल्ट के दिन माता-पिता में किसी एक को ही बुलाने की नीति बनायी जा रही है.
– सीमा सिंह, प्रिंसिपल, संत कैरेंस गोला रोड.
आम दिनों में बच्चों की छुट्टियों में घूमने के लिए चला जाया करता था. लेकिन अभी कोरोना वायरस से बचाव को लेकर भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने से मना किया जा रहा है तो, घर पर ही बच्चों के साथ समय बिता रहा हूं. बच्चे भी इंडोर गेम ही खेल रहे हैं. यह छुट्टी बच्चों की पढ़ाई के लिए लाभदायक है.
– राकेश कुमार.
कोरोना वायरस से बचाव को लेकर स्कूल और भीड़-भाड़ वाली जगह को बंद करना सराहनीय पहल है. स्कूल से मिली छुट्टी इस बार बच्चों के पढ़ाई के लिए लाभदायक साबित हो रही है. इस दौरान बच्चों को भी ज्यादा समय दे पा रही हूं और खुद से बच्चों को पढ़ा रही हूं.
– आरती सिन्हा.