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दलहन में गिरिडीह को आत्मनिर्भर बनाने में जुटा विभाग, किसानों को प्रोत्साहित कर रहे अधिकारी

गिरिडीह में कृषि विभाग के अधिकारी दलहन की खेती करने में जुट गये हैं. प्रखंड स्तर पर कृषक कर्मशाला आयोजित कर किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि दलहन की खेती कम पूंजी और कम पानी में भी हो सकती है. यह जिला दलहन के लिए शुरू से ही कामयाब रहा है.

Giridih news: गिरिडीह में बारिश के अभाव के कारण जिले के 88 हजार हेक्टेयर में से 16364 हेक्टर क्षेत्र में ही धनरोपनी हुई है. इसकी भरपाई करने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी दलहन की खेती की कराने में जुट गये हैं. प्रखंड स्तर पर कृषक कर्मशाला आयोजित कर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है.

किसानों को खेती करने के लिए किया जा रहा प्रोत्साहित

अधिकारियों का कहना है कि दलहन की खेती कम पूंजी और कम पानी में भी हो सकती है. यह जिला दलहन के लिए शुरू से ही कामयाब रहा है. यहां के लोग पूर्व से ही मूंग, उड़द, कुलथी की खेती कर रहे हैं. उड़द, मूंग व कुलथी की खेती पठारी व बंजर जमीन में भी आसानी से हो रही है. एक बार रोपाई के समय सिर्फ पटवन की जरूरत होती है. अब यहां के लोगों को अरहर की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

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9 हजार हेक्टेयर में अरहर की खेती कराने की योजना

जानकारी के अनुसार इस वर्ष 9 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अरहर की खेती कराने की योजना बनायी गयी है. जिला के बगोदर प्रखंड में 625 हेक्टेयर, सरिया में 625 हेक्टेयर, डुमरी में 650 हेक्टेयर, पीरटांड़ 550 हेक्टेयर, गिरिडीह में 700 हेक्टेयर, गांडेय 750 हेक्टेयर, बेंगाबाद 750 हेक्टेयर, जमुआ 750 हेक्टेयर, धनवार 750 हेक्टेयर, बिरनी में 650 हेक्टेयर, देवरी में 652 हेक्टेयर, तिसरी में 700 हेक्टेयर तथा गावां प्रखंङ में 850 हेक्टेयर क्षेत्र में अरहर की खेती कराने की योजना बनायी गयी है.

5 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द की खेती

इसी प्रकार 5 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द, 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग और 2 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कुलथी की खेती कराने की भी योजना है. अधिकारियों का कहना है कि इस जिले के लोग मूंग के साथ-साथ उड़द व कुलथी दाल के रूप में अपने दैनिक जीवन में उपयोग में लाते हैं. कहा कि अरहर की खेती कराने के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. अगर लोग इसकी खेती करेंगें तो काफी हद तक धान फसल की क्षति की भरपाई हो सकती है. दलहन की खेती के लिए अक्टूबर-नवंबर महीने का माह सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस माह में किसान हाईब्रिड बीज लगाकर बेहतर फसल उपजा सकते हैं.

किसानों को किया जा रहा है प्रोत्साहित : डीएओ

जिला कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने कहा कि दलहन की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. प्रखंड स्तरीय कृषि पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे किसानों के बीच जाकर दलहन की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करें. विभाग के द्वारा अनुदान पर किसानों को दलहन का बीज दिलाया जायेगा.

Prabhat Khabar Digital Desk
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