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khakee the bengal chapter review:कलाकार दमदार लेकिन कहानी में नएपन की कमी

नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम कर रही वेब सीरीज 'खाकी द बंगाल चैप्टर' देखने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो इससे पहले पढ़ लें यह रिव्यु

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वेब सीरीज -खाकी :द बंगाल चैप्टर
निर्माता -नीरज पांडे
निर्देशक – तुषार कांति रे, देबात्मा
कलाकार -जीत, प्रोसेनजीत, परमब्रता चटर्जी,सास्वत चटर्जी, चित्रांगदा सिंह, पूजा चोपड़ा, मिमोह,आकांक्षा सिंह,ऋत्विक भौमिक, आदिल खान और अन्य
प्लेटफार्म – नेटफ्लिक्स
रेटिंग – ढाई

khakee the bengal chapter review :निर्माता,लेखक और शो रनर नीरज पांडे अपनी चर्चित वेब सीरीज खाकी के बिहार चैप्टर के बाद बंगाल चैप्टर लेकर आये हैं. खाकी द बिहार चैप्टर, अमित लोढ़ा के संस्मरण बिहार डायरीज: द ट्रू स्टोरी ऑफ हाउ बिहार्स मोस्ट डेंजरस क्रिमिनल वाज कॉट से प्रेरित थी जबकि इस बार मामला रियल नहीं बल्कि फिक्शनल है,लेकिन दावा है कि एक और रंग… बंगाल का नजर आएगा,मगर वही गैंगस्टर, पुलिस और पॉलिटिशियन की है कहानी. जिसे अब तक कई फिल्मों और वेब सीरीज में दिखाया जा चुका है. अपराध और राजनीति के मेल से बनी इस थ्रिलर ड्रामा में गहराई की तलाश नहीं करेंगे,तो यह आपको एंगेज करती है. इसके साथ ही सीरीज को दमदार एक्टर्स का साथ भी मिला है.जिस वजह से यह सीरीज एक बार देखी जा सकती है.

पुलिस की क्रिमिनल और नेताओं से मुठभेड़ वाली है कहानी

खाकी द बिहार चैप्टर में पुलिस ऑफिसर अमित लोढ़ा और अपराधी चन्दन महतो के टशन की कहानी थी. इस बार की कहानी बंगाल पहुंच गयी है.हालांकि कहानी इतनी सामान्य है कि इसे बंगाल के बजाय कहीं भी स्थापित किया जा सकता था. खैर कहानी पर आते हैं.कहानी की शुरुआत एक पुलिस वैन के एक्सीडेंट से होती है और कुछ मिनट में कहानी कुछ महीने पहले चली जाती है. रूलिंग पार्टी के नेता के पोते की किडनैपिंग हो जाती है. जिसके बाद ईमानदार पुलिस ऑफिसर सप्तऋषि सिन्हा (परमब्रता )की कहानी में एंट्री होती है और अगले ही सीन में गैंगस्टर बाघा (शाष्वत ) के आतंक से रूबरू करवाते हुए यह भी बताया जाता है कि अब बाघा के लिए सारे गलत काम सागोर (ऋत्विक ) और रंजीत (आदिल )करते हैं. सप्तऋषि इन गैंगस्टर्स को उनके अंजाम तक पहुंचाता इससे पहले उसकी ही मौत हो जाती है, जिसके बाद सुपरकॉप अर्जुन मोइत्रा (जीत )की एंट्री होती है. अर्जुन का अपराधियों से निपटने का अपना तरीका है,लेकिन अर्जुन की राह आसान नहीं है क्योंकि गैंगस्टर्स को ना सिर्फ राजनेता की छत्रछाया में है,बल्कि पुलिस डिपार्टमेंट में भी कमजोर कड़ियां हैं, जो इन नेताओं और गैंगस्टर्स से जुड़े हैं. पॉलिटिशियन और गैंगस्टर्स के इस नेक्सस को क्या अर्जुन तोड़कर बंगाल को आतंक से मुक्त करवा पायेगा .यही आगे की कहानी है.

सीरीज की खूबियां और खामियां

सात एपिसोड वाली सीरीज खाकी बिहार चैप्टर की तरह बंगाल चैप्टर में भी पुलिस और अपराधियों के बीच के टशन की ही कहानी है. कहानी में नयापन नहीं है,लेकिन कलाकारों के परफॉरमेंस और कहानी से जुड़े ट्विस्ट एंड टर्न की वजह से यह सीरीज बांधकर चलती है.सीरीज में हर किरदार को ग्रे शेड्स में दिखाया गया है.जिससे रोचकता बढ़ती है.कहानी में मुख्य प्लाट के साथ सब प्लॉट्स भी हैं,लेकिन वह मुख्य प्लाट में कुछ खास नहीं जोड़ पाए हैं.चित्रागंदा की बैकस्टोरी अच्छी है. लेकिन कई अधूरे में छोड़ दिए गए हैं. रंजीत और सागोर के बीच गहरी यारी दिखाने के लिए एक बैकस्टोरी की जरुरत महसूस होती है. इसी तरह, बाघा के बेटे चीना की कहानी पर भी काम करने की जरूरत थी.ड्रामा भी कहानी में जोड़ने की कोशिश की गयी है.एक युवा पुलिस कर्मी का संघर्ष हो या पुलिस अधिकारी की गर्भवती पत्नी ये भी शामिल हैं,लेकिन ये सब कहानी में नया आयाम नहीं जोड़ पाते हैं.ट्रीटमेंट की बात करें तो सीरीज के पहले दो एपिसोड स्लो हैं. तीसरे एपिसोड के बाद से कहानी रफ्तार पकड़ती है.छठे एपिसोड में कई ट्विस्ट एंड टर्न जोड़े गए हैं ,जो अच्छे हैं लेकिन उसमें चौंकाने वाला पहलू नहीं है.सीरीज के आखिरी एपिसोड बेहद कमजोर रह गया है.टिपिकल मसाला फिल्म की याद दिलाता है. दूसरे पहलुओं की बात करें तो सीरीज साल 1980 से 2000 के टाइम पीरियड में स्थापित है. कोलकाता के घाटों,भीड़ से भरे सड़कों, कोलोनियल बिल्डिंग को बखूबी सीरीज में जोड़ा है.एक्शन दृश्य भी अच्छे बन पड़े हैं,लेकिन शो का संगीत पक्ष कमजोर रह गया है. बंगाल अपने संगीत की विरासत के लिए भी जाना जाता है लेकिन सीरीज में इसकी अनदेखी हुई है.साउंडट्रैक में याद रखने लायक कुछ नहीं है.

ऋत्विक भौमिक और आदिल खान बने शो स्टॉपर

इस सीरीज में बंगाली कलाकारों की मौजूदगी इस सीरीज को एक अलग रंग देती है.इस सीरीज से बंगाली अभिनेता जीत ने ओटीटी डेब्यू किया है. अपने किरदार के साथ वह न्याय करते हैं. प्रोसेनजीत ने एक बार फिर दमदार उपस्थिति दर्शायी है.परमब्रता चटर्जी अपने सीमित स्क्रीन स्पेस में भी अपना प्रभाव दिखाते हैं ,तो सास्वत चटर्जी का अभिनय भी खास है ,लेकिन बाजी ऋतिक और आदिल ने मारी है.ऋतिक भौमिक वेब सीरीज बंदिश बैंडिट्स से बिलकुल अलग अंदाज में नजर आये हैं, जो एक एक्टर की तौर पर उनकी काबिलियत को दर्शाता है तो आदिल खान ने भी इस सीरीज में जबरदस्त छाप छोड़ी है.वे दोनों इस सीरीज के शो स्टॉपर थे. यह कहना गलत ना होगा.चित्रांगदा सिंह और आकांक्षा सिंह अपनी भूमिकाओं में जमी हैं.मिमोह,श्रद्धा, पूजा बाकी के किरदारों ने भी अपनी -अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.

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