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Pradeep Sardana: जब राज कपूर ने मुझसे बातें करते करते सदा के लिए आंखे मूंद लीं

Pradeep Sardana: वरिष्ठ पत्रकार और विख्यात फिल्म समीक्षक श्री प्रदीप सरदाना ने कल शाम को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में आयोजित ‘राज कपूर जन्म शताब्दी’ व्याख्यान में व्यक्त किए.

Pradeep Sardana: महान फिल्मकार राज कपूर ने सिनेमा को जो योगदान दिया उसे दुनिया जानती है। लेकिन राज कपूर का रंगमंच से भी गहरा नाता रहा, नाट्य जगत के लिए भी उन्होंने बहुत कुछ किया। राज कपूर की जड़ों में रंगमंच की ही शक्ति थी, जिसने उन्हें शिखर पर पहुंचाया। उन्हीं राज कपूर ने 37 बरस पहले मुझसे बातें करते-करते, जब सदा के लिए आँखें मूँद लीं थीं तो मैं अवाक रह गया था।

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Pradeep sardana

उपरोक्त विचार वरिष्ठ पत्रकार और विख्यात फिल्म समीक्षक श्री प्रदीप सरदाना ने कल शाम को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में आयोजित ‘राज कपूर जन्म शताब्दी’ व्याख्यान में व्यक्त किए। जहां इन दिनों विश्व के सबसे बड़े नाट्य उत्सव ‘भारत रंग महोत्सव’ का आयोजन भी चल रहा है।

राज कपूर के साथ अपने बरसों के अनुभव और संस्मरण सुनाते हुए श्री प्रदीप सरदाना ने महान फ़िल्मकार को लेकर ऐसी बहुत सी बातें साझा कीं, जिन्हें सुन सभी मंत्रमुग्ध हो गए। श्री सरदाना ने कहा-‘’राज कपूर ने 5 वर्ष की उम्र में अपना पहला नाटक ‘द टॉय कार्ट’ किया था। बाद में जब उनके पिता पृथ्वीराज कपूर ने 1944 में अपने ‘पृथ्वी थिएटर’ की शुरुआत की तो पृथ्वी के पहले नाटक ‘शकुंतला’ की सेट डिजायन से प्रकाश और संगीत व्यवस्था का जिम्मा राज कपूर ने संभाला। साथ ही राज कपूर ने नाटक ‘दीवार’ में तो रामू की ऐसी भूमिका की, जिसके बाद फिल्मों तक में नौकर की भूमिका करने वाले चरित्र का नाम रामू या रामू काका हो गया। राज कपूर का यह नाट्य जगत से लगाव ही था कि 1948 में जब उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘आग’ बनाई तो उसकी कहानी भी नाट्य जगत से जुड़ी थी।  

श्री प्रदीप सरदाना ने यह भी कहा कि राज कपूर ने अपनी ‘आवारा’ फिल्म से अपने नाम के साथ भारत के नाम को भी दुनिया में बुलंद किया। रूस, ताशकंद, ईरान और चीन जैसे कितने ही देशों में आज भी राज कपूर का जादू बरकरार है। राज कपूर से पहले और उनके बाद कितने ही अच्छे और दिग्गज फ़िल्मकार देश में आए। लेकिन उन जैसा ग्रेट शोमैन आजतक कोई और नहीं हुआ। यह संयोग था या उनसे पूर्व जन्म का कोई रिश्ता 1988 में राष्ट्रपति से फाल्के सम्मान लेने से पूर्व ही राज कपूर को जब अस्थमा का भयावह दौरा पड़ा। तब मैं ही उन्हें राष्ट्रपति भवन की एंबुलेंस से एम्स लेकर गया। उनकी अंतिम चेतनावस्था में अस्पताल में उनकी पत्नी और मैं ही उनके साथ थे। जहां मुझसे बात करते हुए ही वह कौमा में चले गए थे।‘’

इस व्याख्यान में रंगमंच और सिनेमाई दुनिया के कई गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे। समारोह में एनएसडी के पूर्व निदेशक और वर्तमान में ‘गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी’ के निदेशक प्रो॰ दिनेश खन्ना ने श्री प्रदीप सरदाना का स्वागत करते हुए कहा, ‘आज देश में सिनेमा के अच्छे समीक्षक और ज्ञाता बहुत कम रह गए हैं। लेकिन प्रदीप सरदाना जी अपने में सिनेमा का 100 बरस के दस्तावेज़ समेटे हुए हैं। उनकी स्मृतियों में ऐसे हजारों संस्मरण हैं जिन्हें घंटों दिलचस्पी के साथ सुना जा सकता है।’   

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Sheetal Choubey
Sheetal Choubey
मैं शीतल चौबे, प्रभात खबर डिजिटल की एंटरटेनमेंट कंटेंट राइटर. पिछले एक साल से ज्यादा समय से मैं यहां बॉक्स ऑफिस अपडेट्स, भोजपुरी-बॉलीवुड खबरें, टीवी सीरियल्स की हलचल और सोशल मीडिया ट्रेंड्स को कवर कर रही हूं. एंगेजिंग, फास्ट और रीडर-फ्रेंडली कंटेंट लिखना मेरी खासियत है.

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