पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित जानीमानी अभिनेत्री आशा पारेख ने हिंदी फिल्मों में अपनी एक्टिंग और अपने हाव-भाव से दर्शकों का खूब मन मोहा है. उन्होंने पंजाबी, गुजराती और कन्नड़ भाषाओं में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया. आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को गुजरात के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. वे भारतीय सेंसर बोर्ड क अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1952 में एक बाल कलाकार के रूप में फिल्म ‘आसमान’ से की थी.
जानेमाने निर्माता-निर्देशक विमल राय ने एक कार्यक्रम में आशा पारेख का डांस देखा और बेहद प्रभावित हुए. उन्होंने आशा पारेख को फिल्म ‘बाप बेटी’ में काम करने का मौका दिया लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं कर पाई. इसके बाद उन्होंने और कई फिल्मों में काम किया जो खास कमाल नहीं कर पाई. इसके बाद आशा पारेख ने एक्टिंग छोड़ पढाई की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया. वर्ष 1959 में आई उनकी फिल्म ‘दिल देके देखो’ से उन्होंने थोड़ी कामयाबी हासिल की और फिर एकबार अभिनय की ओर अपने कदम बढ़ा लिये.
वर्ष 1960 में उन्हें निर्देशक नासिर हुसैन की फिल्म ‘जब प्यार किसी से होता है’ में काम करने का मौका मिला. यह बॉक्स ऑफिस पर हिट हो गई और आशा पारेश एक सफल अभिनेत्री के रूप में बॉलीवुड में स्थापित हो गई. इस फिल्म के बाद नासिर हुसैन ने उन्हें अपनी और कई फिल्मों में लिया जो सुपरहिट रही. उनकी फिल्मों में ‘तीसरी मंजिल’, ‘कारवां’, ‘प्यार का मौसम’ और ‘बहारों के सपने’ जैसी फिल्में शामिल है.
वर्ष 1966 में रिलीज हुई उनकी फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ उनकी सफलतम फिल्मों में से एक मानी जाती है. इस फिल्म ने उनके करियर को नये मोड़ पर लाकर स्थापित कर दिया. वर्ष 1970 में फिल्म ‘कटी पतंग’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वर्ष 1992 में कला के क्षेत्र में सराहनीय योगदान प्रदान करने के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
आशा पारेख की हिट फिल्मों में ‘मेरा गाँव मेरा देश’, ‘अंजान राहें’, ‘नादान’, ‘नया रास्ता’, ‘कन्यादान’, ‘आया सावन झूम के’, ‘लव इन टोक्यो’ और ‘फिर वही दिल लाया हूँ’ जैसी फिल्में शामिल है.