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EXCLUSIVE: क्‍यों सना कपूर ने कहा- मैं स्टारकिड नहीं हूं

फ़िल्म ‘शानदार’ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री सना कपूर की फैमिली कॉमेडी फिल्म ‘खजूर पर अटके’ रिलीज हो गई है. पंकज कपूर और सुप्रिया पाठक जैसे मंझे हुए कलाकारों की बेटी सना एक्टिंग में कुछ अलग करने की ख्वाइश रखती हैं. हमारी संवाददाता उर्मिला कोरी से सना कपूर की खास बातचीत… ‘शानदार’ […]

फ़िल्म ‘शानदार’ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री सना कपूर की फैमिली कॉमेडी फिल्म ‘खजूर पर अटके’ रिलीज हो गई है. पंकज कपूर और सुप्रिया पाठक जैसे मंझे हुए कलाकारों की बेटी सना एक्टिंग में कुछ अलग करने की ख्वाइश रखती हैं. हमारी संवाददाता उर्मिला कोरी से सना कपूर की खास बातचीत…

‘शानदार’ के बाद ज़िन्दगी कितनी बदल गयी. इस दौरान क्या किया ?

‘शानदार’ में मेरे किरदार को बहुत प्यार मिला. जो लोग भी मुझसे मिलते हैं वो उस किरदार की तारीफ ज़रूर करते. मैं लकी हूं कि ऐसा किरदार किया जिसने लोगों की ज़िन्दगियों को छुआ. वही मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी. शानदार के बाद मैंने थोड़ा ब्रेक लिया. मैं लोगों से मिल रही थी स्क्रिप्ट भी पढ़ रही थी लेकिन मैंने डेढ़ दो साल थिएटर को दिया क्योंकि मैं उस चीज़ को भी अनुभव करना चाहती थी.

‘खजूर पर अटके’ पर ऐसा क्या था जो आपको अपील कर गया ?

मेरा किरदार नयनतारा का है. ‘शानदार’ के किरदार से बहुत अलग नयनतारा का किरदार है. शानदार के बाद मुझे उसी टाइप के किरदार ऑफर हो रही थी. नयनतारा एक छोटे से शहर की लड़की का किरदार है. नाटकों के मंचन के दौरान मैं अलग अलग शहरों में गयी थी जिससे मुझे अपने इस किरदार में मदद मिली.

हर्ष छाया की यह बतौर निर्देशक पहली फ़िल्म है कैसा रहा अनुभव ?

हर्ष सर बहुत क्लियर है कि उन्हें क्या चाहिए. उन्हें पता है जिससे वह अपने एक्टर्स से भी उनका बेस्ट निकलवा लेते हैं. वो बहुत पैशनेट डायरेक्टर भी हैं.

बीते साल नेपोटिज्म पर बहुत कुछ कहा गया क्या आपको लगता है स्टारकिड को फायदा होता है ?

फायदा होता है मैं मानती हूं. आपको फ़िल्म इंडस्ट्री के तौर तरीकों के बारे में पता होता है कि फिल्में कैसे बनती है आपको पता होता है जो लोग फिल्में बनाते हैं वे हमें जानते हैं लेकिन स्टारकिड का भी संघर्ष होता है. ये भी लोगों को समझना चाहिए वैसे मैं स्टारकिड नहीं हूं. हमारी परवरिश हमेशा आम बच्चों की तरह हुई है. हमारे फ्रेंड भी इंडस्ट्री के नहीं है. मुझे और मेरे भाई को बहुत समय बाद मालूम हुआ कि हमारे मम्मी पापा एक्टर्स हैं.

‘शानदार’ टिकट खिड़की पर नहीं चली क्या उसका अफसोस है ?

हर फिल्म की अपनी किस्मत होती है चलना न चलना. मैं लकी थी कि मेरे काम को लोगों ने पसंद किया इसलिए मुझे सिर्फ उस फिल्म से फायदा हुआ. लोगों तक जो मैं बात पहुचाना चाहती थी वो हो पाया।हर एक्टर चाहता है कि उसकी फ़िल्म चले. मेरी भी चलती तो डबल खुशी होती थी.

आपके माता पिता टीवी में भी काफी अच्छा काम कर चुके हैं क्या आप टीवी से जुड़ना चाहेंगी ?

मेरे लिए एक्टिंग महत्वपूर्ण है।माध्यम नहीं. अभी तक टीवी से ऐसा कुछ आफर नही हुआ.आफर हुआ तो ज़रूर करूँगी.

इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच पर आपका क्या कहना है ?

मेरा ऐसे किसी भी चीज़ से कोई वास्ता नहीं पड़ा है. मेरे माता पिता की इंडस्ट्री में बहुत इज़्ज़त है. जिस वजह से मुझे भी बहुत खास तरीके से ट्रीट किया जाता है. वैसे मेरे माता पिता बहुत प्रोटेक्टिव हैं. उन्हें पता होना चाहिए मैं कहाँ जा रही हूं. मेरे साथ हमेशा कोई अपना हो.

एक्टिंग का हिस्सा बनने के बाद आपको अपने लुक पर भी बहुत ध्यान देना पड़ता है आप कितनी फिक्रमंद रहती हैं ?

सच कहूं तो बिल्कुल भी नहीं मेरी माँ हमेशा कहती है. बालों का ध्यान रखो स्किन का ख्याल करो. स्पा जाओ. पार्लर जाओ. मगर मुझे ये सब अच्छा नही लगता. मैं जिम में भी रेगुलर नहीं हूं हां मेरे किरदार की ज़रूरत होगी तो मैं ज़रूर अपना वजन घटा बढ़ा सकती हूँ.

Prabhat Khabar Digital Desk
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