13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

फिल्म : क्वीन की तलाश में राह भटक गयी सिमरन

।। गौरव।। सिमरन की रिलीज से पहले दर्शक हंसल मेहता जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक और कंगना जैसी समर्थ अभिनेत्री की वजह से क्वीन जैसी किसी धमाके की उम्मीद लगा बैठे थे. पर वो कहते हैं ना अतिआत्मविश्वास कभी-कभी नैया डूबो बैठता है. यही हाल सिमरन का रहा. क्वीन जैसा कैरेक्टर गढ़ने की कोशिश में […]

।। गौरव।।

सिमरन की रिलीज से पहले दर्शक हंसल मेहता जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक और कंगना जैसी समर्थ अभिनेत्री की वजह से क्वीन जैसी किसी धमाके की उम्मीद लगा बैठे थे. पर वो कहते हैं ना अतिआत्मविश्वास कभी-कभी नैया डूबो बैठता है. यही हाल सिमरन का रहा. क्वीन जैसा कैरेक्टर गढ़ने की कोशिश में कहानी पूरी तरह धराशायी हो गयी. एक आजादख्याल लड़की जिसे अपनी शर्तो पर जीना पसंद है, दुनिया को अपने नजरिये से जानना पसंद है, इस किरदार से दर्शक कंगना की ही क्वीन के साथ कई और फिल्मों में भी रूबरू हो चुके हैं. ऐसे में बगैर किसी कसी पटकथा और उदेश्य के साथ ऐसे किरदार को भूनाने की कोशिश हंसल और कंगना की साख को एक कदम पीछे ही ले जाती है.
सिमरन कहानी है प्रफुल्ल पटेल की जो अपने पैरेंट्स के साथ अमेरिका में रहती है. आजादख्याली का आलम ये कि पिता के बिजनेस में काम न करके खुद होटल में सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करती है. खुद की कमायी से घर खरीदना चाहती है. अपनी मर्जी से शादी कर चुकी है और तलाक भी ले चुकी है. दोबारा शादी के नाम भड़क जाती है, पर पसंद के लड़के से सेक्स करने से भी गुरेज नहीं है. ऐसे ही जिंदगी मस्ती में कट रही होती है तभी एक क जिन के साथ प्रफुल्ल को लॉस वेगास जाने का मौका मिलता है. वहां उसे एक कसीनो में जुआ खेलने का मौका मिलता है जिसमें वो पहले दिन काफी सारे पैसे जीत जाती है. अचानक मिले पैसे से उसका लालच जोर मारता है और वो अगले दिन दोबारा जुएखाने पहुंच जाती है. पर इस बार वो जीते हुए पैसों के साथ-साथ अपनी सारी सेविंग्स भी हार जाती है. ऐसे में उसे प्राइवेट लैंडर पैसे उधार देता है. प्रफुल्ल उस पैसे को भी जुए में हार जाती है. फिर शुरू होता है पैसे वसूली का खेल. उधार देने वाले गुंडे की धमकी के डर प्रफुल्ल बैंक लूटने का काम करती है. वो कई बार बैंक वालों और पुलिस को चकमा देती है पर आखिरकार पकड़ी जाती है.
फिल्म पहले हाफ में बोरियत के साथ थोड़ी क्युरिसिटी जगाती जरूर है पर दूसरे हाफ में पूरी तरह बिखर कर रह जाती है. शाहिद, सिटीलाइट और अलीगढ़ जैसी फिल्मों के निर्देशक हंसल मेहता और कंगना ने क्या सोचकर इस कहानी को अपनी फिल्म को विषय चुना ये समझ से परे है. कंगना की अदाकारी के अलावा अनुज राकेश धवन की सिनेमेटोग्राफी ही है जो फिल्म में कुछ देखने लायक बातें जोड़ पाती है. वरना पिछले कुछ हफ्तों से फिल्म के प्रमोशन के लिए खबरों की दुनिया में निजी जिंदगी के चर्चे उछालते कंगना के फंडे भी शायद ही फिल्म का बेड़ा पार कर पाएं.
क्यों देखें– कंगना के जबरा फैन हों तो मरजी आपकी है.
क्यों न देखें– बेहतर फिल्म की उम्मीद में जाएंगे तो उम्मीदे धराशायी हो सकती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें