26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

#KishoreKumar: तो इसलिए आकाशवाणी पर बैन हो गये थे किशोर कुमार, जानें ये दिलचस्‍प बातें…

हिंदी फिल्‍म जगत के मशहूर गायक किशोर कुमार के नगमों ने किसका दिल नहीं चुराया होगा. इंडस्‍ट्री में कई ऐसे गायक हैं जिन्‍होंने गायकी से हटकर एक्टिंग या किसी दूसरे किरदार में खुद को आजमाने की कोशिश की, लेकिन हर किरदार में सफलता किसी के हाथ न लग सकी. इंडस्‍ट्री में सुरों के जादूगर कहलाने […]

हिंदी फिल्‍म जगत के मशहूर गायक किशोर कुमार के नगमों ने किसका दिल नहीं चुराया होगा. इंडस्‍ट्री में कई ऐसे गायक हैं जिन्‍होंने गायकी से हटकर एक्टिंग या किसी दूसरे किरदार में खुद को आजमाने की कोशिश की, लेकिन हर किरदार में सफलता किसी के हाथ न लग सकी. इंडस्‍ट्री में सुरों के जादूगर कहलाने वाले गायक, अभिनेता, प्रोड्यूसर, म्‍यूजिक कंपोजर जैसे अपने हर किरदार से किशोर कुमार ने करोड़ों दिलों पर राज किया. बहुमुखी प्रतिभा के धनी किशोर कुमार की कमी आज कोई पूरी नहीं कर सकता. वे केवल एक थे और एक ही रहेंगे. उनके गानों में जीवंतता है, मस्‍ती है और फिर जिंदगी का ऐसा फलसफा जो जिंदगी से मोहब्‍बत करना सिखा जाये, उनकी जादुई आवाज से कोई न बच सका था. किशोर कुमार हिंदी फिल्‍म जगत का एक ऐसा चमकाता हुआ सितारा है जिसकी चमक अब भी बरकरार है. 60-70 के दशक में वे अभिनेता राजेश खन्‍ना, देवानंद और अमिताभ बच्‍चन जैसे सुपरस्‍टार्स की आवाज बनें. जानें उनके बारे में कुछ विशेष…

आभास कुमार बन गये ‘किशोर कुमार खंडवे वाले’

किशोर कुमार का जन्‍म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में हुआ था. उनके पिता कुंजीलाल जाने माने वकील थे. उनका असली नाम आभास कुमार गांगुली था. उन्‍होंने अपने जीवन में हमेशा की खंडवा को याद किया. वे जब भी किसी कार्यक्रम और सार्वजनिक समारोहों में गाते थे तो अपना परिचय देते हुए शान से कहते थे ‘किशोर कुमार खंडवे वाले’.

संगीत की शुरुआत

शुरुआत में किशोर कुमार को गंभीरता से नहीं लिया गया. ऐसे में जानेमाने संगीतकार एस डी बर्मन ने उन्‍हें सलाह दी कि वो सहगल साहब को कॉपी करने की बजाय खुद का स्टाइल अपनाये. इसके बाद वर्ष 1957 में उन्‍होंने फ़िल्म ‘फंटूस’ में एक सैड गाने को अपनी आवाज दी और उनकी आवाज दुखरी मन को झंकृत करने में कामयाब साबित हुई. इस गाने से उनकी ऐसी धाक जमी कि फिर उन्‍होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे बढ़ते गये. इसके बाद उन्‍होंने ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘गाईड’, ‘प्रेमपुजारी’, ‘मुनीम जी’, ‘फंटूश’, ‘नौ दो ग्यारह’, ‘पेइंग गेस्ट’, ‘ज्वेल थीफ़’, ‘तेरे मेरे सपने’ जैसी फ़िल्मों में अपनी जादुई आवाज से लोगों को अपना दीवाना बना लिया दिया. संगीत की शुरुआत

किशोर कुमार ने की थी चार शादियां

रुमानी आवाज के धनी किशोर कुमार रीयल लाइफ में भी काफी रोमांटिक थे उन्‍होंने चार शादियां की लेकिन फिर भी उनके जीवन में प्यार की कमी रही. जिंदगी के हर क्षेत्र में मस्तमौला रहने वाले किशोर कुमार के लिए उनकी लव लाइफ भी बड़ी अनोखी थी. किशोर कुमार की पहली शादी रूमा देवी से हुई थी, लेकिन जल्दी ही शादी टूट गई. इसके बाद उन्होंने मधुबाला के साथ विवाह किया. लेकिन शादी के नौ साल बाद ही मधुबाला की मौत के साथ यह शादी भी टूट गई. साल 1976 में किशोर कुमार ने अभिनेत्री योगिता बाली से शादी की लेकिन यह शादी भी ज्यादा नहीं चल पाई. इसके बाद योगिता बाली ने अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली. इसके बाद साल 1980 में उन्होंने चौथी और आखिरी शादी लीना चंद्रावरकर से की जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं.

आकाशवाणी पर हो गये थे बैन

गायकी के साथ-साथ किशोर कुमार मस्‍तमौला और मूडी स्‍वभाव के कारण भी सुर्खियों बटोरते थे. वर्ष 1975 में आपातकाल के समय एक सरकारी समारोह में भाग लेने से साफ मना कर देने पर तत्कालीन सरकार ने किशोर के गीत आकाशवाणी पर प्रसारित करने पर रोक लगा दी, लेकिन वे झुके नहीं. उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फिल्मफेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया.

बॉलीवुड में आसान नहीं था सफर

दुनिया की भीड़ में अपनी मेहनत से अपना मुकाम बना पाना बहुत सरल काम नहीं है. किशोर कुमार ने जिंदगी की जंग में अपने कठोर परिश्रम से विजय हासिल की. किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा की गायिकी में अपना ऐसा मुकाम बनाया जिसे भुला पाना संभव नहीं. इसके बावजूद भी किशोर कुमार की जिंदगी ‘कोरा कागज’ के उस गीत जैसी लगती है जिसे स्वयं उन्होंने गाया था. अपने शुरूआती दिनों में उनको काफी मेहनत करनी पड़ी थी फिर भी उन्होंने हार न मानते हुए अपने मुकाम को हासिल किया. फिल्‍मों में उनके हास्य किरदार को लोगों ने काफी सराहा. उनकी फिल्म ‘पड़ोसन’ को लोग आज भी याद करते हैं तो हंस के लोट-पोट हो जाते हैं.
किशोर कुमार की निजी जिंदगी में दुखों का सिलसिला कुछ इस कदर ही चलता रहा और एक दिन 13 अक्टूबर साल 1987 को दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी मौत हो गई.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें