-विश्व कप से बाहर होने के बाद जर्मनी का सोशल साइट्स पर उड़ रहा है मजाक
नेशनल कंटेंट सेल
1938 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि जर्मनी पहले राउंड में ही बाहर हो गया. हालांकि पहली बार नहीं हुआ कि विश्व कप से गत चैंपियन पहले राउंड में बाहर हुआ हो, लेकिन जर्मनी का बाहर होना सबसे बड़ा उलटफेर माना जा रहा है. जर्मनी ऐसी टीम है, जिसने विश्व कप का फाइनल सबसे अधिक बार खेला है. सबसे अधिक बार सेमीफाइनल में पहुंची है. तीसरे स्थान पर भी सबसे अधिक बार रही है, लेकिन रूस में तीन मैचों में से दो हार के साथ बाहर हो गयी. हार के कई कारण हैं, लेकिन जानकारों के अनुसार टीम चयन और सीनियरों का फ्लॉफ होना इनमें अहम है.
आगे क्या : होंगे बड़े बदलाव
मैच खत्म हो जाने के बाद उसके बारे में सोचने से कोई फायदा तो नहीं होगा, लेकिन ऐसे मौके पर आगे के बारे में सोचना भी तो जरूरी है. जर्मनी के स्टार खिलाड़ियों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गये हैं. सुले, ब्रांट, वर्नर, गोरेत्सका और किमिच जैसे युवा खिलाड़ी कतार में लगे हैं और अब बदलाव का वक्त आ गया है. मैच के बाद कोच ने कहा कि समझने के लिए कुछ घंटों की जरूरत है. हम बहुत निराश हैं. इस बारे में कल बात करेंगे. आनेवाले दिनों में बड़े बदलाव होंगे.
हार के ये हैं महत्वपूर्ण कारण
सुस्त नजर आये स्टार खिलाड़ी
पूरे टूर्नामेंट में खिलाड़ी सुस्त नजर आये. टीमो वेर्नेर में थोड़ी फुर्ती दिखी. यूलियान ब्रांट ने थोड़ा बहुत वक्त फील्ड पर बिताया, उसमें उनके प्रदर्शन की भी कुछ झलक दिखी, लेकिन मैनचेस्टर सिटी के लोरोआ सने की कमी खलती रही. सने अकेले ही गेम को बदल नहीं सकते थे, लेकिन उनकी मौजूदगी से कुछ बदलाव जरूर दिखता. खदिरा, ओजिल और थॉमस मुलर भी फॉर्म से भटके दिखे, जिससे जर्मनी विपक्षी पर हावी नहीं हो सकी.
कोच का ओवर कांफिडेंस पड़ा महंगा
80 वर्ष से जर्मनी की टीम कभी पहले राउंड में बाहर नहीं हुई थी. इस बार टीम में नौ विश्व चैंपियन थे. विश्व कप फ्रेंडली मैच में ऑस्ट्रिया से हार के बाद सऊदी अरब के खिलाफ शानदार सफलता से जर्मन कोच ओवर कंफिडेंस को शिकार हो गये थे. मैक्सिको के खिलाफ शुरुआती मैच को गंभीरता से नहीं लिया. हार के बाद टीम पर दबाव आ गया. कोच जोआकिम लोउ ने उम्रदराज खिलाड़ियों पर भरोसा किया, जो महंगा पड़ा.
टीम चयन को लेकर हुई गलती
मैनचेस्टर सिटी की ओर से खेलनेवाले लोरोआ सने को 23 सदस्यीय टीम में जगह नहीं मिली. चोटिल गोलकीपर मैनुअल नूयेर को टीम में शामिल किया गया. फ्री-किक का भी वह ठीक तरह से सामना नहीं कर सके. मैक्सिको के खिलाफ केदिरा की जगह मार्को रॉयस को वरीयता दी गयी, जिससे मिडफील्ड को भारी नुकसान पहुंचा. मैच में भी बदलाव काफी देर से हुए.
मौके को गोल में नहीं बदल सके
कोरिया के खिलाफ जर्मनी को गोल के कई मौके मिले. मैच में 74% गेंद पर जर्मनी ने नियंत्रण रखा, लेकिन गोल नहीं कर पाये. जैसे ही दूसरे मैच में स्वीडन की स्कोरलाइन बढ़ी, इधर जर्मनी की हड़बड़ाहट बढ़ी और मैच फिसल गया. जर्मनी की पासिंग खराब रही. विपक्षी टीम के डिफेंस को बिखेर नहीं पाया. आपस में को-ऑर्डिनेशन भी खराब रहा. कोरिया का दूसरा गोल सबूत था.
निराशाजनक प्रदर्शन के बाद स्वदेश पहुंची टीम
फ्रैंकफर्ट: फुटबॉल विश्व कप में पहले दौर में निराशाजनक तरीके से बाहर होने के बाद गत चैंपियन जर्मनी की टीम गुरुवार को स्वदेश पहुंची. फुटबॉल की दीवानगी के लिए मशहूर यह देश टीम के लचर प्रदर्शन से गम में डूबा हुआ है और कोच जोआकिम लोउ का भविष्य अधर में है. चार बार की चैंपियन टीम स्थानीय समय के मुताबिक दोपहर तीन बजे यहां हवाई अड्डे पर पहुंची.
खिलाड़ियों और कोच ने मांगी माफी
टीम के डिफेंडर मैट्स हमेल्स ने खिलाड़ियों, कोच और सपोर्ट स्टाफ की तरफ इशारा करते हुए कहा कि हम सबने गलतियां कीं. उन्होंने ट्वीट कर प्रशंसकों से माफी मांगते हुए लिखा कि हमें खेद है कि हम विश्व चैंपियन की तरह नहीं खेल पाये. कप्तान मैनुएल नूयर ने कहा कि हमें लगा ही नहीं कि हम विश्व कप में खेल रहे थे. पिछले विश्व कप में टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले थॉमस मूलर ने कहा कि हम सब आश्चर्यचकित है, हम सब निराश है. लोउ ने हालांकि हार की जिम्मेदारी ली, लेकिन एक साल पहले उनके लिए चीजें अनुकूल थी.
…रूस में कभी जर्मनी जीत नहीं सकता है
मॉस्को: गत विजेता जर्मनी के फुटबॉल विश्व कप से बाहर होने के साथ इंटरनेट पर टीम का जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर बहुत सारे संदेशों में लिखा था, वीएआर का जिक्र ना करें. गौरतलब है कि मौजूदा विश्व कप में वीडियो असिस्टेंट रेफरी (वीएआर) प्रणाली का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके फैसले अब तक कई बार विवादित रहे हैं और पिछले मैच में भी इंजुरी टाइम में दक्षिण कोरिया को वीएआर के जरिये एक गोल दिया गया. ब्राजील की मीडिया ने 2014 के विश्व कप में अपनी टीम के जर्मनी से मिली 1-7 की शर्मनाक हार का मजे के साथ बदला लिया. फॉक्स स्पोर्ट्स ब्राजील ने ट्विटर पर लिखा कि अहाहाहाहाहाहाहाहाहाहा …..”. एक सोशल मीडिया यूजर ने द्वितीय विश्वयुद्ध की तरफ संकेत हुए लिखा , ‘‘1943 के बाद से रूस से जर्मनी की सबसे तेज रूखसती हुई.