Success Story: “जब एक मां सपने देखती है, तो वह सिर्फ अपने लिए नहीं, अपने बच्चे के बेहतर कल के लिए देखती है. जब वह उन सपनों को पूरा करने चल पड़ती है, तो उसकी हर थकान, हर त्याग, हर नींद अधूरी लेकिन उम्मीद पूरी होती है.” ऐसी ही एक कहानी है हरियाणा के छोटे से गांव खुर्सपुरा की पुष्पलता यादव की — जिन्होंने बेटे की परवरिश, घर की जिम्मेदारियां और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच खुद को नहीं भुलाया. उन्होंने दिखा दिया कि मां बनना रुकावट नहीं, ताकत होती है — और इसी ताकत के साथ उन्होंने UPSC जैसी कठिन परीक्षा पास की और ऑल इंडिया रैंक 80 के साथ इतिहास रच दिया.
गांव से निकलकर रचा इतिहास
हरियाणा के रेवाड़ी जिले के छोटे से गांव खुर्सपुरा की पुष्पलता यादव ने यह साबित कर दिया कि अगर जिद हो तो कोई भी सपना छोटा नहीं होता. पुष्पलता की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से शुरू हुई. उन्होंने साइंस में ग्रेजुएशन और फिर एमबीए किया. पढ़ाई पूरी करने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में काम भी शुरू किया, लेकिन मन कहीं और था. उनके भीतर कुछ बड़ा करने की ललक थी.
नौकरी से लेकर UPSC तक का सफर
काम के साथ-साथ वह रातों में पढ़ाई करती थीं और छुट्टियों में टेस्ट देती थीं. मेहनत रंग लाई और उन्होंने बैंक परीक्षा पास कर ली. इसके बाद स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद में असिस्टेंट मैनेजर बनीं. लेकिन यहां भी मन नहीं लगा. उन्होंने नौकरी छोड़ी और UPSC की तैयारी शुरू की.
मां बनीं, लेकिन सपना नहीं छोड़ा
शादी के बाद वह मां बनीं. अब उनके पास एक दो साल का बेटा था, लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई करना, बच्चे को संभालना, घर का काम करना और फिर किताबों में डूब जाना—यही दिनचर्या बन गई. कोई कोचिंग नहीं, कोई बड़ा गाइड नहीं. सिर्फ आत्मविश्वास और परिवार का साथ था. पहले दो प्रयास असफल रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
तीसरे प्रयास में रची सफलता की कहानी
साल 2017 में तीसरे प्रयास में उन्होंने UPSC परीक्षा पास की और देशभर में ऑल इंडिया रैंक 80 हासिल की. उनकी यह सफलता सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि संघर्ष, मेहनत और मां की ममता की जीत है.
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