Lord Swaraj Paul Death: भारतीय मूल के दिग्गज उद्योगपति और समाजसेवी Lord Swaraj Paul का गुरुवार शाम लंदन में निधन हो गया. जालंधर की गलियों से निकलकर ब्रिटेन की इंडस्ट्री और राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बनाने वाले Swaraj Paul ने न सिर्फ व्यापार में नाम कमाया बल्कि समाजसेवा के लिए भी अपनी गहरी छाप छोड़ी. आइए जानते हैं Lord Swaraj Paul Death के बारे में और उनकी उपलब्धियां.
शुरुआती जीवन और शिक्षा (Lord Swaraj Paul Death)
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 18 फरवरी 1931 को जालंधर (पंजाब) में जन्मे Swaraj Paul के पिता प्यारे लाल एक छोटी फाउंड्री चलाते थे, जहां स्टील से कृषि उपकरण और घरेलू सामान बनता था. यहीं से Lord Paul को बिजनेस का पहला अनुभव मिला. उन्होंने 1949 में पंजाब यूनिवर्सिटी से BSc की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद अमेरिका के MIT (Massachusetts Institute of Technology) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की.
Caparo Group की स्थापना (Lord Swaraj Paul Death)
भारत लौटकर उन्होंने कुछ समय अपने पारिवारिक व्यवसाय से जुड़ाव रखा. 1966 में अपनी बेटी अंबिका के इलाज के लिए वे लंदन गए, लेकिन उसकी मृत्यु हो गई. इस घटना ने उनकी जिंदगी बदल दी. 1968 में उन्होंने ब्रिटेन में Caparo Group की स्थापना की. यह कंपनी स्टील और इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्माण और वितरण में अग्रणी बन गई और आज इसके कारोबार का दायरा भारत, अमेरिका, कनाडा और UAE तक फैला है.
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समाजसेवा और फाउंडेशन (Lord Swaraj Paul Death)
बेटी की याद में उन्होंने Ambika Paul Foundation की शुरुआत की, जो शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में बच्चों और युवाओं के लिए काम करती है. बाद में पत्नी अरुणा के निधन के बाद इस फाउंडेशन का नाम बदलकर Aruna & Ambika Paul Foundation कर दिया गया. लंदन का Ambika Paul Children’s Zoo उनकी समाजसेवा का बड़ा उदाहरण है.
संघर्ष और निजी जीवन (Lord Swaraj Paul Death)
सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने के बावजूद Lord Paul का निजी जीवन दुखों से भरा रहा. बेटी अंबिका, बेटे अंगद (2015) और पत्नी अरुणा (2022) को खोने का दर्द उन्होंने सहा. इसके बावजूद उन्होंने समाज और व्यापार में अपना योगदान जारी रखा.
संपत्ति और उपलब्धियां (Lord Swaraj Paul Death)
Lord Paul को कई बार ब्रिटेन की ‘Sunday Times Rich List’ में जगह मिली. 2025 में वे 81वें स्थान पर थे, उनकी संपत्ति लगभग 2 बिलियन पाउंड आंकी गई. वे ब्रिटेन के House of Lords के सक्रिय सदस्य भी रहे और भारतीय प्रवासी समुदाय की आवाज बने रहे.
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