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रिक्शे वाले का बेटा है…तानों से UPSC Topper तक, रुला देगी इस IAS की कहानी

IAS Success Story: रिक्शा चालक के बेटे ने गरीबी, तानों और संघर्षों को पीछे छोड़ते हुए UPSC टॉप कर दिखाया कि सपने हालात नहीं, हौसलों से पूरे होते हैं. यह कहानी सिर्फ एक सफलता नहीं, बल्कि हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों से हार मान चुका है.

IAS Success Story in Hindi: ना सुविधा और ना ही समर्थन. फिर भी मन में ठान लिया कि सपनों से बड़ा कुछ नहीं है और इसी को सोचकर आगे बढ़े. यूपीएससी टाॅपर बनकर इतिहास रचा. ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है बनारस के गोविंद जायसवाल (Govind Jaiswal Success Story) की. उनकी मां का देहांत बचपन में हो गया था और पिता रिक्शा चलाकर परिवार पालते थे. समाज ने उन्हें ताने दिए, स्कूल में बच्चे मजाक उड़ाते थे, लेकिन गोविंद ने हार नहीं मानी. उन्होंने संघर्षों को ताकत बनाया और IAS बनकर सबको जवाब दिया कि मेहनत करने वालों को भी इज्जत से जीने का हक होता है.

बचपन में गरीबी, ताने और अपमान (IAS Success Story in Hindi)

रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोविंद का बचपन बेहद कठिन था. मां के गुजरने के बाद पिता अकेले बच्चों की परवरिश करते थे. स्कूल में बच्चे उन्हें “रिक्शेवाले का बेटा” कहकर चिढ़ाते थे. एक बार वे एक दोस्त के घर खेलने गए तो उसके पिता ने डांटकर भगा दिया. ये अपमान गोविंद के दिल में घर कर गया.

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IAS बनने का सपना कैसे शुरू हुआ? (IAS Success Story in Hindi)

एक दिन गोविंद ने अपने अध्यापक से पूछा कि ऐसा क्या करें जिससे समाज में इज्जत मिले? जवाब मिला कि IAS बनो या बड़ा बिजनेसमैन. तभी से गोविंद ने ठान लिया कि उन्हें IAS बनना है.गोविंद के पिता ने उनकी पढ़ाई के लिए अपनी जमीन तक बेच दी. वे दिल्ली में रहकर पढ़ाई करते थे और पिता रिक्शा चलाकर पैसे भेजते थे. एक बार पिता को पैर में संक्रमण हो गया, लेकिन बेटे को बताना तक मुनासिब नहीं समझा, ताकि उसकी पढ़ाई में बाधा न आए.

गोविंद की सफलता बनी मिसाल (IAS Success Story in Hindi)

2007 में गोविंद ने UPSC परीक्षा में 48वीं रैंक हासिल कर IAS अधिकारी बने. उनकी सफलता आज लाखों युवाओं को प्रेरित करती है. 

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Shubham
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