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सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट स्कीम में दनादन पैसा लगा रहे लोग, टैक्स छूट का उठा रहे फायदा

Tax Exemption: नई कर व्यवस्था लागू होने के छह महीने बाद भारतीय पेशेवरों में बचत और निवेश की प्रवृत्ति बढ़ी है. रिपोर्ट के अनुसार, 57% लोग अतिरिक्त आय को सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट स्कीम में लगा रहे हैं, जबकि 30% इसे कर्ज चुकाने में उपयोग कर रहे हैं. नई कर छूट ने मध्यम आय वर्ग को भविष्य की वित्तीय सुरक्षा और दीर्घकालिक निवेश की ओर प्रेरित किया है. उद्योग-वार और शहर-वार विश्लेषण से पता चलता है कि वित्तीय जागरूकता और योजनाबद्ध निवेश में लगातार वृद्धि हो रही है.

Tax Exemption: देश में नई कर व्यवस्था लागू होने के छह महीने बाद लोगों के वित्तीय व्यवहार में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. आयकर छूट के प्रावधानों ने कर्मचारियों को बचत और निवेश योजनाओं की ओर आकर्षित किया है. मंगलवार को पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, अब करीब 57% लोग अपनी अतिरिक्त आय को सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट स्कीम में लगाने लगे हैं.

नौकरी की रिपोर्ट से खुलासा

रिपोर्ट रोजगार संबंधी मंच नौकरी डॉट कॉम की ओर से जारी की गई है. इसमें वित्त वर्ष 2025-26 की नई कर व्यवस्था का आकलन किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, 12.75 लाख रुपये प्रतिवर्ष तक की आय वाले पेशेवरों पर कर देनदारी अब शून्य हो गई है. इस बदलाव ने उन्हें खर्च की तुलना में बचत और लोन चुकाने को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया है.

जागरूकता पर मिला मिलाजुला परिणाम

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि नई कर व्यवस्था के बारे में सभी लोग पूरी तरह जागरूक नहीं हैं. करीब 64% प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि उन्हें लाभों की पूरी जानकारी है. वहीं, 43% प्रतिभागियों ने कहा कि वे या तो अस्पष्ट हैं या बदलावों से पूरी तरह अनजान हैं.

बचत, निवेश और कर्ज चुकाने की प्राथमिकता

रिपोर्ट में सामने आया कि 57% प्रतिभागी अपनी अतिरिक्त आय को सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट स्कीम में लगाते हैं. वहीं, 30% लोग इस अतिरिक्त धन को अपने कर्ज चुकाने में उपयोग कर रहे हैं. इसके अलावा, बहुत ही कम लोग इस आय को उपभोग में खर्च कर रहे हैं.

उपभोग पर सीमित खर्च

रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि केवल 9% लोग अपनी जीवनशैली सुधारने पर और मात्र 4% लोग यात्रा और अवकाश पर खर्च कर रहे हैं. यह दर्शाता है कि नई कर व्यवस्था ने उपभोग के बजाय बचत की प्रवृत्ति को मजबूत किया है.

उद्योग-वार विश्लेषण

सर्वेक्षण में विभिन्न उद्योगों के पेशेवरों का अलग-अलग रुझान देखने को मिला. इसमें उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सबसे अधिक 76% पेशेवर अपनी अतिरिक्त आय को बचत में लगा रहे हैं. वाहन उद्योग के 63% और औषधि क्षेत्र के 57% पेशेवर भी सेविंग्स में सक्रिय रूप से निवेश कर रहे हैं. रोजमर्रा का सामान बनाने वाली कंपनियों (एफएमसीजी) के 64% कर्मचारी और होटल सेक्टर के 60% से अधिक पेशेवर दीर्घकालिक निवेश व सेवानिवृत्ति योजनाओं के प्रति सबसे अधिक प्रतिबद्ध पाए गए.

शहर-वार रुझान

रिपोर्ट में शहरों के आधार पर भी बचत की प्रवृत्तियों का अंतर दिखा. दिल्ली और गुरुग्राम में क्रमशः 63 और 64 प्रतिशत पेशेवर अपनी अतिरिक्त आय को सेविंग्स और निवेश योजनाओं में डालते हैं. चेन्नई में लगभग 44% प्रतिभागियों ने लोन चुकाने को प्राथमिकता दी. मुंबई इस मामले में अलग नजर आया, जहां 51% पेशेवर विशेष रूप से रिटायरमेंट फंड में निवेश कर रहे हैं.

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नई कर व्यवस्था का असर

नई कर व्यवस्था लागू होने से मध्यम आय वर्ग के लोगों की आर्थिक योजनाओं में सुधार आया है. कर का बोझ घटने के कारण वे अब भविष्य की सुरक्षा और दीर्घकालिक निवेश की दिशा में सोच रहे हैं. यह प्रवृत्ति न केवल व्यक्तिगत वित्तीय स्थिरता को मजबूत कर रही है, बल्कि देश की समग्र बचत दर को भी बढ़ावा दे रही है. कुल मिलाकर, नई कर व्यवस्था ने पेशेवरों को खर्च से ज्यादा बचत और निवेश की ओर मोड़ दिया है. कर छूट का सीधा फायदा यह हुआ है कि अब अधिकांश लोग अपनी अतिरिक्त आय को योजनाबद्ध तरीके से सेविंग्स, निवेश और कर्ज निपटाने में लगा रहे हैं.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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