SEBI: कैपिटल मर्केट रेगुलेटर सेबी ने साफ कर दिया है कि वह डिजिटल गोल्ड या ई-गोल्ड को रेगुलेट नहीं करेगी, क्योंकि ये उत्पाद उसकी निगरानी के दायरे में आते ही नहीं है. सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने कहा कि अगर किसी को गोल्ड में निवेश करना है, तो वह गोल्ड ETF या अन्य ट्रेडेबल सिक्योरिटीज के जरिए कर सकता है, जो पहले से ही सेबी के नियमों के तहत आती हैं. सेबी का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब डिजिटल गोल्ड बेचने वाले कई प्लेटफॉर्म चाहते हैं कि सरकार इन्हें आधिकारिक रेगुलेशन में लाए. कुछ समय पहले सेबी ने निवेशकों को डिजिटल गोल्ड के जोखिमों के बारे में चेतावनी भी दी थी क्योंकि कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इसे फिजिकल गोल्ड की आसान जगह बताकर बेच रहे हैं.
Digital Gold में क्या है खतरा?
सेबी ने कहा है कि डिजिटल गोल्ड न तो सिक्योरिटी माना जाता है और न ही कमोडिटी डेरिवेटिव्स. इसलिए इन पर किसी भी तरह का निवेश सुरक्षा कानून लागू नहीं होता है. इससे निवेशकों को काउंटरपार्टी रिस्क यानी कंपनी पर भरोसा टूटने का जोखिम रहता है. अगर कंपनी बंद हो जाए या धोखा दे दे, तो निवेशक का पैसा फंस सकता है. इसलिए सेबी ने सलाह दी है कि गोल्ड में निवेश सिर्फ उसके रेगुलेटेड साधनों के जरिये ही किया जाए.
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REITs और InvITs में क्या बदल सकता है?
सेबी ने बताया कि वह अब कोशिश करेगी कि REITs को मार्केट इंडेक्स में शामिल किया जाए, जिससे इसमें निवेश और ट्रेडिंग को और बढ़ावा मिल सके. साथ ही, इन निवेश साधनों के लिए ऐसे नियम भी तैयार किए जा रहे हैं, जिनसे कम्पनियों और निवेशकों दोनों को फायदा मिले.
Mutual Funds के नियम भी होंगे आसान?
अगले महीने सेबी अपने बोर्ड में म्यूचुअल फंड और स्टॉक ब्रोकर से जुड़े नियमों की पूरी समीक्षा करने वाली है. इससे खर्चे, ब्रोकरेज और निवेश प्रक्रिया को और साफ व सस्ता बनाने की कोशिश है.
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