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एक फिल्म की कितनी फीस लेते थे हरफनमौला एक्टर सतीश शाह, जानें कितनी थी उनकी संपत्ति

Satish Shah Net Worth: भारतीय थिएटर और बॉलीवुड के बहुप्रशंसित अभिनेता सतीश शाह अपनी कॉमेडी और वर्सेटाइल अभिनय के लिए जाने जाते रहे हैं. “साराभाई वर्सेस साराभाई” से लेकर “मैं हूं ना” तक उन्होंने यादगार किरदार निभाए. उनका करियर स्टेज, टीवी और फिल्मों में फैला है. हालांकि, उनकी सही नेट वर्थ सार्वजनिक नहीं है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्हें फिल्मों और टीवी शो से अच्छी कमाई होती है और रियल एस्टेट में निवेश भी है. साथ ही, वह समाज सेवा और चैरिटी में सक्रिय हैं, जो उनकी असली दौलत को दर्शाती है.

Satish Shah Net Worth: भारतीय सिनेमा के हरफनमौला अभिनेता सतीश शाह का शनिवार को निधन हो गया. सतीश शाह भारतीय सिनेमा का एक ऐसा नाम, जो ह्यूमर और सच्चाई से भरे अभिनय के लिए जाना जाता है. उनकी परफॉर्मेंस में एक ऐसी ईमानदारी है, जिसने उन्हें हर पीढ़ी का पसंदीदा बना दिया. चाहे “साराभाई वर्सेस साराभाई” के मासूम तारक मेहता हों या “मैं हूं ना” के चालाक प्रोफेसर, सतीश शाह हर किरदार में जान डाल देते थे. करीब 250 से अधिक फिल्मों में काम करने वाले सतीश शाह एक फिल्म के लिए 2 से 5 करोड़ रुपये तक बतौर फीस लेते थे. आइए, जानते हैं कि वे अपने पीछे कितनी संपत्ति छोड़ गए और उन्होंने अपने जीवन में सफलता कैसे हासिल की?

2025 में सतीश शाह की नेट वर्थ का अनुमान

सतीश शाह की संपत्ति को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, क्योंकि वह अपनी पर्सनल और फाइनेंशियल लाइफ को हमेशा प्राइवेट रखते थे, लेकिन मीडिया की रिपोर्ट्स में बताया गया है कि उन्हें हर फिल्म के लिए 2 से 5 करोड़ रुपये तक फीस मिलती है. अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि सिनेमा, टेलीविजन और ब्रांड एसोसिएशन में लगातार सफलता की वजह से उनके गुजरने के समय तक उनकी कुल संपत्ति 40 से 45 करोड़ रुपये के बीच होगी. टीवी शो और स्टेज परफॉर्मेंस से भी उन्हें अच्छी कमाई होती थी. माना जाता है कि मुंबई और भारत के दूसरे हिस्सों में उनकी कई प्रॉपर्टीज और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट हैं, जो उनकी संपत्ति में बड़ा योगदान देते हैं.

थिएटर से बॉलीवुड तक का सफर

सतीश शाह ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत गुजराती थिएटर से की थी. उन्होंने मशहूर नाटककार विजय तेंदुलकर के साथ कई नाटकों में काम किया और अपनी पहचान बनाई. उनकी असली पहचान तब बनी जब उन्होंने 1984 में टीवी सीरीज़ “यह जो है जिंदगी” में विनोद का किरदार निभाया. यह रोल इतना लोकप्रिय हुआ कि वह घर-घर में पहचाने जाने लगे. बाद में, उन्होंने फिल्मों की ओर रुख किया और “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे,” “हम साथ-साथ हैं,” “फिर भी दिल है हिंदुस्तानी,” “मैं हूं ना” जैसी हिट फिल्मों में शानदार काम किया. उनकी कॉमेडी टाइमिंग और वर्सेटिलिटी ने उन्हें एक ऐसा कलाकार बना दिया, जिसे हर जेनर में फिट कहा जा सकता है.

सिनेमा और टीवी सीरियल के साथ समाज सेवा भी

सतीश शाह सिर्फ एक्टर ही नहीं, बल्कि एक समाजसेवी भी थे. वह शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले कई एनजीओ और चैरिटेबल संगठनों से जुड़े थे. वह अपने प्रोडक्शन हाउस आइरिस प्रोडक्शंस के जरिए भी ऐसे नाटक और फिल्में बनाते थे, जो सामाजिक मुद्दों पर बात करती थीं और लोगों को जागरूक करती थीं.

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सतीश शाह के किरदारों में छिपी है असली दौलत

सतीश शाह की नेट वर्थ शायद करोड़ों में हो, लेकिन उनकी असली संपत्ति उनके काम, उनकी विनम्रता और समाज के प्रति उनके समर्पण में है. उन्होंने जो किरदार निभाए, वो आज भी दर्शकों की यादों में जिंदा हैं. कला, इंसानियत और ह्यूमर का ये मेल ही सतीश शाह को भारत का एक सच्चा “कॉमन मैन स्टार” बनाता है, जिनकी असली संपत्ति रुपयों में नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में मापी जाती है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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