RBI Dividend: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये का लाभांश देने की घोषणा की है. यह राशि पिछले साल दिए गए 2.1 लाख करोड़ रुपये के डिविडेंड से करीब 27.4% अधिक है और सरकार के लिए एक बड़ी राजस्व राहत मानी जा रही है.
केंद्रीय निदेशक मंडल ने दी मंजूरी
आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की 616वीं बैठक में इस ऐतिहासिक डिविडेंड देने का निर्णय लिया गया. बैठक की अध्यक्षता गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की. इस दौरान वैश्विक और घरेलू आर्थिक हालात, जोखिमों और रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा हुई.
रक्षा व्यय और राजकोषीय घाटा में राहत
विशेषज्ञों के अनुसार, यह अधिशेष सरकार को अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए सीमा शुल्क, पाकिस्तान के साथ संघर्ष और बढ़े रक्षा खर्च से निपटने में मदद करेगा. इसके साथ ही, यह राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2024-25 में 4.4% तक सीमित रखने में योगदान देगा, जो पिछले वर्ष के 4.8% से कम है.
संशोधित ईसीएफ के तहत लाभांश
आरबीआई ने बताया कि यह लाभांश संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचे (ECF) के अनुसार तय किया गया है. नए ढांचे के तहत आकस्मिक जोखिम बफर (CRB) को 7.5% तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. पूर्व में कोविड-19 संकट के चलते इसे 5.5% तक सीमित रखा गया था, जिसे अब स्थिति सामान्य होने पर बढ़ाया गया है.
बाजार जोखिम बफर में बदलाव
संशोधित ईसीएफ के अनुसार, अब बाजार जोखिम बफर की गणना एकीकृत दृष्टिकोण से की जाएगी, जिसमें छोटी मुद्राओं में विदेशी मुद्रा आस्तियों का निवेश भी शामिल हो सकता है. यदि आवश्यक वास्तविक इक्विटी न्यूनतम स्तर से कम होगी, तो सरकार को अधिशेष नहीं दिया जाएगा.
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बजट अनुमान से अधिक है यह राशि
सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए आरबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों से 2.56 लाख करोड़ रुपये की अधिशेष प्राप्ति का अनुमान लगाया था. रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार, यह अधिशेष 40,000-50,000 करोड़ रुपये अधिक है, जिससे सरकार को गैर-कर राजस्व में वृद्धि और व्यय के प्रबंधन में राहत मिलेगी. इस ऐतिहासिक लाभांश हस्तांतरण से भारत की राजकोषीय स्थिरता को नई मजबूती मिलेगी और यह आर्थिक विकास की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.
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