RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) दिसंबर में पेश होने वाली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में कटौती कर सकता है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने संकेत दिया है कि आगामी दिसंबर में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो रेट में कटौती की संभावनाएं पहले से अधिक बढ़ गई हैं. हालिया मैक्रोइकॉनॉमिक डेटा और महंगाई के स्तर में गिरावट ने इस उम्मीद को मजबूत किया है. मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (एमपीसी) ने अक्टूबर में ही रेट-कट की गुंजाइश जताई थी और अब नए आंकड़े इस संभावना को और समर्थन दे रहे हैं.
10-साल के बॉन्ड यील्ड में चार बेसिस पॉइंट की गिरावट
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के इस बयान का तुरंत असर बाजार पर दिखाई दिया. भारत का बेंचमार्क 10-साल का बॉन्ड यील्ड 4 बेसिस पॉइंट गिरकर 6.48% पर आ गया. बॉन्ड यील्ड में गिरावट आमतौर पर संकेत देती है कि बाजार भविष्य में ब्याज दरों के कम होने का अनुमान लगा रहा है. निवेशकों के लिए यह संकेत सकारात्मक माना जाता है, क्योंकि कम यील्ड लंबे समय तक सस्ते उधार की संभावनाओं को दर्शाती है.
सीपीआई महंगाई 2012 के बाद सबसे निचले स्तर पर
अक्टूबर 2025 में भारत की रिटेल महंगाई दर (सीपीआई) केवल 0.25% बढ़ी, जो 2012 में मौजूदा सीपीआई सीरीज शुरू होने के बाद से सबसे कम मासिक वृद्धि है. कम महंगाई के आंकड़ों ने रेट कट की उम्मीदों को और मजबूती दी है. मार्केट विश्लेषकों का अनुमान है कि 5 दिसंबर 2025 को होने वाली आरबीआई की अगली समीक्षा बैठक में रेपो रेट में कटौती का फैसला संभव है.
साल की शुरुआत से अब तक 100 बेसिस पॉइंट की कटौती
आरबीआई ने फरवरी 2025 से अब तक कुल 100 बेसिस पॉइंट की रेपो रेट कटौती की है. हालांकि, अक्टूबर की बैठक में नीति दरों को अपरिवर्तित रखा गया था. विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई अब डेटा-ड्रिवन एप्रोच अपना रहा है. अक्टूबर और नवंबर के महंगाई आंकड़ों ने रेपो रेट में कटौती का रास्ता साफ किया है.
महंगाई आरबीआई के अनुमान से कम रहने की उम्मीद
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की महंगाई आरबीआई के 2.6% के अनुमान से भी कम रह सकती है. यह दर आरबीआई के मध्य-लक्ष्य 4% से काफी नीचे रहेगी. हालांकि, आरबीआई ने आगाह किया है कि अगले क्वार्टर में बेस इफेक्ट खत्म होने के बाद महंगाई फिर से 4% स्तर पर लौट सकती है, लेकिन फिलहाल परिस्थितियां स्थिर और सकारात्मक हैं.
रुपये की कमजोरी, वैश्विक गैप और घरेलू महंगाई का असर
रुपये की कमजोरी पर बोलते हुए संजय मल्होत्रा ने कहा कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ महंगाई के अंतर का असर मुद्रा पर स्वाभाविक रूप से दिखता है. उन्होंने बताया कि 3%–3.5% की सालाना गिरावट सामान्य है और RBI रुपये को किसी खास स्तर पर नहीं रोकता, बल्कि अत्यधिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने पर ध्यान देता है.
एशिया में सबसे कमजोर मुद्रा बना भारतीय रुपया
गौर करने वाली बात यह भी है कि इस साल भारत का रुपया एशिया की प्रमुख मुद्राओं में सबसे खराब प्रदर्शन कर रहा है. रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 4% कमजोर हुआ और शुक्रवार को अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया, जिससे आयात लागत और विदेशी फंडिंग पर दबाव बढ़ सकता है.
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दिसंबर पॉलिसी पर टिकी बाजार की निगाहें
संजय मल्होत्रा के संकेतों के बाद वित्तीय बाजारों की नजरें अब दिसंबर की मौद्रिक नीति समिति की बैठक पर टिकी हैं. कम महंगाई, स्थिर आर्थिक संकेतक और बाजार की अपेक्षाओं से यह संभावना अधिक है कि आरबीआई रेपो रेट में कटौती कर सकता है, जिससे कर्ज, निवेश और विकास की रफ्तार को नई दिशा मिल सकती है.
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