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आपके सिम कार्ड से की गई धोखाधड़ी तो आप भी होंगे जिम्मेदार, DoT ने जारी की चेतावनी

SIM Card Fraud: दूरसंचार विभाग ने चेतावनी दी है कि आपके नाम पर जारी सिम कार्ड का गलत इस्तेमाल होने पर आप भी कानूनी रूप से जिम्मेदार होंगे. फर्जी दस्तावेजों पर सिम लेना, दूसरों को सिम देना और आईएमईआई में छेड़छाड़ करना गंभीर अपराध है, जिसके लिए 3 साल जेल और 50 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है. दूरसंचार विभाग ने सीएलआई बदलने वाले ऐप्स से दूर रहने और संचार साथी पोर्टल पर आईएमईआई जांच करने की सलाह दी है.

SIM Card Fraud: मोबाइल रखने वाले सावधान हो जाएं. अगर आपके मोबाइल के सिम कार्ड से साइबर क्रिमिनल्स ने किसी प्रकार की धोखाधड़ी या अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया है, तो उसके लिए आप भी जिम्मेदार होंगे. देश में बढ़ते साइबर फ्रॉड और मोबाइल नंबरों के दुरुपयोग को देखते हुए दूरसंचार विभाग ने मोबाइल उपभोक्ताओं को गंभीर चेतावनी जारी की है. दूरसंचार विभाग की ओर से जारी किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अगर किसी उपभोक्ता के नाम पर जारी सिम कार्ड का इस्तेमाल साइबर ठगी या किसी अवैध गतिविधि में होता है, तो उसकी जिम्मेदारी मूल ग्राहक पर भी आएगी. विभाग ने इसे कानूनी रूप से दंडनीय अपराध बताया है.

फर्जी दस्तावेजों पर सिम लेना खतरनाक

दूरसंचार विभाग ने स्पष्ट किया कि सिम कार्ड लेते समय फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करना या सक्रिय सिम कार्ड किसी और व्यक्ति को दे देना दूरसंचार नियमों का गंभीर उल्लंघन है. अगर कोई उपभोक्ता अपने नाम पर खरीदे गए सिम को किसी अन्य व्यक्ति को सौंप देता है और वह सिम किसी धोखाधड़ी में उपयोग होता है, तो वास्तविक ग्राहक को भी कानूनी रूप से दोषी माना जा सकता है. विभाग के मुताबिक, कई मामलों में देखा गया है कि साइबर अपराधी दूसरों के नाम पर जारी सिम कार्ड इस्तेमाल कर धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं. ऐसे मामलों में अपराध पकड़ में आने पर मूल ग्राहक भी जांच के दायरे में आता है.

आईएमईआई में छेड़छाड़ पर कड़ी सजा

मोबाइल फोन की विशिष्ट पहचान संख्या यानी आईएमईआई में बदलाव या छेड़छाड़ को लेकर भी विभाग ने सख्त रुख अपनाया है. दूरसंचार अधिनियम, 2023 के अनुसार, आईएमईआई छेड़छाड़, बदलने या ऐसे उपकरण रखने पर जिसमें आईएमईआई नंबर बदलने की क्षमता हो, इन सभी पर तीन साल तक की कैद और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. दूरसंचार (दूरसंचार साइबर सुरक्षा) नियम, 2024 भी स्पष्ट रूप से आईएमईआई के बदलाव, निर्माण या ऐसे किसी डिवाइस के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करता है जो सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करता हो.

कॉलिंग लाइन आइडेंटिटी बदलने वाले ऐप रहें दूर

दूरसंचार विभाग ने उपभोक्ताओं को चेतावनी दी है कि इंटरनेट पर उपलब्ध कई एप्लिकेशन और वेबसाइटें कॉलिंग लाइन आइडेंटिटी (सीएलआई) बदलने की सुविधा देती हैं. इनका इस्तेमाल करना न केवल कानूनन गलत है, बल्कि साइबर अपराधों को बढ़ावा देता है. अगर किसी उपभोक्ता को ऐसे किसी टूल के इस्तेमाल में पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

संचार साथी पोर्टल से आईएमईआई की पुष्टि जरूरी

दूरसंचार विभाग ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे अपने मोबाइल उपकरणों के आईएमईआई नंबर की पुष्टि संचार साथी पोर्टल या ऐप के माध्यम से जरूर करें. यह सुविधा उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि उनके मोबाइल फोन का आईएमईआई सही है और उसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की गई है. संचार साथी के माध्यम से उपभोक्ता चोरी हुए फोन की रिपोर्ट भी दर्ज करा सकते हैं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत विभाग तक पहुंचा सकते हैं.

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सरकार का क्या है लक्ष्य

दूरसंचार विभाग ने बयान में कहा कि सरकार देश में सुरक्षित, पारदर्शी और विश्वसनीय दूरसंचार व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए लगातार कड़े कदम उठा रही है. टेलीकॉम संसाधनों के गलत इस्तेमाल को रोकने और नागरिकों को साइबर अपराध से बचाने के लिए नीतियों को और कठोर बनाया गया है. विभाग ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे सिम कार्ड लेने से लेकर उसके इस्तेमाल तक सभी दिशानिर्देशों का पालन करें. खासतौर पर अपने मोबाइल नंबर और पहचान से जुड़ी जानकारी को किसी के साथ साझा न करें और किसी भी अनधिकृत सिम मांग को तुरंत अस्वीकार करें.

भाषा इनपुट के साथ

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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