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RBI ने की रेपो रेट में 0.25% की वृद्धि तो 1 लाख के Loan पर कितनी बढ़ेगी EMI? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. इसमें बढ़ोतरी होने का मतलब यह है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा.

रांची : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट में 25 आधार अंक (बेसिस प्वाइंट) अथवा 0.25 की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है. भरात के केंद्रीय बैंक के इस कदम से आम आदमी द्वारा लिये गए कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई भी महंगी हो जाएगी. हर किसी के मन में यह जानने के लिए सवाल पैदा हो रहे होंगे कि आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी बढ़ोतरी की है, तो उनके लोन की ईएमआई में कितनी बढ़ोतरी होगी. लोगों के मन में पैदा हो रही आशंका को देखते हुए प्रभात खबर डॉट कॉम ने बैंक ऑफ इंडिया के चेन्नई जोन से रिटायर्ड एजीएम राजीव रंजन तिवारी से बात की और यह जानने की कोशिश की कि यदि किसी व्यक्ति ने लोन ले रखी है, तो प्रति 1 लाख के लोन पर ईएमआई में कितनी बढ़ोतरी होगी? आइए, जानते हैं कि रिटायर्ड एजीएम राजीव रंजन तिवारी ने क्या कहा…

रेपो रेट क्या है?

रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी होने पर लोन की ईएमआई में होने वाली बढ़ोतरी पर जानने से पहले रेपो रेट के बारे में समझना बेहद जरूरी है. नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. इसमें बढ़ोतरी होने का मतलब यह है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा. आरबीआई देश के बैंकों और वित्तीय संस्थानों को महंगी ब्याज दर पर कर्ज देगा. इससे मौजूदा कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ेगी. आरबीआई की रेपो रेट में बढ़ोतरी का असर आम आदमी पड़ता है. आरबीआई बैंकों को देने वाले कर्ज को महंगा करता है, तो देश के बैंक उसकी वसूली कर्ज लेने वाले ग्राहकों से करता है.

कितनी तरह के होते हैं लोन?

इस सवाल के जवाब में रिटायर्ड एजीएम राजीव रंजन तिवारी कहते हैं कि देश के किसी भी बैंक की ओर से दो प्रकार के कर्ज जारी किए जाते हैं. इनमें बिजनेस लोन और रिटेल लोन (खुदरा कर्ज) शामिल हैं. बैंकों की ओर से आम आदमी को बिजनेस लोन के मुकाबले रिटेल लोन रियायती दरों पर उपलब्ध कराए जाते हैं. उन्होंने कहा कि रिटेल लोन में होम लोन, पर्सनल लोन, व्हीकल लोन और एजुकेशन लोन आदि शामिल हैं.

बैंक कैसे तय करते हैं लोन ईएमआई में बढ़ोतरी?

राजीव रंजन तिवारी ने कहा कि रिटेल लोन आरबीआई की रेपो रेट से डायरेक्ट जुड़े हुए होते हैं. इसलिए आरबीआई अगर रेपो रेट में 0.25 फीसदी बढ़ोतरी करता है, तो बैंक भी उसी अनुपात से लोन की मासिक किस्त यानी ईएमआई में बढ़ोतरी करते हैं. उन्होंने बताया कि रिटेल लोन रेपो रेट से लिंक्ड होने के बाद बैंक बढ़ी हुई रेपो रेट पर अपना एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपेंसिव और नॉमिनल प्रोफिट जोड़कर लोन की ईएमआई में बढ़ोतरी करता है. उन्होंने बताया कि देश के सभी बैंकों का एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपेंसिव एक तरह फिक्स नहीं होता. किसी बैंक का बिजनेस वॉल्यूम अधिक है, तो उस पर बर्डेन कम होगा. जाहिर है कि जिसका बिजनेस बर्डेन कम होगा, वह लोन की ईएमआई पर एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपेंसिव कम ही निर्धारित करेगा. वहीं, किसी बैंक का बिजनेस वॉल्यूम कम होगा, तो उस पर बर्डेन अधिक होगा. ऐसी स्थिति में इस प्रकार के बैंक लोन ईएमआई पर एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपेंसिव भी अधिक तय करते हैं, लेकिन वह भी ज्यादा नहीं होता.

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1 लाख के लोन पर कितनी बढ़ेगी ईएमआई

उन्होंने बताया कि अब अगर आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी बढ़ोतरी की, तो प्राय: हर बैंक एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपेंसिव जोड़ते हुए लोन की ईएमआई में 0.15 फीसदी से 0.20 फीसदी तक बढ़ोतरी करते हैं. शायद ही कोई ऐसा बैंक होता है, जो लोन ईएमआई 0.25 फीसदी तक बढ़ोतरी करता है. वे बताते हैं कि अब अगर किसी व्यक्ति ने मान लीजिए कि एक लाख रुपये का लोन ले रखा है. अब रेपो रेट में 0.25 फीसदी बढ़ोतरी होने पर 1 लाख रुपये के लोन पर सालाना अधिक से अधिक 250 रुपये की बढ़ोतरी होगी. ऐसी स्थिति में आप देखेंगे, तो 1 लाख रुपये के मासिक ईएमआई पर एक महीने 20-21 रुपये की बढ़ोतरी होगी. उन्होंने बताया कि कई बैंक ऐसे भी होते हैं, तो तिमाहियों के दौरान मुनाफा होने पर लोन ईएमआई में नॉमिनल बढ़ोतरी करते हैं या नहीं भी करते हैं.

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