नयी दिल्ली : भारत-ऑस्ट्रेलिया सर्कुलर इकोनॉमी हैकाथॉन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपने खपत के तरीकों और इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि हम इसके पारिस्थितिकी पर पड़ने वाले प्रभाव को किस तरह कम कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि चक्रीय अर्थव्यवस्था यानी सर्कुलर इकोनॉमी, हमारे सामने मौजूद बहुत-सी चुनौतियों का समाधान जुटाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि वस्तुओं का पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग, कचरे का निष्पादन और संसाधनों की कुशलता में सुधार हमारी जीवन शैली का अंग होना चाहिए.
उन्होंने उम्मीद जतायी कि हैकथॉन में प्रदर्शित नवाचारों से दोनों देशों को सर्कुलर इकोनॉमी समाधानों के मामले में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी. उन्होंने इन नवाचारों को बढ़ाने और उन्हें आत्मसात करने के तरीके तलाशने की जरूरत भी बतायी.
प्रधानमंत्री ने कहा कि, ''हमें यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि हम इस समूची पृथ्वी माता द्वारा प्रदान किये जानेवाले संसाधनों के मालिक नहीं हैं, बल्कि आनेवाली पीढ़ियों के लिए इसके ट्रस्टी मात्र हैं.'' प्रधानमंत्री ने कहा कि इस हैकथॉन में युवा पीढ़ी द्वारा प्रदर्शित उत्साह और ऊर्जा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच भविष्योन्मुखी साझेदारी का प्रतीक है.
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा, ''भारत-आस्ट्रेलिया की मजबूत साझेदारी कोविड बाद के विश्व को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. साथ ही हमारे युवा, हमारे युवा नवोन्मेषी औरहमारे स्टार्टअप्स इस साझेदारी में सबसे आगे होंगे.''