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Piyush Pandey Net Worth: अपने पीछे कितनी संपत्ति छोड़ गए एडमैन ऑफ इंडिया , 2016 में मिला था पद्मश्री सम्मान

Piyush Pandey Net Worth: भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज और ‘एडमैन ऑफ इंडिया’ पीयूष पांडेय का 24 अक्टूबर 2025 को मुंबई में निधन हो गया. उन्होंने ओगिल्वी इंडिया में 40 वर्षों तक काम किया और फेविकोल, कैडबरी, एशियन पेंट्स, वोडाफोन जैसे ब्रांड्स के लिए यादगार विज्ञापन बनाए. उनके प्रसिद्ध नारे ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ और ‘हर घर कुछ कहता है’ भारतीय विज्ञापन की पहचान बने. 2016 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. अनुमानित संपत्ति 160 करोड़ रुपये थी. उनकी विरासत रचनात्मकता और भारतीय विज्ञापन को वैश्विक पहचान दिलाना है.

Piyush Pandey Net Worth: भारत में विज्ञापन गुरु और एडमैन ऑफ इंडिया के नाम से विख्यात पीयूष पांडेय का शुक्रवार 24 अक्टूबर 2025 की सुबह करीब 5 बजकर 50 मिनट पर मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वे भारतीय विज्ञापन जगत के सबसे बड़े नामों में से एक थे. पांडेय ने ओगिल्वी एंड माथर (अब ओगिल्वी इंडिया) में 40 साल से अधिक समय तक काम किया और फेविकोल, कैडबरी, एशियन पेंट्स, वोडाफोन जैसी प्रमुख कंपनियों के लिए आइकॉनिक विज्ञापन बनाए. उनके बनाए विज्ञापन और नारे, जैसे ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ और ‘हर घर कुछ कहता है’, भारतीय विज्ञापन जगत में नई क्रांति लेकर आए. उनके निधन के बाद लोगों के मन में एक सवाल पैदा हो रहा है कि पीयूष पांडेय के पास कुल कितनी संपत्ति होगी? आइए, इसके बारे में जानते हैं.

पीयूष पांडेय को पुरस्कार और सम्मान

साल 2016 में पांडेय को उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया. उनकी उपलब्धियों में 600 से अधिक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, ग्लोबल अवॉर्ड्स और विभिन्न प्रतिष्ठित अभियान शामिल हैं. इसके साथ ही उन्होंने ‘पांडेमोनियम’ और ‘ओपन हाउस विद पीयूष पांडेय’ जैसी किताबें लिखीं और बर्लिन स्कूल ऑफ क्रिएटिव लीडरशिप जैसे संस्थानों में लेक्चर भी दिए.

पीयूष पांडेय की अनुमानित संपत्ति

पीयूष पांडेय कभी अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं करते थे. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स और उनके करियर से अनुमान लगाया जा सकता है कि 2025 में उनकी नेट वर्थ लगभग 160 करोड़ रुपये (लगभग 19 मिलियन डॉलर) थी. यह संपत्ति उनके ओगिल्वी में लंबे करियर, पुरस्कारों, किताबों, सामाजिक और राजनीतिक अभियानों से अर्जित हुई. 2023 में मीडिया रिपोर्ट्स ने उनकी नेट वर्थ लगभग 50 मिलियन डॉलर (लगभग 415 करोड़ रुपये) बताई थी. 2025 तक यह घटकर 19 मिलियन डॉलर आ गई. इसके पीछे संभावित कारण उनका स्वास्थ्य संबंधी खर्च, बाजार उतार-चढ़ाव या व्यक्तिगत निवेश हो सकते हैं. उनकी संपत्ति में मुख्य रूप से मुंबई का घर, निवेश, कला और कलेक्शन शामिल हो सकते हैं. पांडेय का गणेश प्रतिमाओं का निजी संग्रह भी उनकी संपत्ति का हिस्सा माना जाता है.

पीयूष पांडेय की आमदनी के मुख्य स्रोत

  • विज्ञापन करियर: पांडेय ने ओगिल्वी इंडिया में चीफ क्रिएटिव ऑफिसर के रूप में काम किया और विश्वभर में 600 से अधिक पुरस्कार जीते.
  • राजनीतिक और सामाजिक अभियान: उन्होंने पोलियो अभियान और भाजपा के 2014 के चुनाव अभियान में योगदान दिया.
  • अन्य स्रोत: किताबें, सार्वजनिक लेक्चर, फिल्म और मीडिया संबंधी योगदान.

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पीयूष पांडेय की असली विरासत

पीयूष पांडेय की संपत्ति चाहे कितनी भी हो, उनकी असली विरासत उनकी रचनात्मकता और भारतीय विज्ञापन जगत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने की क्षमता है. उन्होंने हमेशा यह सिद्ध किया कि विज्ञापन केवल बिक्री का जरिया नहीं, बल्कि भावनाओं और संस्कृति का भी एक माध्यम है. उनकी 160 करोड़ रुपये की अनुमानित संपत्ति केवल उनके मेहनत और उपलब्धियों का प्रतीक है. लेकिन पांडेय ने हमेशा रचनात्मकता और प्रभाव को धन से ऊपर रखा. उनकी कहानी और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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