New Income Tax Bill: वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को नए आयकर विधेयक के तहत अग्रिम कर की कम अदायगी पर ब्याज वसूली संबंधी प्रावधान में बदलाव करते हुए एक सुधार अधिसूचना जारी की है. इस बदलाव के बाद अग्रिम कर भुगतान में देरी होने पर ब्याज की गणना मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अनुरूप होगी.
तीन प्रतिशत ब्याज वसूली का प्रावधान
सरकार की ओर से जारी की गई नई अधिसूचना के अनुसार, अगर कोई करदाता निर्धारित तारीख तक अग्रिम कर की पूरी राशि जमा नहीं करता है, तो उस पर तीन प्रतिशत ब्याज वसूला जाएगा. यह ब्याज कम अदायगी की गई राशि पर लागू होगा और इसकी गणना संबंधित तिमाही की नियत तिथि के आधार पर होगी.
अग्रिम कर भुगतान के मौजूदा नियम
मौजूदा नियमों के अनुसार, जिन करदाताओं पर 10,000 रुपये या उससे अधिक का कर देय होता है, उन्हें अग्रिम कर चार किस्तों में चुकाना आवश्यक है. इन किस्तों के लिए तारीखें 15 जून, 15 सितंबर, 15 दिसंबर और 15 मार्च तय हैं. यदि करदाता इन तिथियों में से किसी पर निर्धारित राशि से कम भुगतान करता है, तो ब्याज देय हो जाता है.
लोकसभा में पारित विधेयक में पुराना प्रावधान
सोमवार को लोकसभा में पारित आयकर (संख्या 2) विधेयक, 2025 में पहले यह प्रावधान था कि यदि करदाता तिमाही की नियत तिथि के अगले दिन ही कम अदायगी पूरी कर देता है, तो केवल एक माह का एक प्रतिशत ब्याज लगेगा. यह प्रावधान मौजूदा कर कानून से अलग था और भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा था.
सुधार अधिसूचना से मिली स्पष्टता
सलाहकार कंपनी नांगिया एंडरसन एलएलपी के साझेदार संदीप झुनझुनवाला के अनुसार, पुराने प्रावधान को मौजूदा कानून के अनुरूप लाने के लिए सुधार अधिसूचना जारी की गई है. अब स्पष्ट है कि यदि अग्रिम कर की कमी नियत तिथि से एक दिन भी आगे पूरी की जाती है, तो न्यूनतम तीन महीने का ब्याज देना होगा.
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नए कानून का व्यापक बदलाव
आयकर (संख्या 2) विधेयक, 2025 के लागू होने पर छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को पूरी तरह से प्रतिस्थापित कर दिया जाएगा. नए कानून में अध्यायों और धाराओं की संख्या घटाकर इसे सरल और अधिक समझने योग्य बनाया जाएगा.
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