India-Pakistan Partition: आतंकवादियों का पनाहगाह और आर्थिक कंगाली की मार झेल रहे पाकिस्तान की रस्सी भले ही जल गई, लेकिन ऐंठन अब तक बाकी है. गाहे-ब-गाहे भारत की राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक और विदेश नीति को अस्थिर करने के लिए वह आज भी आतंकी हमला कराने से बाज नहीं आता. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हमेशा कश्मीर की राग अलापता रहता है, लेकिन जब 1947 की आजादी के समय वह अलग हो रहा था, तब भारत ने जल, जंगल, जमीन और पैसों से झोली भर दी थी. बावजूद इसके वह आज भी कंगाल बना हुआ है.
इतिहासकारों की मानें, तो साल 1947 में ब्रिटिश साम्राज्य के अवसान के समय भारत का विभाजन केवल सीमाओं का पुनर्निर्धारण नहीं था, बल्कि यह वित्तीय, सैन्य, प्रशासनिक और प्राकृतिक संसाधनों के एक व्यापक एवं जटिल बंटवारे की प्रक्रिया भी थी. इस काम को पूरा करने के लिए अंग्रेजी हुकूमत की ओर से पार्टिशन कॉन्सिल का गठन किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों के प्रतिनिधि शामिल थे. इसका उद्देश्य औपनिवेशिक काल की संपत्तियों और देनदारियों का न्यायपूर्ण बंटवारा करना था, ताकि दोनों नए राष्ट्र अपनी-अपनी प्रशासनिक, आर्थिक और रक्षा व्यवस्था स्थापित कर सकें.
इस प्रक्रिया में 75 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता, सैन्य संसाधनों का 45% हिस्सा, रेलवे और डाक सेवाओं का क्षेत्रीय हस्तांतरण, सिंधु नदी प्रणाली का प्रारंभिक जल बंटवारा और पलायन के बाद छोड़ी गई संपत्तियों का प्रबंधन शामिल था. हालांकि, बंटवारे के दौरान कई विवाद और तनाव पैदा हुए. खासकर, कश्मीर, जल संसाधन और सैन्य उपकरणों को लेकर हमेशा विवाद बना हुआ है. फिर भी शुरुआती वर्षों में कुछ समझौतों और सहयोग के प्रयास भी देखने को मिले, जिन्होंने आगे के भारत-पाक संबंधों की नींव रखी. आइए जानते हैं कि बंटवारे के समय भारत ने पाकिस्तान को क्या-क्या दिया?
पाकिस्तान को 75 करोड़ रुपये का भुगतान
द फाइनलिटी ऑफ पार्टिशन में पल्लवी राघवन लिखती हैं कि सन् 1947 में बंटवारे के समय भारत ने पाकिस्तान को ब्रिटिश भारत की वित्तीय संपत्तियों में से 75 करोड़ रुपये का भुगतान किया. इसमें से 20 करोड़ रुपये तुरंत दिए गए और बाकी के 55 करोड़ रुपये बाद में हस्तांतरित किए गए. यह राशि पाकिस्तान की नवनिर्मित अर्थव्यवस्था को स्थापित करने में मदद करने के लिए दी गई थी. इस भुगतान को लेकर भारत में जबरस्त विरोध भी हुआ. खासकर, तब जब 1947-48 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया. कई नेताओं का मानना था कि युद्ध की स्थिति में यह भुगतान रोकना चाहिए, लेकिन महात्मा गांधी ने इसे जारी रखने के पक्ष में दबाव डाला, ताकि दोनों देशों के बीच सहयोग की भावना बनी रहे.
स्टर्लिंग बैलेंस
पल्लवी राघवन अपनी पुस्तक में आगे लिखती हैं कि ब्रिटिश भारत के पास ब्रिटेन में जमा स्टर्लिंग बैलेंस थे, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन को दिए गए कर्ज का हिस्सा थे. इन बैलेंस का बंटवारा भी भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ, जिसमें पाकिस्तान को अपने हिस्से का भुगतान मिला.
सेना का विभाजन
ब्रेकिंग अप: डिवाइडिंग एसेट्स बिटवीन इंडिया एंड पाकिस्तान इन टाइम्स ऑफ पार्टिशन में अण्वेषा सेनगुप्ता लिखती हैं, ”ब्रिटिश भारतीय सेना का विभाजन जनसंख्या और क्षेत्रीय आधार पर किया गया. पाकिस्तान को लगभग 45% सैन्य संसाधन मिले, जिनमें हथियार, गोला-बारूद, टैंक, तोपें और अन्य उपकरण शामिल थे. हालांकि, प्रक्रिया के दौरान उपकरणों की कमी और गुणवत्ता को लेकर कई विवाद हुए. इतना ही नहीं, पाकिस्तानी क्षेत्र में स्थित सैन्य प्रशिक्षण संस्थान और कैंप भी उसके उसके नियंत्रण में दे दिया गया. इससे पाकिस्तान को अपनी नई सेना के प्रशिक्षण और तैनाती में मदद मिली.”
नौकरशाही का विभाजन
अपनी पुस्तक में सेनगुप्ता आगे लिखती हैं कि ब्रिटिश भारत की इंडियन सिविल सर्विस (आईसीएस) और अन्य प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों को धार्मिक पहचान और व्यक्तिगत पसंद के आधार पर भारत या पाकिस्तान चुनने का विकल्प दिया गया. अधिकांश अनुभवी अधिकारी भारत में रहना पसंद करते थे, जिससे पाकिस्तान को प्रशासनिक अनुभव की कमी का सामना करना पड़ा.
अभिलेखों और फाइलों का बंटवारा
अण्वेषा सेनगुप्ता ने अपनी पुस्तक में यह भी लिखा है कि बंटवारे के समय ब्रिटिश भारत के सरकारी अभिलेख और फाइलें भी विभाजित की गईं. खासकर, पंजाब और बंगाल के विभाजित क्षेत्रों से संबंधित दस्तावेज पाकिस्तान को सौंपे गए.
रेलवे, डाकघर और बुनियादी ढांचों का बंटवारा
सेनगुप्ता ने लिखा है कि बंटवारे के समय रेलवे नेटवर्क का विभाजन इस तरह किया गया कि पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान में स्थित लाइनों, स्टेशनों और उपकरणों का नियंत्रण पाकिस्तान को मिला. रेल इंजन, डिब्बे और मरम्मत सुविधाओं का बंटवारा अनुपात के अनुसार किया गया. डाक और टेलीग्राफ सेवाओं का बंटवारा क्षेत्रीय आधार पर हुआ. पाकिस्तान को उन क्षेत्रों के डाकघर और संचार सुविधाएं दी गईं, जो उसके हिस्से में आए.
सिंधु नदी प्रणाली का बंटवारा
पल्लवी राघवन ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि पंजाब के विभाजन के साथ ही सिंधु नदी प्रणाली का जल-बंटवारा एक विवादास्पद मुद्दा बना. हालांकि, 1947 में कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ, लेकिन भारत ने पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति जारी रखने में सहयोग किया. यह प्रारंभिक व्यवस्था आगे चलकर 1960 की सिंधु जल संधि की नींव बनी.
इवैक्यूई प्रॉपर्टी: पलायन के बाद संपत्ति का प्रबंधन
राघवन ने लिखा है कि बंटवारे के समय लाखों हिंदू, सिख और मुसलमान दोनों ओर पलायन कर गए. उनकी छोड़ी हुई संपत्तियों को इवैक्यूई प्रॉपर्टी कहा गया. भारत ने पाकिस्तान को उन मुस्लिम संपत्तियों का नियंत्रण दिया, जो भारत में रह गई थीं, जबकि पाकिस्तान ने हिंदुओं और सिखों की छोड़ी हुई संपत्तियों का प्रबंधन किया. यह व्यवस्था विवादों के बावजूद कुछ हद तक संपत्ति प्रबंधन में सहयोग का उदाहरण थी.
क्षेत्रीय बंटवारा: पाकिस्तान को 23% भूभाग
पाकिस्तान को ब्रिटिश भारत का लगभग 23% भूभाग मिला, जिसमें पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) और पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) शामिल थे. इस भू-भाग का निर्धारण धार्मिक बहुलता, प्रशासनिक सीमाओं और भू-राजनीतिक कारकों के आधार पर किया गया.
पार्टिशन कॉन्सिल की भूमिका
पार्टिशन कॉन्सिल ने वित्तीय, सैन्य, प्रशासनिक और भौतिक संपत्तियों के बंटवारे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके अंतर्गत दोनों देशों के प्रतिनिधि नियमित बैठकों में विभाजन के बिंदुओं पर चर्चा करते थे. इनमें सैन्य उपकरणों की गुणवत्ता और मात्रा, वित्तीय भुगतान का समय और शर्तें, जल संसाधनों का बंटवारा और प्रशासनिक अधिकारियों की कमी आदि शामिल हैं. कश्मीर विवाद ने भी इस प्रक्रिया को और जटिल बना दिया, क्योंकि दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी बढ़ी. कुछ विवादों के बावजूद इवैक्यूई प्रॉपर्टी और जल संसाधनों पर समझौते हुए. इनसे शुरुआती वर्षों में तनाव कम करने की कोशिश की गई.
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बंटवारे का स्थायी प्रभाव
1947 के बंटवारे में भारत ने पाकिस्तान को वित्तीय, सैन्य, प्रशासनिक और भौतिक परिसंपत्तियों का एक बड़ा हिस्सा सौंपा. यह प्रक्रिया व्यवस्थित रूप से पार्टिशन कॉन्सिल की देखरेख में हुई, लेकिन कई मोर्चों पर विवाद और तनाव कायम रहे. इन शुरुआती समझौतों और मतभेदों ने भारत-पाकिस्तान संबंधों की नींव रखी और आने वाले दशकों की द्विपक्षीय राजनीति, व्यापार और सुरक्षा नीतियों को प्रभावित किया.
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