Gold ETF: सोना भारतीय निवेशकों के लिए हमेशा से भरोसे का प्रतीक रहा है। यह न केवल आभूषणों के रूप में प्रिय है, बल्कि निवेश के लिए भी एक मजबूत विकल्प माना जाता है. हाल के वर्षों में गोल्ड ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) निवेशकों के बीच एक तेजी से लोकप्रिय साधन बनकर उभरा है, जो सोने में निवेश का आसान, पारदर्शी और लाभकारी तरीका प्रदान करता है. लोग भौतिक तरीके से सोने की खरीद तो करने के साथ ही गोल्ड ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में पैसा लगाना मुफीद समझते हैं. आजकल गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना फायदे का सौदा माना जाता है. यह आपकी मोटी कमाई का जरिया भी बन सकता है. आइए, जानते हैं कि गोल्ड ईटीएफ के बारे में एक्सपर्ट क्या कहते हैं.

सोने की कीमतों का ऐतिहासिक परिदृश्य
एलआईसी म्यूचुअल फंड एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड के इक्विटी फंड मैनेजर सुमित भटनागर के अनुसार, 2020 तक करीब एक दशक तक निवेशकों के मन में यह सवाल बना रहा कि क्या सोने की कीमत 2,000 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार कर पाएगी? लंबे समय तक कीमतें उस सीमा के नीचे रहीं, लेकिन 2020 के बाद वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक परिस्थितियों ने सोने को फिर से मजबूती दी.

गोल्ड ईटीएफ में बढ़ती दिलचस्पी
पिछले छह महीनों में गोल्ड ईटीएफ में निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार, 2025 के पहले छह महीनों में सोने आधारित ईटीएफ में पिछले पांच वर्षों का सबसे अधिक निवेश हुआ है. एशिया में, शुद्ध वैश्विक निवेश में 28% की वृद्धि दर्ज की गई. भारत में भी यह रुझान मजबूत है. एएमएफआई के जून 2025 के आंकड़ों के अनुसार, पैसिव फंड कैटेगरी में गोल्ड ईटीएफ में सबसे ज्यादा 2,081 करोड़ रुपये का निवेश हुआ. इसका कारण मौजूदा वैश्विक माहौल में निवेशकों का जोखिमों के प्रति अधिक सतर्क होना है.

गोल्ड ईटीएफ के प्रति आकर्षण के कारण
- केंद्रीय बैंकों का भरोसा: दुनिया भर के केंद्रीय बैंक सोने को रिज़र्व एसेट के रूप में इकट्ठा कर रहे हैं, जिससे इसकी दीर्घकालिक वैल्यू पर भरोसा बढ़ा है.
- इक्विटी मार्केट का दबाव: वित्तीय अस्थिरता, महंगाई और कम ब्याज दरों के कारण इक्विटी बाजार पर दबाव बढ़ा है, जिससे निवेशक विकल्प तलाश रहे हैं.
- जोखिम प्रबंधन: सोने का पारंपरिक परिसंपत्ति वर्गों के साथ कम सहसंबंध इसे मंदी के दौर में बफर के रूप में कार्य करने योग्य बनाता है.
पोर्टफोलियो में सोने की रणनीतिक भूमिका
पोर्टफोलियो थ्योरी के अनुसार, सोना हमेशा एक महत्वपूर्ण विविधीकरण इंस्ट्रुमेंट रहा है. उदाहरण के लिए, वर्ष 2022 में, जब वैश्विक इक्विटी में दोहरे अंकों की गिरावट आई, तब भी सोने ने अपनी कीमत बनाए रखी. 2025 में महंगाई, मुद्रा अस्थिरता और क्षेत्रीय संघर्षों ने सोने की महत्ता और बढ़ा दी है.
गोल्ड ईटीएफ की खासियत
- तरलता (लिक्विडिटी): ये फंड शेयर बाजार में वास्तविक समय की कीमतों पर खरीदे-बेचे जाते हैं.
- पारदर्शिता (ट्रांसपैरेंसी): ईटीएफ में मूल्य निर्धारण स्पष्ट और तात्कालिक होता है.
- आसान लेन-देन: निवेशक कभी भी प्रवेश या निकास कर सकते हैं, जिससे यह युवा और सक्रिय निवेशकों के लिए उपयुक्त है.
- भौतिक सोने की झंझट से बचाव: इसमें स्टोरेज, मेकिंग चार्ज या पवित्रता की जांच जैसे मुद्दे नहीं होते.
मौजूदा कीमतों का परिदृश्य और भविष्य की संभावना
सुमित भटनागर कहते हैं कि जुलाई 2025 में सोने की कीमत 3,332.18 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई, जबकि भारत में इसका मूल्य 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब है. त्योहारों और शादियों के मौसम में इस धातु की मांग और बढ़ने की संभावना है. ऐसे में, गोल्ड ईटीएफ निवेशकों को बिना भौतिक सोना खरीदे इसमें हिस्सेदारी का मौका देते हैं.
युवा निवेशकों का बढ़ता रुझान
उन्होंने कहा कि डिजिटल तकनीक के बढ़ते प्रसार के साथ, युवा निवेशक आंशिक निवेश और आसान ऑनलाइन लेन-देन की ओर आकर्षित हो रहे हैं. गोल्ड ईटीएफ इस पीढ़ी के लिए सुविधाजनक और आधुनिक निवेश का विकल्प बन चुका है। खुदरा निवेशकों में भी इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है.
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निवेश साधन नहीं, रणनीति एसेट है गोल्ड ईटीएफ
गोल्ड ईटीएफ सिर्फ एक निवेश साधन नहीं, बल्कि एक रणनीतिक एसेट है जो अनिश्चित वैश्विक माहौल में स्थिरता, सुरक्षा और लचीलापन प्रदान करता है. यह सोने में निवेश करने का पारदर्शी, लागत-प्रभावी और सुविधाजनक तरीका है. मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों और बढ़ते जोखिमों को देखते हुए, एक समझदार निवेशक के लिए गोल्ड ईटीएफ पोर्टफोलियो में शामिल करने योग्य एक बेहतरीन विकल्प है.
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