Tariff War: अगर आप सस्ते घर खरीदने का सपना देख रहे हैं, तो अब आपका यह सपना चकनाचूर होने वाला है. इसका कारण यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर करीब 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद से इस प्रकार की आशंका जाहिर की जा रही है. चिंता यह जताई जा रही है कि ट्रंप के टैरिफ से भारत में किफायती घरों का मिलना मुश्किल हो जाएगा. इसके साथ ही, इसका सीधा असर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) पर भी दिखाई देगा. ये सभी बातें एक रिपोर्ट में कही गई हैं.
अमेरिकी शुल्क से किफायती आवास को झटका
रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा ने किफायती आवास क्षेत्र के लिए गंभीर चिंता पैदा कर दी है. यह कदम एमएसएमई इकाइयों पर सीधा असर डालेगा, जिनके कर्मचारी 45 लाख रुपये तक की कीमत वाले घरों के प्रमुख खरीदार माने जाते हैं. रियल्टी परामर्श कंपनी एनारॉक की रिपोर्ट के अनुसार, यह शुल्क किफायती आवास की मांग को और कमजोर कर सकता है.
एमएसएमई पर सीधा प्रभाव
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) अमेरिका को होने वाले भारतीय निर्यात में अहम भूमिका निभाते हैं. अधिक शुल्क लगने से इनकी उत्पाद लागत बढ़ेगी, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कम होगी और ऑर्डर घटने की आशंका है. नतीजतन, कर्मचारियों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे उनकी क्रय क्षमता कम हो जाएगी.
किफायती मकानों की पहले से ही कमजोर स्थिति
वर्ष 2025 की पहली छमाही में देश के सात बड़े शहरों में 1.9 लाख मकानों की बिक्री हुई, जिनमें केवल 34,565 किफायती श्रेणी में थे. मौजूदा मानकों के तहत, 45 लाख रुपये तक के घर किफायती श्रेणी में आते हैं. महामारी के बाद से इस श्रेणी की बिक्री और नए प्रोजेक्ट्स में लगातार गिरावट दर्ज की गई है.
विशेषज्ञों की चेतावनी
एनारॉक के कार्यकारी निदेशक (शोध एवं परामर्श) प्रशांत ठाकुर ने कहा कि कोविड महामारी के बाद से किफायती आवास क्षेत्र पहले ही गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है. अब अमेरिकी शुल्क से बची-खुची उम्मीद भी खत्म हो सकती है.
आर्थिक योगदान और संभावित संकट
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एमएसएमई भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 30% और निर्यात में 45% से अधिक योगदान देते हैं. अमेरिकी टैरिफ से इनके कारोबार और कर्मचारियों की आय पर बड़ा असर होगा, जिससे किफायती आवास की मांग और आपूर्ति दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
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किफायती आवास पर गहरा आघात
अमेरिकी टैरिफ नीति का असर केवल निर्यात तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह भारत के किफायती आवास क्षेत्र को भी गहरा आघात पहुंचा सकता है. यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो एमएसएमई और सस्ते घर का सपना दोनों खतरे में पड़ सकते हैं.
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