
भारत की पहली सेमी-हाई-स्पीड क्षेत्रीय रेल सेवा, 'नमो भारत' (Namo Bharat Train) की शुरूआत ने देश की रेलवे प्रणाली में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाकर इसे रवाना किया. इसे देश के सार्वजनिक परिवहन के बुनियादी ढांचे में एक बड़ी प्रगति के रुप में देखा जा रहा है.

'नमो भारत' रैपिडएक्स ट्रेनों का निर्माण स्टेनलेस स्टील का उपयोग करके किया गया है. इस पहले ट्रेन को दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस परियोजना के लिए डिजाइन किया गया है. उन्नत और अत्याधुनिक ट्रेन सेट के विकास के लिए जिंदल स्टेनलेस द्वारा एल्सटॉम को आपूर्ति की गई थी.

जिंदल स्टेनलेस ने 2J और 2B फिनिश में विश्व स्तरीय 301LN स्टेनलेस स्टील ग्रेड के लगभग 600 मीट्रिक टन (MT) की आपूर्ति 11 ट्रेन सेटों के लिए एल्स्टॉम को की थी. प्रत्येक ट्रेन सेट में छह कोच होते हैं। ट्रेन के विभिन्न घटकों, जिनमें साइडवॉल स्किन, ब्रैकेट, अंतिम दीवारें, सोल बार, कैंट्रेल, छत और अंडर-फ्रेम शामिल हैं, को स्टेनलेस स्टील का उपयोग करके विकसित किया जा रहा है.

जिंदल स्टेनलेस के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने बताया कि रेलवे में सरकार के साथ हमारे 25 साल के जुड़ाव में एक और उपलब्धि हासिल हुई है. भारत के पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के लिए स्टेनलेस स्टील की आपूर्ति करने पर गर्व है.

नमो भारत ट्रेनें 160 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलती सकती है. इसके कारण दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय लगभग 40 प्रतिशत कम हो जाएगा. ट्रेन सेट में स्टेनलेस स्टील के इस्तेमाल से यह संभव हुआ है. इससे ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों की सुरक्षा भी काफी बढ़ जाती है.

स्टेनलेस स्टील एक 'हरित धातु' है. यह देश में आधुनिक रेलवे बुनियादी ढांचे के लिए दीर्घकालिक टिकाऊ समाधान विकसित करने के लिए काफी बेहतरीन माान जा रहा है. जेएसएल वर्तमान में मेट्रो और रेलवे कोचों के लिए एलटी, एमटी, एचटी और डीएलटी कॉन्फ़िगरेशन में 301 एलएन और 304 एल जैसे उच्च शक्ति वाले स्टेनलेस स्टील ग्रेड की आपूर्ति कर रहा है. इसके उत्पादों को एल्सटॉम और बीईएमएल जैसे प्रमुख कोच निर्माताओं से वर्क ऑडर मिले हैं.