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Friday, March 29, 2024

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बजट 2022-23: क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री पर 30 प्रतिशत तक टैक्स लगा सकती है सरकार

रकार आगामी आम बजट में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री को कर के दायरे में लाने पर विचार कर रही है. कर क्षेत्र के एक विश्लेषक ने यह राय दी है.

बजट 2022-23 एक फरवरी को पेश किया जायेगा, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करेंगी. बजट में सरकार कई नये प्रावधान ला सकती है इसकी संभावना है. यही वजह है कि सरकार को कई तरह के सुझाव दिये जा रहे हैं जिनमें टैक्स स्लैब बढ़ाने और बजट में धारा 80 (सी) के तहत दी जाने वाली छूट में जीवन बीमा प्रीमियम के लिए अलग श्रेणी बनाने तथा बीमाधारकों के हित में पेंशन लाभ को कर मुक्त करने का सुझाव भी दिया जा रहा है.

सरकार सुझावों पर विचार कर रही है, पीटीआई न्यूज एजेंसी के हवाले से ऐसी जानकारी सामने आ रही है कि सरकार आगामी आम बजट में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री को कर के दायरे में लाने पर विचार कर रही है. कर क्षेत्र के एक विश्लेषक ने यह राय दी है.

नांगिया एंडरसन एलएलपी के कर प्रमुख अरविंद श्रीवत्सन ने कहा है कि सरकार आगामी बजट में एक निश्चित सीमा से ऊपर क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री और खरीद पर टीडीएस / टीसीएस लगाने पर विचार कर सकती है और इस तरह के लेनदेन को विशेष लेनदेन के दायरे में लाया जाना चाहिए, ताकि आयकर अधिकारियों को इनकी जानकारी मिल सके.

गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान ऐसी चर्चा थी कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को अनुशासित करने के लिए बिल ला सकती है, लेकिन अबतक कोई बिल किप्टोकरेंसी पर नहीं आया है. जानकारों का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री से होने वाली आय पर लॉटरी और गेम शो की तरह 30 प्रतिशत की उच्च दर से टैक्स लिया जाना चाहिए.

गौरतलब है कि अभी भारत में विश्व स्तर पर क्रिप्टो मालिकों की संख्या सबसे अधिक लगभग 10.07 करोड़ है और एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक भारतीयों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी में निवेश बढ़कर 24.1 करोड़ डॉलर तक हो सकता है. हालांकि भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लीगल करेंसी का दर्जा दिये जाने से साफ इनकार किया है, लेकिन सरकार इसे बैन करने पर भी विचार नहीं कर रही है क्योंकि इसका प्रसार बहुत तेजी से देश में हो रहा है.

ऐसे में यह स्पष्ट तौर पर प्रतीत होता है कि सरकार इस साल के बजट में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगायेगी. क्रिप्टोकरेंसी में कई तरह का खतरा भी है, यही वजह है कि सरकार इसे कर के दायरे में ला सकती है. क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री और खरीद दोनों को वित्तीय लेनदेन विवरण (एसएफटी) के दायरे में लाया जाना चाहिए. अगर ऐसा हुआ तो सरकार इसपर निगरानी कर सकेगी.

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