मुंबई : देश में पिछले दो साल में रोजगार सृजन की गति धीमी हुई है. यह वर्ष 2017-18 में 3.9 फीसदी तथा 2018-19 में 2.8 फीसदी रही. इसका कारण बुनियादी उद्योग में वस्तुत: नियुक्ति में गिरावट का होना है. केयर रेटिंग्स के एक अध्ययन के अनुसार, सालाना आधार पर रोजगार वृद्धि दर 2015-16 में 2.5 फीसदी, 2016-17 में 4.1 फीसदी, 2017-18 में 3.9 फीसदी तथा 2018-19 में 2.8 फीसदी रही. इस प्रकार, 2016-17 में सुधार के बाद पिछले दो साल में रोजगार वृद्धि में नरमी रही है. यह अध्ययन सभी क्षेत्रों की 1,938 कंपनियों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है.
आम तौर पर यह माना जाता है कि रोजगार में वृद्धि को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि से संबद्ध होना चाहिए, जो आर्थिक वृद्धि का एक व्यापक संकेतक है. हालांकि, रोजगार में वृद्धि जीडीपी में वृद्धि के अनुरूप नहीं रही और दोनों के बीच संचयी सालाना वृद्धि दर के आधार पर अंतर 4.2 फीसदी है. टॉप 10 औद्योगिक क्षेत्रों की 895 कंपनियों में 2018-19 में 47 लाख लोग कार्यरत थे.
इस सर्वे में शामिल नमूना कंपनियों में कुल रोजगार का तीन चौथाई है. इसमें से रोजगार में 42.4 फीसदी हिस्सेदारी तीन सेवा उद्योगों की रही, जबकि शेष विनिर्माण (30 फीसदी) और कृषि (3 फीसदी) की रही. कुल मिलाकर सेवा क्षेत्र में रोजगार की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी रही. क्षेत्रवार अध्ययन के अनुसार, बुनियादी उद्योगों में वास्तव में रोजगार सृजन में नकारात्मक वृद्धि हुई. कच्चा तेल केवल रोजगार स्तर को बनाये रख पाया. इन उद्योगों पर जीडीपी वृद्धि दर में नरमी के साथ बैंकों के लिए फंसे कर्ज के मोर्चे पर चुनौतियों का असर हुआ है.
इसी प्रकार की स्थिति भारी उद्योग क्षेत्र में रही. इसमें बिजली तथा पूंजीगत क्षेत्र में रोजगार सृजन नकारात्मक रही, जबकि बुनियादी ढांच क्षेत्र में केवल 0.4 फीसदी की वृद्धि हुई. हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के मामले में अच्छी वृद्धि हुई. आठ उद्योगों में से पांच में रोजगार के मामले में अच्छी वृद्धि हुई है. स्वास्थ्य तथा वाहन क्षेत्रों में रोजगार के मामले में 4.8 फीसदी की अच्छी वृद्धि हुई. बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों समेत वित्तीय क्षेत्रों का भी प्रदर्शन अच्छा रहा.
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